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This Article is From Apr 23, 2017

मामले का निपटारा हुआ, लेकिन फिर अपील करने पर खफा कोर्ट ने 5 लाख रुपये का लगाया जुर्माना

मामले का निपटारा हुआ, लेकिन फिर अपील करने पर खफा कोर्ट ने 5 लाख रुपये का लगाया जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट
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कोर्ट ने कहा कि मामले का निपटारा पहले ही किया जा चुका है
याचिकाकर्ता ने खुद को दिए गए मुआवजे को चुनौती दी थी
यह मुआवजा जमीन अधिग्रहीत किए जाने के बदले दिया गया
नई दिल्ली: एक व्यक्ति ने खुद को नोएडा में अपनी जमीन के लिए मिले मुआवजे को चुनौती देते हुए एक अपील दायर की जिसके बाद उच्चतम न्यायालय ने उस पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए कहा कि यह कानूनी प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है क्योंकि मामले का निपटारा पहले ही किया जा चुका है. न्यायमूर्ति अरूण मिश्र और न्यायमूर्ति एम एम शान्तानागौदर की पीठ ने व्यक्ति की इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ की गई अपील को खारिज कर दिया. याचिकाकर्ता ने खुद को दिए गए मुआवजे को चुनौती दी थी. यह मुआवजा उसे नोएडा में सुनियोजित औद्योगिक विकास के लिए राज्य द्वारा जमीन अधिग्रहित किए जाने के एवज में दिया गया था.

पीठ ने कहा ‘‘उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश इस मुद्दे का निपटारा कर चुके हैं. यह कानून का दुरुपयोग है. यह क्या हो रहा है. हम आप पर उतना जुर्माना लगाएंगे जिसे इस देश के लोग याद रखेंगे.’’ इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उनकी अपील गलत तरीके से खारिज कर दी.

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में वर्ष 2005 से 2010 के बीच सुनियोजित औद्योगिक विकास के नाम पर कई गांवों के किसानों की कृषि और ‘रिहायशी भूमि का बड़े पैमाने पर अधिग्रहण किया गया था. पीठ ने कहा कि एक बार मामले पर उच्चतम न्यायालय द्वारा फैसला दिया जा चुका है फिर इसे बार बार नहीं उठाया जा सकता. पहले पीठ 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाना चाहती थी. तब वकील ने कहा कि उनका मुवक्किल एक गरीब किसान है और भारी मुआवजा नहीं दिया जा सकता.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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