मंदी की 'मार' त्यौहारों में भी बरकरार, दीवाली तक बाजार के सुधरने के नहीं दिख रहे आसार

त्योहारों का मौसम चल रहा है. दशहरा बीता है, दीवाली नज़दीक है लेकिन बावजूद इसके बाज़ारों की रौनक नहीं लौटी है. ये त्योहारों का मौसम है. लेकिन समारोह का मूड गायब दिख रहा है.

नई दिल्ली:

त्योहारों का मौसम चल रहा है. दशहरा बीता है, दीवाली नज़दीक है लेकिन बावजूद इसके बाज़ारों की रौनक नहीं लौटी है. ये त्योहारों का मौसम है. लेकिन समारोह का मूड गायब दिख रहा है. राजेश चड्डा मुंबई के दादर इलाक़े में जाइल गार्मेंट्स चलाते हैं. 24 साल से ये पारिवारिक दुकान चल रही है, लेकिन चड्डा बताते हैं कि इस साल धंधा मंदा है और दिवाली तक भी बाजार के सुधरने के आसार नहीं दिखते. पिछले साल के मुक़ाबले बिजनेस 40-50% कम है और मूल वजह आर्थिक मंदी है. हम छोटे दुकानदार इसकी क़ीमत चुका रहे हैं.

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मुंबई के ट्रेडर एसोसिएशन ने भी इसकी पुष्टि की है. उनके मुताबिक 40 फीसदी कारोबार पर मंदी का प्रभाव है. हालांकि छोटे ख़रीददारों के बाज़ार में ई-कॉमर्स ने भी ख़ासी सेंधमारी कर ली है, लेकिन लोगों के ख़र्च करने की ताक़त भी घटी है. यहां तक कि सोना भी; जिसे भरोसेमंद निवेश माना जाता है, इस मौसम में बदल रहा है.

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10 ग्राम के दाम 38,000 रुपये से ऊपर हैं और 2019 में 20% तक दाम बढ़े हैं. सोने की दुकान चलाने वाले आनंद पेडणेकर कहते हैं कि उन्होंने अब गहनों की डिज़ाइन बदल दी है, क्योंकि लोगों को हल्के गहने चाहिए.