COVID-19: महाराष्ट्र में कोरोना वायरस की नियंत्रण के लिए उठाए जाने वाले कदमों के अंतर्गत राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक करने पर सत्तारूढ़ शिवसेना (Shiv Sena) ने ऐतराज जताया है. शिवसेना का मानना है कि इससे ‘समानांतर शासन' से भ्रम पैदा होगा. मुखपत्र ‘सामना' (Saamana) ने कहा कि वर्तमान युद्ध जैसी स्थिति में प्रशासन को निर्देश देने के लिए एकल कमान केंद्र होना चाहिए. इस मराठी दैनिक में कहा गया है, ‘प्रधानमंत्री, केंद्र और राज्य के मुख्यमंत्री के पास वह अधिकार होना चाहिए.'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुधवार को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से बुलायी गई बैठक में शिवसेना प्रमुख उद्धव और राकांपा प्रमुख शरद पवार ने मोदी से कहा था कि पूरा देश इस वायरस का मुकाबला करने के लिए उनके नेतृत्व में एकजुट है.'' शिवसेना प्रमुख व राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और पवार ने मुम्बई में इस बैठक में हिस्सा लिया था. संपादकीय में कहा गया है कि कोरोना वायरस स्थिति से निपटने को लेकर ठाकरे की प्रशंसा करते हुए पवार ने मोदी एवं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को राज्यपाल की भूमिका (उनके द्वारा बुलायी गयी बैठक) के बारे में बताया था. उसमें कहा गया है, ‘‘वैसे तो कोई तल्खी नहीं है. लेकिन यदि कोई समानांतर सरकार चलाता है तो उससे भ्रम पैदा होगा. यदि पवार जैसे वरिष्ठ नेता ऐसा महूसस करते हैं तो इस मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए.''
अखबार में कहा गया है कि राज्यपाल काम के प्रति अपने उत्साह को लेकर जाने जाते हैं क्योंकि अतीत में वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक और भाजपा कार्यकर्ता रह चुके हैं. शिवसेना ने ताना मारा,‘‘ राज्य को ऐसा राज्यपाल मिला है जो किसी समयतालिका का पालन नहीं करते और लोगों ने तब यह अनुभव किया था जब उन्होंने देखा कि देवेंद्र फड़णवीस एवं अजीत पवार को (पिछले साल) तड़के शपथ दिलायी ग.'' संपादकीय में शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन सरकार की आलोचना करने के लिए बार बार राजभवन का चक्कर काटने को लेकर भाजपा की भी आलोचना की गयी है. इस सप्ताह के प्रारंभ में कोश्यारी ने जिलाधिकारियां एवं संभागीय आयुक्तों के साथ वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से बैठक की थी.
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