RSS ने गोवध पर छपे पांचजन्य के लेख का किया खंडन, साथ बोली- यह हमारा मुखपत्र नहीं

RSS ने गोवध पर छपे पांचजन्य के लेख का किया खंडन, साथ बोली- यह हमारा मुखपत्र नहीं

आरएसएस के मुखपत्र का कवर पेज और दादरी में मारे गए अखलाक की फाइल फोटो

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने उन खबरों को 'निराधार' बताया, जिनमें कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में गोमांस खाने के अफवाह के चलते अखलाक नाम के शख्स की पीट-पीट कर हत्या का उसने समर्थन किया है। आरएसएस ने हालांकि यह कहकर इससे खुद को अलग कर लिया कि पांचजन्य उसका मुखपत्र नहीं है।

इससे पहले अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, संघ के मुखपत्र कहे जाने के आगामी अंक में 'इस उत्पात के उस पार' शीर्षक वाले लेख में वेदों के हवाला देते हुए गोवध करने वालों की हत्या को जायज ठहराया गया था।

अखबार के मुताबिक, तुफैल चतुर्वेदी ने अपने इस लेख में आरोप लगाया गया है कि मुस्लिम नेता भारतीय मुसलमानों को देश की परंपरा से नफरत करना सिखाते हैं। वह कहते हैं कि शायद इन्हीं बुरी नसीहतों से प्रभावित होकर अखलाक ने भी गाय को मारा होगा। तुफैल का असली नाम विनय कृष्ण चतुर्वेदी है, लेकिन वह तुफैल के नाम से ही लिखा करते हैं।
(पढ़ें - गोमांस पर बयान को लेकर PM मोदी नाराज)

हिंदुओं के लिए गाय बेहद अहम
एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, लेख में चुतर्वेदी लिखते हैं कि 'वेद का आदेश है कि गोहत्या करने वाले के प्राण ले लो। हममें से बहुत लोगों के लिए तो यह जीवन-मरण का प्रश्न है।' इसमें कहा गया है, 'गोहत्या हमारे लिए इतनी बड़ी बात है कि सैकड़ों साल से हमारे पूर्वज इसे रोकने के लिए अपनी जान की बाजी लगा कर हत्या करने वालों से टकराते रहे हैं। इतिहास में सैकड़ों बार ऐसे मौके आए हैं, जब मुस्लिम आक्रमणकारियों ने हिंदुओं को मुसलमान बनाने के लिए उनके मुंह में बीफ ठूंसा है।' लेख में हिंदुओं के लिए गाय की अहमियत पर कहा गया है कि सन 1857 में पहली क्रांति उस वक्त हुई, जब अंग्रेजों ने भारतीय सैनिकों को गोमांस की चर्बी वाली कारतूसों को दांत से काटने के लिए कहा था।

लेख पर RSS की सफाई
संघ के प्रवक्ता मनमोहन वैद्य की ओर जारी एक बयान में कहा गया, 'इस तरह की रिपोर्ट्स कि आरएसएस ने दादरी घटना का समर्थन किया है, पूरी तरह झूठी एवं निराधार हैं।' उन्होंने कहा, 'आरएसएस ने कभी किसी हिंसक घटना का समर्थन नहीं किया है।'

वैद्य ने कहा, 'आरएसएस ने दादरी हिंसा के बारे में स्पष्ट कहा है कि मामले की पूर्ण जांच होनी चाहिए और दोषी को सजा दी जानी चाहिए।' इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा, 'हिन्दी में पांचजन्य और अंग्रेजी में 'ऑर्गेनाइजर' संघ के मुखपत्र नहीं हैं। आरएसएस की ओर से सिर्फ एक आधिकारिक पदाधिकारी ही बोलता है।'

वहीं इस लेख पर जब पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर से प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा, 'हम किसी भी हिंसक घटना का समर्थन नहीं करते। मुझे याद नहीं कि हिंसा का समर्थन करता ऐसा कोई लेख छपा है। जांच चल रही है।'

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वहीं इस लेख पर प्रतिक्रिया देते हुए संघ के विचारक राकेश सिन्हा ने कहा कि पाञ्चजन्य में छपी एक लेखक की दिग्भर्मित राय को संघ की राय बताना गलत है। उन्होंने कहा कि आरएसएस दादरी घटना की पूरी तरह निंदा करती है और इसकी किसी भी तरह से समर्थन नहीं करती है।

  कांग्रेस ने साधा निशाना
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने इस मुद्दे को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट किया कि गौमांस और दादरी पर बयान देने पर अमित शाह ने मुख्य मंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री को तलब किया। संघ के मुखपत्र पांचजान्य ने भी इसका समर्थन किया है। तो क्या अमित शाह मोहन भागवत या पांचजान्य के सम्पादक को भी तलब करेंगे?   (एजेंसी इनपुट के साथ)