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This Article is From May 11, 2011

भोपाल गैस कांड के दोषियों की सजा नहीं बढ़ी

New Delhi: भोपाल गैस लीक कांड में अभियुक्तों की सजा बढ़ाने के लिए दायर की गई सीबीआई की क्यूरेटिव पेटिशन को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इसमें निचली अदालत कार्रवाई करे। सीबीआई ने संवैधानिक पीठ के सामने 2010 में क्यूरेटिव पेटिशन दायर किया था। सीबीआई की अपील थी कि 1996 में उनके द्वारा आरोपियों पर सिर्फ लापरवाही से मौत के आरोप लगाने के फैसले में सुधार की जरूरत है। आरोपियों पर गैर−इरादतन हत्या के आरोप लगने चाहिए। 2010 में हादसे के 26 साल बाद आए फैसले में सभी आरोपियों को दो−दो साल की सजा हुई थी।प्रधान न्यायाधीश एसएच कपाड़िया की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने यह कहकर उम्मीद की एक किरण छोड़ दी है कि मुख्य न्यायिक मैजिस्ट्रेट के फैसले के खिलाफ सत्र अदालत में लंबित कार्यवाही पर उसके आदेश का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। मुख्य न्यायिक मैजिस्ट्रेट ने यूनियन कार्बाइड इंडिया के अध्यक्ष केशुब महिन्द्रा सहित आरोपियों को दो साल की सजा सुनाई थी। पीठ ने कहा कि सीबीआई और मध्य प्रदेश सरकार इस बात का कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण देने में विफल रहे कि 14 साल के अंतराल के बाद उपचारात्मक याचिका क्यों दायर की गई। पीठ ने यह आदेश सर्वसम्मति से दिया। पीठ में न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर, आरवी रवीन्द्रन, बी सुदर्शन रेड्डी और आफताब आलम शामिल हैं। सीबीआई और मध्य प्रदेश सरकार ने यह उपचारात्मक याचिका समाज में इस फैसले को लेकर व्यापक विरोध बढ़ने के बाद दायर की थी। समाज में कई लोगों का मानना है कि दिसंबर, 1984 में हुई इस त्रासदी में काफी कम सजा दी गई, क्योंकि इसमें घातक गैस रिसाव के कारण 15 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई और हजारों लोग हमेशा के लिए प्रभावित हो गए।(इनपुट भाषा से भी)

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भोपाल गैस कांड, सुप्रीम कोर्ट, सीबीआई
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