आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार.
चंडीगढ़:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अयोध्या में जल्द से जल्द राम मंदिर के निर्माण के लिए एक अध्यादेश लाने या कानून बनाने की मंगलवार को मांग की. साथ ही संघ ने कहा कि विवादित भूमि मामले की सुनवाई में विलंब करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला हिंदू भावनाओं को 'आहत' करता है. आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई अगले साल जनवरी तक के लिए टाल दी है. उनका कहना है कि उनकी अपनी कुछ प्राथमिकताएं हैं.'
इस बात पर कायम रहते हुए कि यह करोड़ों हिंदुओं की आस्था का मामला है और न्याय में 'देरी' नहीं होनी चाहिए, कुमार ने पूछा, 'तो हमें किससे उम्मीद रखनी चाहिए?' 'राम जन्मभूमि से अन्याय क्यूं?' विषय पर हुई एक गोष्ठी में उन्होंने कहा, 'जवाब है सरकार.' कुमार ने कहा, 'सरकार एक कानून या अध्यादेश लाएगी और उन्हें ऐसा करना चाहिए लेकिन 11 दिसंबर तक आचार संहिता लागू है (पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के चलते). सरकार के हाथ तब तक बंधे हुए हैं.'
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बता दें, पांच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एक बार फिर राम मंदिर का मुद्दा उठाया गया है. रविवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था धैर्य का समय अब खत्म हुआ और अगर उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मामला सुप्रीम कोर्ट की प्राथमिकता में नहीं है तो मंदिर निर्माण कार्य के लिए कानून लाना चाहिए. राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की ओर से आयोजित एक रैली में भागवत ने कहा कि यह ‘आंदोलन का निर्णायक चरण' है.
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साथ ही भागवत ने कहा था, ‘एक साल पहले मैंने स्वयं कहा था कि धैर्य रखें. अब मैं ही कह रहा हूं कि धैर्य से काम नहीं होगा. अब हमें लोगों को एकजुट करने की जरूरत है. अब हमें कानून की मांग करनी चाहिए. चाहे जो भी कारण हो क्योंकि अदालत के पास समय नहीं है या राम मंदिर मामला उनकी प्राथमिकता में नहीं है अथवा संभवत: वह समाज की संवेदनशीलता को नहीं समझ पा रही है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह इस बारे में विचारे कि मंदिर निर्माण के लिये कैसे एक कानून लाया जाये... कानून जल्द से जल्द लाया जाना चाहिए.'
(इनपुट-भाषा)
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