
नई दिल्ली:
2 अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की और जल्द ही यह मिशन अपने आधे रास्ता का सफर पूरा करेगा. सैकड़ों करोड़ों रुपये शहरी और ग्रामीण भारत में स्वच्छ भारत अभियान के लिए खर्च किए गए हैं, लेकिन साफ-सफाई और कचरा प्रबंधन के मामले पर ज़मीनी स्थिति में तनिक भी सुधार नहीं दिख रहा. आम नागरिकों से जुड़े एक ऑन लाइन पोर्टल 'लोकल सर्कल्स' के द्वारा किए गए सर्वे में पता चला है कि स्थानीय नगर निगम सही ढंग से काम नहीं कर रहा है. वर्तमान स्थिति को समझने के लिए और बाकी ढाई वर्ष में क्या किया जा सकता है यह पता लगाने के प्रयास में “लोकलसर्कल्स” ने अपने स्वच्छ भारत समुदाय में चुनाव का आयोजन किया. इस समुदाय के 350,000 से भी अधिक सदस्य हैं. यह समुदाय LocalCircles के सहयोग से 9 अक्टूबर, 2014 को शहरी विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था और अब सबसे बड़ा स्वच्छ भारत समुदाय नेटवर्क बन गया है.

लोकल सर्किल के इस सर्वेक्षण में 30,000 से अधिक नागरिकों ने हिस्सा लिया जिसमें 68% पुरुष और 32% महिलाएं थीं. यह सर्वे देश के करीब 250 ज़िलों में किया गया. इस सर्वे के द्वारा पता चला कि 75 प्रतिशत लोग यह विश्वास करते हैं कि उनके स्थानीय नगर निगम स्वच्छ भारत मिशन के तहत काम में नहीं लगे हुए, केवल 16% लोग यह विश्वास करते हैं कि उनके नगर निगम इस मिशन के तहत काम कर रहे हैं जबकि शेष 9% नागरिक कुछ भी सुनिश्चित नहीं कर पाए.
जब यह पूछा गया क्या आसपास में रहने वाले बच्चे और युवा स्वच्छ भारत सिद्धांतों पर विश्वास कर रहे हैं, जैसे दैनिक जीवन में नागरिक भावना का पालन करना, खुले में कचरा नहीं फेंकना और खुले में शौच नहीं करना तो 58% लोगों ने कहा ऐसा नहीं हो रहा है जबकि 34 प्रतिशत लोगों ने कहा ऐसा हो रहा है. 8% लोगों ने अपनी राय देने से मना कर दिया. लोकल सर्किल के द्वारा एक सर्वेक्षण 15 महीने पहले भी हुआ था जिसमें सिर्फ 32% लोगों का मानना था कि बच्चों और युवाओं ने अपने आपको इस मिशन में engage नहीं किया, यानी 68 प्रतिशत लोगों का कहना था कि युवा और बच्चे ऐसे कर रहे हैं.
इस सर्वे में पता चला है कि लोग इस मिशन के तहत अपने आपको जोड़ना चाहते हैं, लेकिन स्थानीय नगर निगम और केंद्र सरकार से उन्हें मदद की जरूरत है. एक अलग सर्वेक्षण में 87% मतदाताओं ने कहा कि यदि केंद्र सरकार या स्थानीय नगर निगम उनके साथ मिलकर काम करता है तो वह अपने आसपास के इलाके को बेहतर बनाने के लिए तैयार है. यह केंद्र सरकार के लिए एक अच्छी खबर हो सकती है कि स्वच्छ भारत के तहत लोग अपने आसपास के इलाके को साफ-सुथरा बनाना चाहते हैं. स्वच्छ भारत सर्किल के जरिए लोगों ने कई ऐसे मॉडल भी शेयर किए जिसके तहत नगरपालिका और नागरिक एक साथ मिलकर वार्ड और ब्लॉक स्तर पर काम कर सकते हैं.

लोकल सर्किल के इस सर्वेक्षण में 30,000 से अधिक नागरिकों ने हिस्सा लिया जिसमें 68% पुरुष और 32% महिलाएं थीं. यह सर्वे देश के करीब 250 ज़िलों में किया गया. इस सर्वे के द्वारा पता चला कि 75 प्रतिशत लोग यह विश्वास करते हैं कि उनके स्थानीय नगर निगम स्वच्छ भारत मिशन के तहत काम में नहीं लगे हुए, केवल 16% लोग यह विश्वास करते हैं कि उनके नगर निगम इस मिशन के तहत काम कर रहे हैं जबकि शेष 9% नागरिक कुछ भी सुनिश्चित नहीं कर पाए.
जब यह पूछा गया क्या आसपास में रहने वाले बच्चे और युवा स्वच्छ भारत सिद्धांतों पर विश्वास कर रहे हैं, जैसे दैनिक जीवन में नागरिक भावना का पालन करना, खुले में कचरा नहीं फेंकना और खुले में शौच नहीं करना तो 58% लोगों ने कहा ऐसा नहीं हो रहा है जबकि 34 प्रतिशत लोगों ने कहा ऐसा हो रहा है. 8% लोगों ने अपनी राय देने से मना कर दिया. लोकल सर्किल के द्वारा एक सर्वेक्षण 15 महीने पहले भी हुआ था जिसमें सिर्फ 32% लोगों का मानना था कि बच्चों और युवाओं ने अपने आपको इस मिशन में engage नहीं किया, यानी 68 प्रतिशत लोगों का कहना था कि युवा और बच्चे ऐसे कर रहे हैं.

इस सर्वे में पता चला है कि लोग इस मिशन के तहत अपने आपको जोड़ना चाहते हैं, लेकिन स्थानीय नगर निगम और केंद्र सरकार से उन्हें मदद की जरूरत है. एक अलग सर्वेक्षण में 87% मतदाताओं ने कहा कि यदि केंद्र सरकार या स्थानीय नगर निगम उनके साथ मिलकर काम करता है तो वह अपने आसपास के इलाके को बेहतर बनाने के लिए तैयार है. यह केंद्र सरकार के लिए एक अच्छी खबर हो सकती है कि स्वच्छ भारत के तहत लोग अपने आसपास के इलाके को साफ-सुथरा बनाना चाहते हैं. स्वच्छ भारत सर्किल के जरिए लोगों ने कई ऐसे मॉडल भी शेयर किए जिसके तहत नगरपालिका और नागरिक एक साथ मिलकर वार्ड और ब्लॉक स्तर पर काम कर सकते हैं.
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