सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
गुजरात में आर्थिक रूप से पिछड़ों को 10 फीसदी आरक्षण का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. कोर्ट इस मामले पर 22 अगस्त को सुनवाई करेगा.
दरअसल, गुजरात सरकार ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की है.
गौरतलब है कि गुजरात हाईकोर्ट ने गुजरात सरकार के 10 फीसदी आरक्षण को रद्द कर दिया था. फैसले में कहा था कि राज्य ने सुप्रीम कोर्ट के 50 फीसदी आरक्षण के फैसले को दरकिनार कर यह आरक्षण दिया.
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का उल्लंघन
गुजरात हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि यह आरक्षण सुप्रीम कोर्ट की उस गाइडलाइन का सरासर उल्लंघन है जिसमें आरक्षण से लिए 50 प्रतिशत की मर्यादा तय की गई है. कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि यह आरक्षण देने से पहले राज्य सरकार ने कोई अभ्यास नहीं करवाया था कि क्या आरक्षण की जरूरत है?
पटेल आरक्षण की आग शांत करने के लिए सरकार का कदम
पिछले साल अगस्त से शुरू हुए पटेल आरक्षण आंदोलन के आग पकड़ने के बाद गुजरात सरकार ने इस साल एक मई को अध्यादेश जारी करके गरीब सवर्णों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण घोषित किया था. कहा गया था कि जिन भी जातियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता उन जातियों के बच्चों को, जिनकी सालाना पारिवारिक आय 6 लाख से कम है, इस आरक्षण का शिक्षा और रोजगार में लाभ मिलेगा.
दरअसल, गुजरात सरकार ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की है.
गौरतलब है कि गुजरात हाईकोर्ट ने गुजरात सरकार के 10 फीसदी आरक्षण को रद्द कर दिया था. फैसले में कहा था कि राज्य ने सुप्रीम कोर्ट के 50 फीसदी आरक्षण के फैसले को दरकिनार कर यह आरक्षण दिया.
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का उल्लंघन
गुजरात हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि यह आरक्षण सुप्रीम कोर्ट की उस गाइडलाइन का सरासर उल्लंघन है जिसमें आरक्षण से लिए 50 प्रतिशत की मर्यादा तय की गई है. कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि यह आरक्षण देने से पहले राज्य सरकार ने कोई अभ्यास नहीं करवाया था कि क्या आरक्षण की जरूरत है?
पटेल आरक्षण की आग शांत करने के लिए सरकार का कदम
पिछले साल अगस्त से शुरू हुए पटेल आरक्षण आंदोलन के आग पकड़ने के बाद गुजरात सरकार ने इस साल एक मई को अध्यादेश जारी करके गरीब सवर्णों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण घोषित किया था. कहा गया था कि जिन भी जातियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता उन जातियों के बच्चों को, जिनकी सालाना पारिवारिक आय 6 लाख से कम है, इस आरक्षण का शिक्षा और रोजगार में लाभ मिलेगा.
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