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This Article is From Apr 04, 2016

चीन की फर्मों को दी गई मंजूरी पर फिर से विचार कर रहा भारत

चीन की फर्मों को दी गई मंजूरी पर फिर से विचार कर रहा भारत
प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली: भारतीय सुरक्षा तंत्र चीन की फर्मों को आर्थिक उदारीकरण नीतियों के तहत दी गई मंजूरी पर दुबारा गौर कर रहा है। हाल ही में चीन ने भारत का जैश ए मोहम्मद के मसूद अजहर को यूएन द्वारा बैन किए जाने के प्रस्ताव पर वीटो लगाने के प्रस्ताव पर साथ नहीं दिया। यही कारण है कि चीन को लेकर नीतियों पर पुनर्विचार किया जा रहा है।

मंजूरियों की समीक्षा करना चाहिए
अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि चीन की फर्मों को जो सुरक्षा मंजूरियां हाल में दी जा रही थीं उनकी दुबारा समीक्षा की जानी चाहिए। चीन ने पठानकोट हमले के सूत्रधार मसूद अजहर को आतंकवादियों की सूची में शामिल करने की भारत की मांग पर भारत का साथ नहीं दिया। चीनी रोक के बाद संयुक्त राष्ट्र में उसके स्थाई प्रतिनिधि लियु जीयी ने बीजिंग के दावे को दोहराते हुए कहा कि पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) का प्रमुख मसूद अजहर आतंकवादी की श्रेणी में नहीं आता।

आतंकवाद के खिलाफ नहीं मिल रहा चीन का साथ
हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब चीन ने पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन और उसके सरगना पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा बैन लगाए जाने के प्रस्ताव का विरोध किया हो। यूएन ने 2001 में जैश-ए-मोहम्मद पर बैन लगाया था, लेकिन भारत की ओर से 2008 के मुंबई हमलों के बाद अजहर पर बैन लगवाने की कोशिशों का चीन ने विरोध किया था। 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 5 स्थाई सदस्यों में चीन शामिल है और उसे वीटो पावर हासिल है। पिछले साल जुलाई में भी चीन ने पाकिस्तान की ओर से जकी-उर-रहमान लखवी को रिहा किए जाने के फैसले के खिलाफ भारत के प्रस्ताव का विरोध किया था।

चीन के रवैये के चलते पुनर्विचार की जरूरत
लेकिन भारत अब कुछ कड़े फैसले लेने को तैयार हो रहा है। दरअसल चीन द्वारा भारत में काफी निवेश किया जा रहा है। दो साल पहले तक चीन को भारत "a country of concern", यानी 'जिन देशों से भारत को चिंता है' की सूची में रखा था, लेकिन फिर दोनो देशों के संबंध बेहतर हुए और चीन को इस सूची से निकाल दिया गया। इसके बाद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृह मंत्री राजनाथ सिंह चीन भी गए थे। चीन के हाल के रवैए के बाद सुरक्षा तंत्र इस सूची की समीक्षा चाहता है। एक वरिष्ठ अफसर ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि "चीन ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों का साथ नहीं दिया है इसीलिए यह किया जाना जरूरी है।"   

दो सालों में 25 चीनी कम्पनियों को दी मंजूरी
पिछले दो सालों में चीन की करीब 25 कम्पनियों को भारत ने सुरक्षा मंजूरी दी है। यह मंजूरियां पावर रेलवे और टेलिकॉम सेक्टरों में दी गई हैं। मेक इन इंडिया को सफल बनाने के लिए गृह मंत्रालय ने भी चीन की कई ऐसी फर्मों को भारत में कारोबार करने की मंजूरी दे दी थी जिन्हें पहले नहीं दी जाती थी। सरकारी आकड़ों के मुताबिक 2015 में 1744 प्राजेक्टों को मंजूरी दी गई, जबकि 2014 में सिर्फ 815 को और 2013 में 712 को।

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