पठानकोट हमले की फाइल फोटो।
नई दिल्ली:
खुफिया सूचना होने के बाद भी पठानकोट आतंकवादी हमले को रोकने में हीलाहवाली को लेकर बेशक कितनी भी आलोचना की जा रही हो, लेकिन सरकार में बैठे कई लोगों को लगता है कि समय पर कदम उठाए जाने के कारण ही बड़े नुकसान को टाला जा सका है। सूत्रों के मुताबिक सरकार के भीतर एक राय यह है कि यह मुंबई जैसा ही हमला है लेकिन हमलावर मुंबई हमले जैसा नुकसान नहीं कर पाए। यही वजह है कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह की तरफ से एक दिन पहले यह बयान आया कि नुकसान इससे बड़ा हो सकता था।
जिन लोगों का मत है कि यह मुंबई जैसा ही हमला है, उनके कई तर्क हैं -
जिन लोगों का मत है कि यह मुंबई जैसा ही हमला है, उनके कई तर्क हैं -
- मुंबई में हमलावर की तादाद दस थी। पठानकोट में भी हमलावर छह से आठ-दस की तादाद में बताए जा रहे हैं।
- मुंबई में हमलावरों ने गाड़ी छीनी थी और उसमें हमले के लिए आगे बढ़े थे। पठानकोट मामले में भी पुलिस की गाड़ी छीनी गई।
- मुंबई में अलग-अलग ग्रुप में हमलावरों ने अलग-अलग ठिकानों पर हमले किए जिसमें एक सौ सढ़सठ लोग मारे गए। आतंकवादियों की मंशा यहां भी ऐसा ही करने की थी लेकिन इंटेलिजेंस इनपुट के कारण वे ऐसा नहीं कर सके। आतंकी एयरफोर्स स्टेशन में घुसे और औचक तौर पर हमले का फायद उठाते हुए 6 जवानों को शहीद कर दिया। एक अफसर बाद में रिकवरी आप्स के दौरान शहीद हुआ।
- मुंबई और पठानकोट हमले में समानता देखने वालों का तर्क यह है कि क्योंकि सुरक्षा तंत्र को चौकस करने और एनएसजी कमांडो भेजने के कदम पहले ही उठा लिए गए इसलिए नुकसान को एक दायरे में समेटा जा सका।
- मुंबई में जहां वे होटल और आवासीय इमारत में घुसे थे वहीं पठानकोट में वे कई वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैले एयरबेस में घुसे, जिसके आसपास हजारों एकड़ में जंगल है। इसलिए टारगेट फिक्स कर उसे न्यूट्रलाइज करने में वक्त लगना लाज़िमी है।
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