फाइल फोटो
बिहार में जदयू-राजद महागठबंधन के टूटने के बाद तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ हमलावर तेवर बरकरार रखे हुए हैं. इसी कड़ी में बीजेपी से एक बार फिर नाता जोड़ने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 50 साल से ऊपर के कमजोर प्रदर्शन वाले टीचरों को जबरन रिटायर करने के फैसले पर तीखा तंज कसते हुए तेजस्वी यादव ने सवालिया लहजे में कहा कि इसके लिए आप जिम्मेदार हैं...आप भी तो 65 पार हो गए हैं...तो संन्यास ले लेना चाहिए.
दरअसल नीतीश सरकार ने 50 साल से ऊपर के ऐसे टीचरों को जबरन रिटायर करने का फैसला किया है जिनके स्कूलों का प्रदर्शन खराब रहा है. इस पर राजद नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर फेसबुक पोस्ट के जरिये निशाना साधते हुए कहा, ''विगत दस-बारह सालों में बिहार के शिक्षा स्तर में जो भारी गिरावट आई है उसके लिए, बिहार का बच्चा-बच्चा जानता है कि एक ही शख़्स जिम्मेदार है और वह हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. बस एक ही आँकड़ा लेकर ये बैठ गए हैं कि पिछली सरकार की अपेक्षा इनके कार्यकाल में दाखिलों में इज़ाफ़ा हुआ.
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उन्होंने आगे कहा, ''ये इतने आत्ममुग्ध हैं कि इस इज़ाफ़े के लिए जिम्मेदार अधिक कारगर कारणों की जानबूझकर अनदेखी करते हैं. यूपीए के कार्यकाल में सर्व शिक्षा अभियान में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किए गए भारी आवंटन, बजट बढ़ोतरी और मिड डे मील जैसी योजनाओं की बदौलत बढ़े दाखिले का सेहरा बड़ी चतुरता से बस अपने सिर पर ही सजाते हैं. ये भूल जाते हैं कि यूपीए सरकार के सहयोग के बगैर शिक्षा के क्षेत्र में एक भी योजना को अमलीजामा पहनाना असम्भव था.''
गिरती शिक्षा व्यवस्था
तेजस्वी ने कहा कि ये कभी बिहार में शिक्षा के निरन्तर गिरते स्तर पर एक शब्द नहीं बोलते हैं. क्या शिक्षा के गिरते स्तर पर मुख्यमंत्री ने कभी चिंता ज़ाहिर की? अपने होनहार विद्यार्थियों के ज़रिए पूरे देश में अपने शिक्षा का डंका बजवाने वाला बिहार अचानक अपनी शिक्षा के गिरते स्तर, नकल, विलंब से परीक्षा परिणाम और अप्रशिक्षित शिक्षकों के लिए जाना जाने लगा. क्या ये बताएँगे कि इन्होंने अपने 12 साल के कार्यकाल में नियमित शिक्षकों की बहाली क्यों नहीं की?
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भर्ती प्रक्रिया पर उठाया सवाल
इसके साथ ही लिखा, ''पुलिस सिपाही के लिए बिहार में लिखित परीक्षा ली गयी लेकिन विधार्थियों का भविष्य गढ़ने वाले शिक्षको के लिए नीतीश जी ने लिखित परीक्षा नहीं ली. और आज जब पूरे देश में इनकी शिक्षा नीति की थू-थू हो रही है तो अब ये 50 वर्ष से ऊपर के शिक्षको को हटाने का नाटक रच रहे हैं. अगर कोई क़ाबिल नहीं है तो उसे हटाने के किए उम्र की सीमा क्यों? बिहार की गिरती हुई शिक्षा व्यवस्था के सिर्फ़ और सिर्फ़ ज़िम्मेवार आप है.''
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इसके साथ ही कहा, ''यह समझने के लिए रॉकेट विज्ञान की आवश्यकता नहीं कि तत्कालीन योजना आयोग के प्रति पंचवर्षीय योजना में पिछली योजना के मुकाबले, बड़ी होती अर्थव्यवस्था के फलस्वरूप पंचवर्षीय योजना में बढ़ते आवंटन के फलस्वरूप स्कूलों में दाखिले में बढ़ोतरी होते चली गयी. शिक्षा को ऐसी दयनीय स्थिति में लाने के ज़िम्मेवार आप हैं और उसकी गाज आप 50 पार शिक्षकों पर गिराना चाहते है.''
VIDEO: शरद यादव की नीतीश से नाराजगी
तेजस्वी यादव ने इसके साथ ही तल्ख तेवर अपनाते हुए यह भी लिखा, ''आप भी तो 65 पार है आपसे राज्य नहीं संभल रहा तो आप भी संन्यास लीजिए. कम से कम बिहार की शिक्षा व्यवस्था का तो सुधार होगा और बिहार की जनता को आप जैसे अवसरवादी मुख्यमंत्री के हाथों जनादेश का अपमान नहीं सहना पड़ेगा.''
दरअसल नीतीश सरकार ने 50 साल से ऊपर के ऐसे टीचरों को जबरन रिटायर करने का फैसला किया है जिनके स्कूलों का प्रदर्शन खराब रहा है. इस पर राजद नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर फेसबुक पोस्ट के जरिये निशाना साधते हुए कहा, ''विगत दस-बारह सालों में बिहार के शिक्षा स्तर में जो भारी गिरावट आई है उसके लिए, बिहार का बच्चा-बच्चा जानता है कि एक ही शख़्स जिम्मेदार है और वह हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. बस एक ही आँकड़ा लेकर ये बैठ गए हैं कि पिछली सरकार की अपेक्षा इनके कार्यकाल में दाखिलों में इज़ाफ़ा हुआ.
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उन्होंने आगे कहा, ''ये इतने आत्ममुग्ध हैं कि इस इज़ाफ़े के लिए जिम्मेदार अधिक कारगर कारणों की जानबूझकर अनदेखी करते हैं. यूपीए के कार्यकाल में सर्व शिक्षा अभियान में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किए गए भारी आवंटन, बजट बढ़ोतरी और मिड डे मील जैसी योजनाओं की बदौलत बढ़े दाखिले का सेहरा बड़ी चतुरता से बस अपने सिर पर ही सजाते हैं. ये भूल जाते हैं कि यूपीए सरकार के सहयोग के बगैर शिक्षा के क्षेत्र में एक भी योजना को अमलीजामा पहनाना असम्भव था.''
गिरती शिक्षा व्यवस्था
तेजस्वी ने कहा कि ये कभी बिहार में शिक्षा के निरन्तर गिरते स्तर पर एक शब्द नहीं बोलते हैं. क्या शिक्षा के गिरते स्तर पर मुख्यमंत्री ने कभी चिंता ज़ाहिर की? अपने होनहार विद्यार्थियों के ज़रिए पूरे देश में अपने शिक्षा का डंका बजवाने वाला बिहार अचानक अपनी शिक्षा के गिरते स्तर, नकल, विलंब से परीक्षा परिणाम और अप्रशिक्षित शिक्षकों के लिए जाना जाने लगा. क्या ये बताएँगे कि इन्होंने अपने 12 साल के कार्यकाल में नियमित शिक्षकों की बहाली क्यों नहीं की?
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भर्ती प्रक्रिया पर उठाया सवाल
इसके साथ ही लिखा, ''पुलिस सिपाही के लिए बिहार में लिखित परीक्षा ली गयी लेकिन विधार्थियों का भविष्य गढ़ने वाले शिक्षको के लिए नीतीश जी ने लिखित परीक्षा नहीं ली. और आज जब पूरे देश में इनकी शिक्षा नीति की थू-थू हो रही है तो अब ये 50 वर्ष से ऊपर के शिक्षको को हटाने का नाटक रच रहे हैं. अगर कोई क़ाबिल नहीं है तो उसे हटाने के किए उम्र की सीमा क्यों? बिहार की गिरती हुई शिक्षा व्यवस्था के सिर्फ़ और सिर्फ़ ज़िम्मेवार आप है.''
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इसके साथ ही कहा, ''यह समझने के लिए रॉकेट विज्ञान की आवश्यकता नहीं कि तत्कालीन योजना आयोग के प्रति पंचवर्षीय योजना में पिछली योजना के मुकाबले, बड़ी होती अर्थव्यवस्था के फलस्वरूप पंचवर्षीय योजना में बढ़ते आवंटन के फलस्वरूप स्कूलों में दाखिले में बढ़ोतरी होते चली गयी. शिक्षा को ऐसी दयनीय स्थिति में लाने के ज़िम्मेवार आप हैं और उसकी गाज आप 50 पार शिक्षकों पर गिराना चाहते है.''
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तेजस्वी यादव ने इसके साथ ही तल्ख तेवर अपनाते हुए यह भी लिखा, ''आप भी तो 65 पार है आपसे राज्य नहीं संभल रहा तो आप भी संन्यास लीजिए. कम से कम बिहार की शिक्षा व्यवस्था का तो सुधार होगा और बिहार की जनता को आप जैसे अवसरवादी मुख्यमंत्री के हाथों जनादेश का अपमान नहीं सहना पड़ेगा.''
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