नई दिल्ली:
जाने-माने इतिहासकार पार्था चटर्जी के एक लेख पर विवाद हो गया है. पार्था चटर्जी ने कश्मीर में एक शख़्स को जीप से बांधकर ले जाने की तुलना जलियांवाला बाग कांड से करते हुए कहा है कि ये आज़ाद भारत का जनरल डायर मोमेंट है. पार्थो चटर्जी का कहना है कि दोनों घटनाओं के बचाव में जो तर्क दिए गए, वे काफी मिलते-जुलते हैं. पार्था चटर्जी के मुताबिक- जनरल डायर के कृत्य की विंस्टन चर्चिल और दूसरे नेताओं ने आलोचना की थी, जबकि मेजर गोगोई ने जो किया, पहले जनरल रावत ने उसका बचाव किया और फिर कई और मंत्री करते दिखे. पार्था चटर्जी का कहना है कि अगर ऐसे ही हालात रहे तो भारत के धीरे-धीरे पाकिस्तान के अयूब खान या जिया उल हक़ वाले दौर में पहुंच जाने का खतरा होगा.
जब मीडिया ने उनसे इस बारे में बात करने की कोशिश की तो उन्होंने एक बार फिर साफ किया कि वे अपनी बात पर कायम हैं. उन्होंने कहा कि अगर आगे कुछ कहना होगा तो वह अपनी बात प्रिंट मीडिया के माध्यम से रखेंगे. दरअसल- अनंतनाग उप-चुनाव के दौरान एक पोलिंग पार्टी को पत्थरबाजों और उपद्रवियों से बचाने के लिए सेना के मेजर गोगोई ने अपनी जीप के आगे एक स्थानीय नागरिक फारुक अहमद डार को बांध दिया था. उनके इस फ़ैसले की कई लोगों ने जमकर तारीफ़ की. सेना ने उन्हें विशेष मेडल से नवाजा. सेना प्रमुख ने भी खुलकर उनके समर्थन में बयान दिया. सेना प्रमुख जनरल रावत ने अपने बयान में कहा कि अगर कश्मीर में जवानों पर पत्थरबाजी होगी तो मैं उन्हें चुपचाप खड़े रहने और इंतज़ार करने को नहीं कह सकता. प्रदर्शकारियों के हाथों में पत्थर की जगह बंदूक होती तो हम सही तरीके से जवाब देते. जाहिर है ऐसे बयान के बाद कई लोगों ने उनकी आलोचना की.
जब मीडिया ने उनसे इस बारे में बात करने की कोशिश की तो उन्होंने एक बार फिर साफ किया कि वे अपनी बात पर कायम हैं. उन्होंने कहा कि अगर आगे कुछ कहना होगा तो वह अपनी बात प्रिंट मीडिया के माध्यम से रखेंगे. दरअसल- अनंतनाग उप-चुनाव के दौरान एक पोलिंग पार्टी को पत्थरबाजों और उपद्रवियों से बचाने के लिए सेना के मेजर गोगोई ने अपनी जीप के आगे एक स्थानीय नागरिक फारुक अहमद डार को बांध दिया था. उनके इस फ़ैसले की कई लोगों ने जमकर तारीफ़ की. सेना ने उन्हें विशेष मेडल से नवाजा. सेना प्रमुख ने भी खुलकर उनके समर्थन में बयान दिया. सेना प्रमुख जनरल रावत ने अपने बयान में कहा कि अगर कश्मीर में जवानों पर पत्थरबाजी होगी तो मैं उन्हें चुपचाप खड़े रहने और इंतज़ार करने को नहीं कह सकता. प्रदर्शकारियों के हाथों में पत्थर की जगह बंदूक होती तो हम सही तरीके से जवाब देते. जाहिर है ऐसे बयान के बाद कई लोगों ने उनकी आलोचना की.
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