नई दिल्ली:
पीटीआई प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी नारायणसामी द्वारा अब किए इनकार के बावजूद अपनी इस खबर पर कायम है जिसके अनुसार उन्होंने कहा था कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) को बहुसदस्यीय निकाय में तब्दील किए जाने पर सरकार विचार कर रही है।
पीटीआई ने साक्षात्कार के दौरान नारायणसामी से पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक वीके शुंगलू की इस सिफारिश के बारे में पूछा था कि कैग को बहुसदसयीय निकाय बनाया जाना चाहिए।
मंत्री ने जवाब में कहा था, ‘‘इस (कैग को बहुसदस्यीय निकाय बनाए जाने की शुंगलू समिति की सिफारिश) पर सक्रियता से विचार चल रहा है। सरकार इस पर सक्रियता से विचार कर रही है।’’ मंत्री बाद में अपने बयान से पलटते दिखाई दिए और टेलीविजन चैनलों से कहा कि उनके बयान को ‘तोड़ मरोड़ कर’ पेश किया गया है।
नारायणसामी ने चैनलों से कहा कि उन्होंने पीटीआई के संवाददाता से कहा था कि शुंगलू समिति की छह रिपोर्ट सरकार के विचाराधीन हैं।
मंत्री ने सोमवार को दावा किया, ‘‘उसने (पीटीआई के संवाददाता) मुझसे खास तौर पर कैग के बारे में नहीं पूछा था। मैंने विशेष तौर पर उसे कैग के बारे में जवाब नहीं दिया जिसे उसने तोड़-मरोड़ कर मुझे यह कहते हुए बताया कि सरकार कैग को बहुसदस्यीय निकाय बनाने पर विचार कर रही है। मैंने यह नहीं कहा।’’
पीटीआई के साथ मंत्री के साक्षात्कार के रिकॉर्डेड टेप के अंश निम्नलिखित हैं : -
सवाल : छह रिपोर्ट सौंपने के अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने (शुंगलू) कैग में यह बदलाव किए जाने को कहा है कि इसे एक (सदस्यीय) की बजाय बहुसदस्यीय निकाय बनाया जाना चाहिए, सिफारिश प्रधानमंत्री कार्यालय में कहीं है।
उत्तर : नहीं, नहीं इस पर सक्रियता से विचार चल रहा है।
सवाल : क्या आपके कहने का मतलब यह है कि सरकार विचार कर रही है।
उत्तर : (मंत्री बीच में बोलते हुए) सक्रियता से विचार चल रहा है।
सवाल : अच्छा कैग तीन सदस्यीय निकाय होगा?
उत्तर : जब भी फैसला होगा, मैं आपको जानकारी दूंगा। दोनों चीजें (कैग और सीवीसी की मुख्य तकनीकी परीक्षण इकाई को अलग करने) सरकार के विचाराधीन हैं। भारत सरकार की इकाइयों में संवैधानिक सुधार के लिए दी गईं सभी रिपोर्ट और अलग-अलग सिफारिशें सरकार के विचाराधीन हैं।
शुंगलू के नेतृत्व में राष्ट्रमंडल खेल परियोजनाओं में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए 2010 में गठित उच्चस्तरीय समिति ने परियोजनाओं पर छह रिपोर्ट और अलग से एक पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपा था जिसमें इसने कैग को तीन सदस्यीय निकाय बनाने की सिफारिश की थी।
पीटीआई ने साक्षात्कार के दौरान नारायणसामी से पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक वीके शुंगलू की इस सिफारिश के बारे में पूछा था कि कैग को बहुसदसयीय निकाय बनाया जाना चाहिए।
मंत्री ने जवाब में कहा था, ‘‘इस (कैग को बहुसदस्यीय निकाय बनाए जाने की शुंगलू समिति की सिफारिश) पर सक्रियता से विचार चल रहा है। सरकार इस पर सक्रियता से विचार कर रही है।’’ मंत्री बाद में अपने बयान से पलटते दिखाई दिए और टेलीविजन चैनलों से कहा कि उनके बयान को ‘तोड़ मरोड़ कर’ पेश किया गया है।
नारायणसामी ने चैनलों से कहा कि उन्होंने पीटीआई के संवाददाता से कहा था कि शुंगलू समिति की छह रिपोर्ट सरकार के विचाराधीन हैं।
मंत्री ने सोमवार को दावा किया, ‘‘उसने (पीटीआई के संवाददाता) मुझसे खास तौर पर कैग के बारे में नहीं पूछा था। मैंने विशेष तौर पर उसे कैग के बारे में जवाब नहीं दिया जिसे उसने तोड़-मरोड़ कर मुझे यह कहते हुए बताया कि सरकार कैग को बहुसदस्यीय निकाय बनाने पर विचार कर रही है। मैंने यह नहीं कहा।’’
पीटीआई के साथ मंत्री के साक्षात्कार के रिकॉर्डेड टेप के अंश निम्नलिखित हैं : -
सवाल : छह रिपोर्ट सौंपने के अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने (शुंगलू) कैग में यह बदलाव किए जाने को कहा है कि इसे एक (सदस्यीय) की बजाय बहुसदस्यीय निकाय बनाया जाना चाहिए, सिफारिश प्रधानमंत्री कार्यालय में कहीं है।
उत्तर : नहीं, नहीं इस पर सक्रियता से विचार चल रहा है।
सवाल : क्या आपके कहने का मतलब यह है कि सरकार विचार कर रही है।
उत्तर : (मंत्री बीच में बोलते हुए) सक्रियता से विचार चल रहा है।
सवाल : अच्छा कैग तीन सदस्यीय निकाय होगा?
उत्तर : जब भी फैसला होगा, मैं आपको जानकारी दूंगा। दोनों चीजें (कैग और सीवीसी की मुख्य तकनीकी परीक्षण इकाई को अलग करने) सरकार के विचाराधीन हैं। भारत सरकार की इकाइयों में संवैधानिक सुधार के लिए दी गईं सभी रिपोर्ट और अलग-अलग सिफारिशें सरकार के विचाराधीन हैं।
शुंगलू के नेतृत्व में राष्ट्रमंडल खेल परियोजनाओं में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए 2010 में गठित उच्चस्तरीय समिति ने परियोजनाओं पर छह रिपोर्ट और अलग से एक पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपा था जिसमें इसने कैग को तीन सदस्यीय निकाय बनाने की सिफारिश की थी।
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