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This Article is From May 30, 2016

मालेगांव धमाके की आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने पांचवी बार दी जमानत अर्जी

मालेगांव धमाके की आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने पांचवी बार दी जमानत अर्जी
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर (फाइल फोटो)
मुंबई: मालेगांव 2008 धमाके में आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने अदालत में 5 वीं बार जमानत अर्जी दी है, जबकि सबको उम्मीद थी कि एनआईए से क्लीन चिट मिलने के बाद वे डिस्चार्ज अर्जी दायर करेंगी। कानून के जानकारों की मानें तो यह कदम एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। एनआईए ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट में साध्वी सहित 6 आरोपियों को क्लीन चिट दी है।

एनआईए की क्लीन चिट से बदली परिस्थिति
साध्वी प्रज्ञा सिंह की इसके पहले 4 बार जमानत याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। मकोका का विरोध से लेकर तबियत का हवाला देते हुए सर्वोच्च न्यायालय तक मामला पहुंचा था पर खारिज हो गया। लेकिन एनआईए की क्लीन चिट के बाद अब परिस्थिति बदल चुकी है।

जमानत के बाद डिस्चार्ज अर्जी
साध्वी के वकील जेपी मिश्रा के मुताबिक 'जांच एजेंसी एनआईए की सप्लीमेंट्री चार्जशीट के बाद अब हालात बदल गए हैं। एनआईए ने खुद ही केस पर से मकोका हटाने को कहा है और साध्वी के खिलाफ मुकदमा चलाने लायक सबूत नहीं होने की बात भी कही है। एक बार जमानत मिलने के बाद हम डिस्चार्ज अर्जी के लिए जा सकते हैं।'

डिस्चार्ज अर्जी पर सुनवाई में लंबा वक्त
जानकारों की मानें तो डिस्चार्ज अर्जी की सुनवाई में लंबा वक्त और अर्जी खारिज होने का खतरा भी है क्योंकि डिस्चार्ज अर्जी पर फैसला केस की मेरिट पर होता है जबकि जमानत के लिए बीमारी और दूसरे आधार भी होते हैं। और कोई भी अदालत जांच एजेंसी की रिपोर्ट मानने के लिए बाध्य नहीं है। वह चाहे तो एजेंसी की जांच और उसके सुझाव को खारिज कर सकती है। अरुषि हत्याकांड में सीबीआई की क्लोज़र रिपोर्ट को खारिज कर अदालत ने मुकदमा चलाने का आदेश दिया था और फिर उसमें सजा भी हुई। अभी इसी हफ्ते मालेगांव 2008 धमाके के  ही एक गवाह दिलीप पाटीदार के लापता होने की शिकायत की जांच कर रही सीबीआई ने इंदौर की अदालत में क्लोज़र रिपोर्ट फाइल की थी लेकिन अदालत ने उसे अमान्य करते हुए महाराष्ट्र एटीएस के दो अफसरों के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया है।

इंटरवीन याचिका दायर
एनआईए की क्लीन चिट का विरोध होना शुरू भी हो गया है। सोमवार को ही मामले में एक इंटरवीन याचिका दायर भी हो गई। मामले में दखल देने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अमजद खान के वकील शिवराज कुंचगे के मुताबिक मालेगांव धमाके से जुड़े 7 अहम गवाहों के बयान गायब हैं। इसलिए पहले उसके बारे में  मामला दर्ज कर जांच हो। क्योंकि उन बयानों के बिना मामले में फैसला लेना न्याय के खिलाफ होगा।  

साध्वी की इस नई जमानत अर्जी पर अदालत ने 6 जून तक जांच एजेंसी एनआईए को अपना पक्ष रखने को कहा है। साथ ही इंटरवीन अर्जी पर भी उसी दिन सुनवाई होगी।

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