वित्त मंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने पर राज्यसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोक झोंक हुई। विपक्ष ने सरकार से सवाल किया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी का लाभ जनता तक क्यों नहीं पहुंच पाता। इस पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि मोदी सरकार ने 20 बार पेट्रोल के और 16 बार डीजल के दाम घटाए हैं।
सात बार बढ़ाया उत्पाद शुल्क
बुधवार को कांग्रेस राज्यसभा में पेट्रोल और डीजल की कीमतों के मसले पर सरकार को घेरने की योजना बनाकर मैदान में उतरी। आनंद शर्मा ने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क 7 बार बढ़ाया जा चुका है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कटौती का फायदा आम जनता तक नहीं पहुंच रहा। मसले पर कांग्रेस को लेफ्ट, एसपी और बीएसपी समेत कई राजनीतिक दलों का साथ मिल गया।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें घटीं पर देश में पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं घटे
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 110 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 35 डॉलर प्रति बैरल आ चुकी हैं, लेकिन पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर कोई फर्क नहीं पड़ा। सरकार को आम आदमी तक यह फायदा पहुंचाना चाहिए। वहीं सपा के सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें घटकर 11 साल पहले वाले स्तर तक पहुंच चुकी हैं, फिर भी आम आदमी को इसका कोई फायदा नहीं मिला।
दरअसल सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 30 पैसे और डीजल पर 1.17 रुपए प्रति लीटर तक बढ़ाया है। यह शुल्क बढ़ाने से सरकार को 2015-2016 के वित्तीय वर्ष में 2500 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय होगी।
20 बार पेट्रोल के और 16 बार डीजल के दाम घटाए
विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में हुई गिरावट का फायदा जनता तक कई तरीकों से पहुंचाती है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 20 बार पेट्रोल के और 16 बार डीजल के दाम घटाए हैं। बढ़ाई गई एक्साइज़ ड्यूटी का 42 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को मिलता है।
अर्जित राजस्व का उपयोग विकास के लिए
उधर जेडी (यू) और बीएसपी भी कच्चे तेल की कीमतों में कटौती के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतें घटाने की मांग कर रहे थे। जदयू सांसद शरद यादव के मुताबिक सरकार एक्साइज़ ड्यूटी बढ़ाकर अपने खर्च जुटाना चाहती है। वहीं बसपा के सांसद सतीश मिश्रा ने कहा कि सरकार को एक्साइज़ ड्यूटी बढ़ाकर अपने खर्च जुटाने चाहिए। अरुण जेटली ने फिर कहा कि राशि विकासात्मक गतिविधियों में व्यय होती है। नेशनल हाईवे और ग्रामीण सड़कें बनाने में यह धन खर्च होता है। जेटली ने यह भी कहा कि सरकार चाहती है कि राज्यों के हिस्से में कटौती किए बगैर वह राजकोषीय घाटे के अपने लक्ष्य प्राप्त करे।
सात बार बढ़ाया उत्पाद शुल्क
बुधवार को कांग्रेस राज्यसभा में पेट्रोल और डीजल की कीमतों के मसले पर सरकार को घेरने की योजना बनाकर मैदान में उतरी। आनंद शर्मा ने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क 7 बार बढ़ाया जा चुका है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कटौती का फायदा आम जनता तक नहीं पहुंच रहा। मसले पर कांग्रेस को लेफ्ट, एसपी और बीएसपी समेत कई राजनीतिक दलों का साथ मिल गया।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें घटीं पर देश में पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं घटे
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 110 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 35 डॉलर प्रति बैरल आ चुकी हैं, लेकिन पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर कोई फर्क नहीं पड़ा। सरकार को आम आदमी तक यह फायदा पहुंचाना चाहिए। वहीं सपा के सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें घटकर 11 साल पहले वाले स्तर तक पहुंच चुकी हैं, फिर भी आम आदमी को इसका कोई फायदा नहीं मिला।
दरअसल सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 30 पैसे और डीजल पर 1.17 रुपए प्रति लीटर तक बढ़ाया है। यह शुल्क बढ़ाने से सरकार को 2015-2016 के वित्तीय वर्ष में 2500 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय होगी।
20 बार पेट्रोल के और 16 बार डीजल के दाम घटाए
विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में हुई गिरावट का फायदा जनता तक कई तरीकों से पहुंचाती है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 20 बार पेट्रोल के और 16 बार डीजल के दाम घटाए हैं। बढ़ाई गई एक्साइज़ ड्यूटी का 42 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को मिलता है।
अर्जित राजस्व का उपयोग विकास के लिए
उधर जेडी (यू) और बीएसपी भी कच्चे तेल की कीमतों में कटौती के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतें घटाने की मांग कर रहे थे। जदयू सांसद शरद यादव के मुताबिक सरकार एक्साइज़ ड्यूटी बढ़ाकर अपने खर्च जुटाना चाहती है। वहीं बसपा के सांसद सतीश मिश्रा ने कहा कि सरकार को एक्साइज़ ड्यूटी बढ़ाकर अपने खर्च जुटाने चाहिए। अरुण जेटली ने फिर कहा कि राशि विकासात्मक गतिविधियों में व्यय होती है। नेशनल हाईवे और ग्रामीण सड़कें बनाने में यह धन खर्च होता है। जेटली ने यह भी कहा कि सरकार चाहती है कि राज्यों के हिस्से में कटौती किए बगैर वह राजकोषीय घाटे के अपने लक्ष्य प्राप्त करे।
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