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This Article is From Apr 17, 2020

नीतीश कुमार ने NDTV से कहा - विशेष बसें चलाना लॉकडाउन के पूरे कॉन्सेप्ट के साथ अन्याय

उत्तर प्रदेश सरकार ने कोटा में फंसे राज्य के छात्रों को वापस लाने के लिए 200 विशेष बसें भेजने का फैसला किया है.

नीतीश कुमार ने NDTV से कहा - विशेष बसें चलाना लॉकडाउन के पूरे कॉन्सेप्ट के साथ अन्याय
नीतीश कुमार का मानना है कि ऐसे लॉकडाउन का लाभ नहीं मिलेगा
पटना:

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजस्थान के कोटा में फंसे छात्रों को वापस लाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विशेष बसें भेजने के फैसले को गलत ठहराया है. उन्होंने NDTV से कहा - जैसे विशेष बसें कोटा से छात्रों को लाने के लिए चलायी जा रही हैं वो लॉकडाउन के पूरे कॉन्सेप्ट के साथ अन्याय है. बीजेपी के प्रमुख सहयोगी नीतीश कुमार योगी आदित्यनाथ के इस कदम के ख‍िलाफ पहले भी मुखर रहे हैं और इसको लेकर उन्होंने कहा था कि ऐसे समय में जब सोशल डिस्टेंसिंग आवश्यक है और किसी भी तरह से भीड़ का इकट्ठा होना हालात को बिगाड़ सकता है. हालांकि बिहार सरकार मानती है कि राज्य छात्रों को तो सुविधा प्रदान कर रहे हैं लेकिन जब बात आती है प्रवासी मजदूरों की जो अपने घर लौटने में असमर्थ हैं, तो 'बहाने बनाने' लगते हैं.

तीन दिन पहले भी जब 300 छात्रों का एक समूह कोटा से टैक्स‍ियों के जरिए पटना पहुंचा था और उनके पास यात्रा के लिए जरूरी दस्तावेज भी ि‍मिले थे तब भी बिहार सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को लिखा था.

बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने पत्र में राजस्थान सरकार द्वारा दिए गए विशेष परमिट को रोकने का आग्रह करते हुए कहा, 'इससे पंडोरा बॉक्स खुल जाएगा. अगर आप छात्रों को अनुमति देते हैं, तो आप किस आधार पर फंसे हुए मजदूरों को रोक सकते हैं.'

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने छात्रों को वापस अपने राज्य लाने की योजना बनाई है. सरकार ने फैसला किया है कि आगरा से 200 बसें कोटा में फंसे छात्रों को वापस लाने के लिए जाएंगी.

आगरा में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये बसें कोटा में फंसे बच्चों को वापस लाने के लिए भेजी जा रही हैं. हम खाने का सामान, पानी की बोतलें, मास्क और सैनिटाइजर भी भेज रहे हैं. प्रत्येक बस में 25 बच्चे आ सकेंगे. कुछ बसें झांसी से भी भेजी जाएंगी.'

लगभग 30 लाख की आबादी वाला कोटा शहर इंजीनियरिंग और मेडिकल में दाखिला लेने के लिए तैयारी कराने वाले संस्थानों का गढ़ माना जाता है जहां बड़ी संख्या में छात्र हर साल पहुंचते हैं.

देश में कोरोनावायरस का पहला मामला सामने आने के करीब दो महीने बाद सरकार ने 24 मार्च को अचानक लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी जिससे लाखों मजदूरों में दहशत फैल गई और बड़ी संख्या में उनका पलायन अपने घरों की ओर शुरू हो गया था. कई तो सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल की तय करने निकल पड़े.

लॉकडाउन में श‍िक्षण संस्थान भी बंद हैं और ऐसे में छात्रों का क्लास जाना संभव नहीं है. कई राज्यों ने ऐसे में छात्रों को बिना परीक्षा ही अगली क्लास में भेजने का निर्णय किया है जबकि कई स्कूल और कॉलेज ऑनलाइन क्लास भी करवा रहे हैं.

तमाम कोशिशों के बावजूद कोरोनावायरस का प्रकोप कम होने का नाम ही ले रहा है, शुक्रवार शाम स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश में कोरोनावायरस कोविड-19 से संक्रमित लोगों की संख्या 13835 पहुंच गई है. वहीं मृतकों का आंकड़ा 452 हो गया है. अगर पिछले 24 घंटों की बात की जाए तो आपको बता दें कि खबर लिखे जाने तक पिछले 24 घंटों में कोरोना के 1076 नए मामले सामने आए हैं और 32 लोगों की मौत हुई है. इसके अलावा अब तक 1767 मरीज इस खतरनाक संक्रमण से ठीक होकर अपने घर वापस जा चुके हैं.

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