नई दिल्ली:
सातवें वेतन आयोग से सरकारी कर्मचारियों की नाराज़गी लगातार सामने आ रही है। दिल्ली में रेल कर्मचारियों ने सोमवार को आयोग की सिफ़ारिशों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया।
सोमवार को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ रेलकर्मी शायद पहली बार दिल्ली में इस तरह सड़क पर उतर आए। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर रेल कर्मचारियों के इस प्रदर्शन में पूरे एनसीआर से हिस्सा लेने लोग आए। न्यूनतम बेसिक सैलरी 18000 से बढ़ाने और पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने की मांग को लेकर DRM के दफ्तर के सामने सैकड़ों रेलवे के कर्मचारी जमा हुए। प्रदर्शन स्थल पर जगह-जगह पर पोस्टर्स लगे थे, "शौक नहीं मजबूरी है, अब हड़ताल ज़रूरी है।"
इसी प्रदर्शन में उमेश कुमार मिले जो उत्तर रेलवे में मालगाड़ी के लोको - पायलट हैं। गाज़ियाबाद में पोस्टेड हैं, नाराज़ हैं कि उन्हें वेतन आयोग की सिफ़ारिशों से कुछ नहीं मिला। कहते हैं दस साल बाद वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद उनकी टेक-होम सैलरी सिर्फ 5000 के आसपास बढ़ी है जो काफी कम है।
पिछले गुरुवार को कर्मचारी संगठनों ने वित्त मंत्री अरुण जेटली और गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी। चार दिन बीत चुके हैं लेकिन अब तक सरकार की तरफ से कोई जवाब अब तक नहीं आया है।
ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के महामंत्री कहते हैं, "हम चाहते हैं कि सरकार हमें लिखित में ठोस आश्वासन दे। जब तक आश्वासन नहीं आता हमारा विरोध जारी रहेगा।"
अब आगे की रणनीति पर विचार करने के लिए कर्मचारी संगठनों के नेताओं की बुधवार को बैठक बुलाई गयी है। केन्द्र सरकार के कर्मचारी पहले ही 11 जुलाई को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान कर चुके हैं। अब अगले छह दिन बेहद महत्वपूर्ण होंगे। देखना होगा कि सरकार कब तक केन्द्र सरकार के लाखों कर्मचारियों की मांगों पर उन्हें ज़रूरी आश्वासन दे पाती है।
सोमवार को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ रेलकर्मी शायद पहली बार दिल्ली में इस तरह सड़क पर उतर आए। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर रेल कर्मचारियों के इस प्रदर्शन में पूरे एनसीआर से हिस्सा लेने लोग आए। न्यूनतम बेसिक सैलरी 18000 से बढ़ाने और पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने की मांग को लेकर DRM के दफ्तर के सामने सैकड़ों रेलवे के कर्मचारी जमा हुए। प्रदर्शन स्थल पर जगह-जगह पर पोस्टर्स लगे थे, "शौक नहीं मजबूरी है, अब हड़ताल ज़रूरी है।"
इसी प्रदर्शन में उमेश कुमार मिले जो उत्तर रेलवे में मालगाड़ी के लोको - पायलट हैं। गाज़ियाबाद में पोस्टेड हैं, नाराज़ हैं कि उन्हें वेतन आयोग की सिफ़ारिशों से कुछ नहीं मिला। कहते हैं दस साल बाद वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद उनकी टेक-होम सैलरी सिर्फ 5000 के आसपास बढ़ी है जो काफी कम है।
पिछले गुरुवार को कर्मचारी संगठनों ने वित्त मंत्री अरुण जेटली और गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी। चार दिन बीत चुके हैं लेकिन अब तक सरकार की तरफ से कोई जवाब अब तक नहीं आया है।
ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के महामंत्री कहते हैं, "हम चाहते हैं कि सरकार हमें लिखित में ठोस आश्वासन दे। जब तक आश्वासन नहीं आता हमारा विरोध जारी रहेगा।"
अब आगे की रणनीति पर विचार करने के लिए कर्मचारी संगठनों के नेताओं की बुधवार को बैठक बुलाई गयी है। केन्द्र सरकार के कर्मचारी पहले ही 11 जुलाई को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान कर चुके हैं। अब अगले छह दिन बेहद महत्वपूर्ण होंगे। देखना होगा कि सरकार कब तक केन्द्र सरकार के लाखों कर्मचारियों की मांगों पर उन्हें ज़रूरी आश्वासन दे पाती है।
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