नोएडा अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर यादव सिंह अब विशेष जांच टीम (एसआईटी) की कालेधन की जांच के दायरे में आ गए हैं। एसआईटी ने आज सीबीडीटी से कहा कि वह इस बारे में प्रवर्तन निदेशालय के साथ जानकारी बांटे, ताकि सिंह और उनके सहयोगियों के खिलाफ मनी लांड्रिंग के आरोप तय किए जा सकें। यादव सिंह पर भारी मात्रा में अवैध धन संपत्ति एकत्रित करने का आरोप है।
एसआईटी के चेयरमैन जस्टिस (रिटायर्ड) एमबी शाह तथा वाइस चेयरमैन जस्टिस (रिटायर्ड) अरिजित पसायत ने इस बारे में बैठक कर सीबीडीटी अधिकारियों के साथ मामले पर चर्चा की। बैठक में सीबीडीटी की चेयरपर्सन अनिता कपूर तथा लखनऊ स्थित जांच निदेशालय के आयकर अधिकारी भी शामिल हुए। इन अधिकारियों ने ही पिछले महीने यादव सिंह के कार्यालयों और उन कई कंपनियों पर छापे मारे, जिनमें सिंह की पत्नी के जुड़े होने का संदेह है।
बैठक के बाद एसआईटी ने महानिदेशक (आईटी जांच) लखनऊ से कहा कि वह इस मामले में सूचनाएं प्रवर्तन निदेशालय के साथ साझा करे ताकि यादव सिंह के खिलाफ मनी लांड्रिंग रोधक कानून (पीएमएलए) के आपराधिक प्रावधानों के तहत भी जांच की जा सके।
सूत्रों ने कहा कि एसआईटी ने कथित कर चोरी के इस मामले को गंभीरता से लिया है और भारी मात्रा में अवैध धन सृजन का संदेह है। आयकर विभाग पहले ही बड़ी मात्रा में नकदी जब्त कर चुका है और यादव सिंह द्वारा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कार्यान्वित की जा रही रीयल एस्टेट परियोजनाओं से जुड़े दस्तावेजों की जांच की जा रही है।
गौरतलब है कि यादव सिंह के ठिकानों से 12 करोड़ से ऊपर की दौलत और दो किलो गहने बरामद हो चुके हैं। (पढ़ें : कौन है 1000 करोड़ का इंजीनियर)
इतनी संपत्ति बरामद होने के बावजूद सस्पेंड तक नहीं किए गए यादव सिंह के बारे में एनडीटीवी इंडिया के पास ऐसे ढेरों दस्तावेज मौजूद हैं, जिनसे साफ ज़ाहिर होता है कि किस तरह तमाम नियमों की धज्जियां उड़ाकर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की सरकारों ने यादव सिंह को तरक्की और मलाईदार पद दिए। (पढ़ें : भ्रष्ट्र बाबू पर नेताओं का वरदहस्त)
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