विपक्ष केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से माफी की मांग कर रहा है।
नई दिल्ली:
जेएनयू विवाद और हैदराबाद के छात्र रोहित वेमुला के खुदकुशी मामले में सरकार और विपक्ष के बीच शुक्रवार को हुई तीखी तकरार के बाद राज्यसभा में बजट सत्र के दौरान विधेयकों के भविष्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है।
यह विवाद तब बढ़ा जब केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने वह 'पर्चा' पढ़ना शुरू किया जो कथित तौर पर जेएनयू परिसर में वितरित किया गया था, इसमें कथित तौर पर मां दुर्गा के बारे में आपत्तिजनक बातें कही गई थीं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे जेएनयू छात्रों के एक वर्ग की ओछी मानसिकता का पता चलता है। राज्यसभा में इस बहस के दौरान उस समय व्यवधान पैदा हुआ जब समूचे विपक्ष ने एकजुट होकर मंत्री से बयान को वापस लेने और माफी मांगने की मांग कही। हंगामे के चलते सदन को स्थगित करना पड़ा। गौरतलब है कि राज्यसभा में सरकार अल्पमत में है।
राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने कहा, 'पहले भी लोगों ने ईशानिंदा वाले बयान जारी किए है, लेकिन कभी भी सदन के पटल पर ऐसे बयानों को कोट नहीं किया गया या दोहराया नहीं गया।' माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा, 'इसे जानबूझकर कोट किया गया। बीजेपी पूरी बहस का ध्रुवीकरण करना चाहती है। आखिर इस पूरे मामले में मां दुर्गा को लाने की जरूरत क्या थी। स्मृति को इस मामले में माफी मांगनी चाहिए।' दूसरी ओर सरकार इस बात पर अडिग है कि स्मृति ने कुछ गलत नहीं किया। एक मंत्री ने कहा, 'स्मृति ने ईशनिंदा जैसी कोई बात नहीं की। वे महज यह तर्क रखना चाहती थीं कि इससे पहले भी जेएनयू से आपत्तिजनक सामग्री आती रही है।' हालांकि शुक्रवार का दिन प्राइवेट मेंबर्स के बिल के लिए तय है, लेकिन विपक्ष जेएनयू विवाद पर बहस को जारी रखने के पूरे मूड में है। संसद सत्र शुरू होने से पहले सरकार और विपक्ष के बीच किसी भी बिल को पेश करने से प्रमुख मुद्दों पर बहस कराए जाने को लेकर जो सहमति बनी थी वह अब 'बिखरकर' रह गई है।
यह विवाद तब बढ़ा जब केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने वह 'पर्चा' पढ़ना शुरू किया जो कथित तौर पर जेएनयू परिसर में वितरित किया गया था, इसमें कथित तौर पर मां दुर्गा के बारे में आपत्तिजनक बातें कही गई थीं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे जेएनयू छात्रों के एक वर्ग की ओछी मानसिकता का पता चलता है। राज्यसभा में इस बहस के दौरान उस समय व्यवधान पैदा हुआ जब समूचे विपक्ष ने एकजुट होकर मंत्री से बयान को वापस लेने और माफी मांगने की मांग कही। हंगामे के चलते सदन को स्थगित करना पड़ा। गौरतलब है कि राज्यसभा में सरकार अल्पमत में है।
राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने कहा, 'पहले भी लोगों ने ईशानिंदा वाले बयान जारी किए है, लेकिन कभी भी सदन के पटल पर ऐसे बयानों को कोट नहीं किया गया या दोहराया नहीं गया।' माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा, 'इसे जानबूझकर कोट किया गया। बीजेपी पूरी बहस का ध्रुवीकरण करना चाहती है। आखिर इस पूरे मामले में मां दुर्गा को लाने की जरूरत क्या थी। स्मृति को इस मामले में माफी मांगनी चाहिए।' दूसरी ओर सरकार इस बात पर अडिग है कि स्मृति ने कुछ गलत नहीं किया। एक मंत्री ने कहा, 'स्मृति ने ईशनिंदा जैसी कोई बात नहीं की। वे महज यह तर्क रखना चाहती थीं कि इससे पहले भी जेएनयू से आपत्तिजनक सामग्री आती रही है।' हालांकि शुक्रवार का दिन प्राइवेट मेंबर्स के बिल के लिए तय है, लेकिन विपक्ष जेएनयू विवाद पर बहस को जारी रखने के पूरे मूड में है। संसद सत्र शुरू होने से पहले सरकार और विपक्ष के बीच किसी भी बिल को पेश करने से प्रमुख मुद्दों पर बहस कराए जाने को लेकर जो सहमति बनी थी वह अब 'बिखरकर' रह गई है।
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