पश्चिम बंगाल (West Bengal) में वर्ष 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) के मद्देनजर राज्य में राजनीतिक हिंसा को देखते हुए विपक्षी दलों के नेताओं को सुरक्षा मुहैया कराने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि अपनी मांगे उचित फोरम के सामने रखें, वह दूसरे उपचार पूरे करे. गौरतलब है कि याचिका में कहा गया था कि पश्चिम बंगाल में लगातार हिंसा और मानवाधिकार हनन की घटनाए हो रही हैं. राज्य में बीजेपी नेताओं पर लगातार हमले हो रहे हैं. बीजेपी अध्यक्ष पर भी हमला हो चुका है. पश्चिम बंगाल में इसी वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव को किसी भी प्रभाव से मुक्त और पूर्णतः निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई थी.
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सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में मांग की गई थी कि चुनाव आयोग (Election Commission) को निर्देश दिया जाए कि मतदाता सूची में जो फर्जी वोटरों के नाम हैं उन्हें हटाने की कार्रवाई करे. SC में पुनीत कौर ढांडा की ओर से अर्जी दाखिल की गई है, इसमें कहा गया है कि चुनाव आयोग से कहा जाए कि वह पश्चिम बंगाल के फर्जी मतदाताओं के मामले में विस्तार से रिपोर्ट पेश करे. याचिकाकर्ता ने कहा कि कई जगहों पर हिंदू वोटरों को वोट नहीं डालने दिया जाता है और फर्जी वोटों से वाट डलवाया जाता है. मालदा, उत्तर दिनाजपुर, मुर्शिदाबाद, नादिया, कूचविहार, उत्तर 24 परगना और दक्षिण 24 परगना और कोलकाता के कई इलाके ऐसे हैं जहां मुस्लिम बहुसंख्यक हैं और इन इलाकों में हिंदुओं को वोट नहीं देने दिया जाता है. किसी न किसी तरह से उन्हें वोट देने में व्यवधान किया जाता है.
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याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वहां विरोधी दल के नेताओं और कार्यकर्ताओं की हत्याएं होती हैं, इस बात का उल्लेख करते हुए याचिका में कहा गया है कि इन तमाम मामलों की सीबीआई से जांच की जानी चाहिए. राज्य मे कुछ सालों से राजनैतिक हत्याएं काफी ज्यादा हुई है और उनमें BJP के नेताओं की हत्या ज्यादा हुई है. याचिका में कहा गया था कि जो दल सत्ता में है वह इस तरह की हत्याएं रोकने के लिए कारगर कदम नहीं उठाए हैं.महिला नेताओं का भी मर्डर हुआ है. राज्य में मानवाधिकार के उल्लंघन का आरोप लगाया गया और विरोधी दल के नेताओं को वहां सुरक्षा प्रदान करने की भी गुहार लगाई गई थी.
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