दिल्ली में कोविड अस्पतालों में मरीजों के बेहतर इलाज के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

Coronavirus: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्रालय को विशेषज्ञ समिति का गठन करने का आदेश दिया, अन्य राज्यों में भी समितियां गठित करने का आदेश

दिल्ली में कोविड अस्पतालों में मरीजों के बेहतर इलाज के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली:

Coronavirus: दिल्ली में कोविड-19 अस्पतालों में मरीजों के बेहतर इलाज के लिए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्रालय को विशेषज्ञ समिति का गठन करने का आदेश दिया है. इस समिति में केंद्र सरकार के अस्पतालों के डॉक्टर, दिल्ली सरकार या दिल्ली के अस्पतालों के डॉक्टर, एम्स के डॉक्टर और स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्रालय के जिम्मेदार अफसर होंगे. 

यह कमेटी दिल्ली के सरकारी और कोविड समर्पित अस्पतालों व अन्य अस्पतालों में व्यवस्था देखेंगे, निगरानी करेंगे और जरूरी दिशानिर्देश जारी करेंगे. विशेषज्ञ समिति यह सुनिश्चित करेगी कि वह प्रत्येक अस्पताल में कम से कम सप्ताह में एक बार जरूर जाए.  इसके अलावा समिति अस्पतालों में औचक निरीक्षण भी करेगी. 

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के चीफ सेक्रेट्री से भी कहा है कि वे राज्य के अस्पतालों के डॉक्टरों की विशेषज्ञ समिति बनाएं और अस्पतालों की जांच, निगरानी व देखरेख करें. यह गठन एक सप्ताह के भीतर होना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार को अस्पतालों और रोगियों के काम में अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए. सीसीटीवी फुटेज अस्पतालों में विशेषज्ञ टीम को उपलब्ध कराना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि सभी राज्यों को अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरे लगाने होंगे. COVID समर्पित अस्पतालों को अस्पताल परिसर में मरीज के एक इच्छुक परिजन को एक निर्धारित क्षेत्र में रहने अनुमति देनी चाहिए. COVID अस्पतालों में हेल्प डेस्क को सुलभ बनाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रोगियों की एक समान संशोधित डिस्चार्ज नीति के लिए राज्यों को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत निर्देश जारी करना चाहिए. केंद्र को विभिन्न कोविड संबंधित सुविधाओं/ टेस्टिंग आदि के लिए एक समान दर तय करनी चाहिए और राज्य इसका पालन करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मुख्य चिंता उक्त दिशानिर्देशों का विश्वासयोग्य और सख्त क्रियान्वयन है जो केवल निरंतर पर्यवेक्षण, निगरानी और बुनियादी ढांचे के सुधार, कर्मचारियों, सुविधाओं आदि के संबंध में सुधारात्मक कदम उठाकर सुनिश्चित किया जा सकता है. सबसे महत्वपूर्ण पहलू निरंतर निगरानी है.

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दिल्ली सरकार के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब सरकार अपने अस्पतालों और रोगी की देखभाल में कोई कमी या खामियों को जानने का प्रयास नहीं करती है, सुधारात्मक कार्रवाई और सुधार की संभावना मंद हो जाती है तो प्रत्येक संगठन, प्रत्येक व्यक्ति को कमियों, खामियों के बारे में जानने के लिए तैयार  होना चाहिए. कमियों और खामियों को जानने के बाद, उपचारात्मक कार्रवाई की जा सकती है.