
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
जनप्रतिनिधियों दो साल से ज्यादा की सजा या भ्रष्टाचार के मामले में अयोग्य करार देने के निचली अदालतों के फैसले को हाईकोर्ट द्वारा बदला जा सकता है या नहीं, इस मामले को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने इस मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.
सोमवार को सामाजिक संस्था लोकप्रहरी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि अगर किसी सांसद या विधायक की सदस्यता एक बार चली जाती है तो उसे क्या अदालत बहाल कर सकती है? संस्था ने कहा ऐसे कई मामले हैं जिनमें निचली अदालतों द्वारा किसी सदस्य को सजा सुनाने के बाद अयोग्य करार दिया जाता है, लेकिन सदस्य द्वारा हाईकोर्ट में अपील करने पर बड़ी अदालतें कई बार सजा को निलंबित कर देती हैं. इससे उसकी सदस्यता फिर से बहाल हो जाती है. यह गैरकानूनी है और इसे बदला जाना चाहिए.
यह भी पढ़ें : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, दोषी करार दिए जाते ही अयोग्य साबित न हों सांसद-विधायक
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. मामले की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि ऐसा बहुत दुर्लभ मामलों में होता है. सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने भी याचिकाकर्ता का समर्थन किया.
यह भी पढ़ें : 'दोषी' सांसदों विधायकों को अयोग्य बनाने से रोकने वाला अध्यादेश मंजूर
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले के मुताबिक किसी सांसद या विधायक को अगर दो साल से ज्यादा सज़ा मिलती है तो उसकी सदस्यता चली जाती है. लेकिन अगर भ्रष्टाचार, NDPS (मादक पदार्थ तस्करी) आदि के मामले में सिर्फ दोषी करार देने से ही जनप्रतिनिधि अयोग्य घोषित कर दिया जाता है.
सोमवार को सामाजिक संस्था लोकप्रहरी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि अगर किसी सांसद या विधायक की सदस्यता एक बार चली जाती है तो उसे क्या अदालत बहाल कर सकती है? संस्था ने कहा ऐसे कई मामले हैं जिनमें निचली अदालतों द्वारा किसी सदस्य को सजा सुनाने के बाद अयोग्य करार दिया जाता है, लेकिन सदस्य द्वारा हाईकोर्ट में अपील करने पर बड़ी अदालतें कई बार सजा को निलंबित कर देती हैं. इससे उसकी सदस्यता फिर से बहाल हो जाती है. यह गैरकानूनी है और इसे बदला जाना चाहिए.
यह भी पढ़ें : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, दोषी करार दिए जाते ही अयोग्य साबित न हों सांसद-विधायक
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. मामले की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि ऐसा बहुत दुर्लभ मामलों में होता है. सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने भी याचिकाकर्ता का समर्थन किया.
यह भी पढ़ें : 'दोषी' सांसदों विधायकों को अयोग्य बनाने से रोकने वाला अध्यादेश मंजूर
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले के मुताबिक किसी सांसद या विधायक को अगर दो साल से ज्यादा सज़ा मिलती है तो उसकी सदस्यता चली जाती है. लेकिन अगर भ्रष्टाचार, NDPS (मादक पदार्थ तस्करी) आदि के मामले में सिर्फ दोषी करार देने से ही जनप्रतिनिधि अयोग्य घोषित कर दिया जाता है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं