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This Article is From Jun 28, 2020

कैसे 33 दिन में चीन ने गलवान में किया निर्माण, मजबूत की स्थिति

यह निर्माण गलवान नदी के तटबंध समेत भारतीय सेना के पेट्रोलिंग प्वाइंट के करीब किया गया है. इस प्वाइंट का नाम पेट्रोल प्वाइंट 14 (PP-14) है. जहां पर चीनी और भारतीय जवानों के बीच 15 जून को झड़प हुई थी.

कैसे 33 दिन में चीन ने गलवान में किया निर्माण, मजबूत की स्थिति
  • चीन ने गलवान में नदी के मोड़ पर किया निर्माण
  • कहा जाता है कि गलवान नदी के मोड़ पर बना तटबंध भारतीय क्षेत्र में आता है
  • यह तटबंध महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह ऊंचाई पर स्थित है
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नई दिल्ली:

चीन और भारत के बीच पूर्वी लद्दाख में हुई सैन्य झड़प के बाद दोनों देश क्षेत्र में शांति बहाल करने और अपनी सेनाओं को पीछे हटाने पर सहमत हुए हैं. इस बीच, एनडीटीवी को मिली सैटेलाइट तस्वीरों से यह साफ दिख रहा है कि चीन ने गलवान में नदी के मोड़ पर निर्माण किया है. यह नदी एलएसी से होकर गुजरती है और इसका बहाव भारतीय क्षेत्र में है. ये तस्वीरें 22 मई से 26 जून के बीच की हैं. 

यह निर्माण गलवान नदी के तटबंध समेत भारतीय सेना के पेट्रोलिंग प्वाइंट के करीब किया गया है. इस प्वाइंट का नाम पेट्रोल प्वाइंट 14 (PP-14) है. जहां पर चीनी और भारतीय जवानों के बीच 15 जून को झड़प हुई थी. इस झड़प में एक कर्नल समेत भारतीय सेना के 20 जवानों की मौत हो गई थी. भारत का मानना है कि चीन की सेना के एक कर्नल समेत कम से कम 45 जवान भी मारे गए थे. 

कहा जाता है कि गलवान नदी के मोड़ पर बना तटबंध भारतीय क्षेत्र में आता है. दूसरे शब्दों में कहे तो यह स्पष्ट रूप से चीनी सेना की घुसपैठ को दर्शाता है. गूगल अर्थ प्रो पर एलएसी को दर्शानी वाली एक रेखा की माने तो 137 मीटर तक घुसपैठ के संकेत मिलते हैं. हालांकि, चूंकि लद्दाख में एलएसी का आधिकारिक रूप से परिसीमित नहीं किया गया है कि इसलिए आक्रमण की बात एक बहस का मुद्दा है. यही मौजूदा विवाद का मूल कारण है.

हालांकि, जो स्पष्ट है वह यह है कि भारतीय सेना दशकों से तटबंध इलाके तक गश्त करती रही है. गलवान बेसिन में चीन की निर्माण गतिविधि से अब यह संभव नहीं लगता है. 

यह तटबंध महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह ऊंचाई पर स्थित है और इससे चीन के जवान नीचे गलवान घाटी में स्थित भारतीय शिविरों पर आसानी से नजर रख सकते हैं. तटबंध के सामने नदी के किनारे पत्थर की एक दीवार बनायी गयी है, जिसे देखने से लगता है कि भारतीय जवानों ने इसे सुरक्षा के लिये बनाया है. हालांकि 26 जून को प्राप्त हालिया तस्वीरों में पत्थर की इस दीवार के कुछ हिस्से गलवान नदी के बढ़ते जलस्तर में डूबे हुए दिख रहे हैं. उक्त स्थल पर भारतीय जवानों की मौजूदगी नहीं दिखाई पड़ रही है.

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Maxar और प्लेनेट लैब्स से एनडीटीवी को हासिल हुई तस्वीरों में 22 मई को तटबंध पर इग्लू स्टाइल के सिंगल शेलटर  और करीब 20 सैनिकों की मौजूदगी के संकेत मिलते हैं. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि ये भारतीय जवान हैं या चीनी सैनिक हैं. 22 मई की तस्वीर में इस संरचना के आसपास कोई निर्माण गतिविधि दिखाई नहीं दे रही है. अगली तस्वीर भारत और चीन के बीच सैन्य झड़प के एक दिन बाद 16 जून की है. 16 जून की इमेज में मलबा दिख रहा है, इसमें किसी निर्माण या सैनिक होने के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं.

इस साइट की बाद में मिली दो तस्वीरें पहले से बिल्कुल अलग हैं. Maxar से प्राप्त हाई रेज्यूलेशन इमेज तटबंध पर चट्टान से किलेबंदी की मौजूदगी को दर्शाती हैं. इसके कुछ हिस्से गुलाबी रंग के तिरपाल से ढ़के हुए दिखाई दे रहे हैं. तस्वीर तटबंध क्षेत्र में कम से कम 50 सैनिकों की मौजूदगी की ओर इशारा कर रही है. इसमें से करीब 25 सैनिक तटबंध के सिरे से सिर्फ 150 मीटर दूर खड़े हैं. तटबंध के पास चट्टान की ओर कम से कम चार नए शेलटर दिखाई पड़ रहे हैं. 16 जून की तस्वीर या उससे पहले की तस्वीरों में किसी शेलटर की मौजूदगी नहीं दिखती है.

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यहां दिखाई गई अंतिम इमेज 25 जून की प्लैनेट लैब्स की तस्वीर है और तटबंध में चीन की स्थिति को मजबूत करती प्रतीत होती है. गुलाबी रंग की कुछ तिरपालों को काले रंग के तिरपालों से बदल दिया गया है. इस इलाके को साफ कर दिया गया है मालूम होता है. किलेबंदी अब नहीं दिखाई दे रही है. 22 जून की तस्वीरों में चट्टान के साथ लगे हुए शेलटर यहां भी दिखाई दे रहे हैं. गौरतलब है कि 22 जून की तस्वीर में गलवान नदी उफान पर है. इसमें नदी के तट के विपरीत (भारतीय सेना की पोजिशन) पत्थर की दीवार का एक हिस्सा जलमग्न दिखाई पड़ रहा है.

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गलवान नदी के मोड़ पर स्थित तटबंध की तस्वीरों से एक ऐसी जगह पर चीन की सैनिकों की काफी गतिविधियां दिख रही हैं, जो सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. यह तटबंध नौ किलोमीटर के  एक क्षेत्र (Stretch) के अंत में हैं., जहां चीनी सेना ने घाटी को चौड़ा कर दिया है, सड़क के एक हिस्से को कारतोल से पक्का कर दिया है, सड़क के नीचे से सुरंग भी बनाया है और वहां सैकड़ों वाहन तैनात कर दिये हैं. उन्होंने छोटे से इलाके में 16 से अधिक कैंप (पहले से तैयार टेंट) लगाये हैं. इन सभी से यह साफ पता चलता है कि 26 जून तक गलवान घाटी में आपसी सहमति से सैन्य मौजूदगी को कम नहीं किया गया है. 

वीडियो: चीन ने गलवान घाटी में किया निर्माण

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