यह ख़बर 25 फ़रवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

सात उपग्रहों के साथ भारतीय रॉकेट का सफल प्रक्षेपण

खास बातें

  • सात उपग्रहों से लैस भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) का एक रॉकेट सोमवार को यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से छोड़ा गया।
श्रीहरिकोटा:

सात उपग्रहों से लैस भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) का एक रॉकेट सोमवार को यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से छोड़ा गया।

इसरो ने 2013 में 10 अंतरिक्ष अभियान संचालित करने की योजना बनाई है। सोमवार का अभियान इस कड़ी का पहला अभियान है।

44.4 मीटर लम्बा ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान-सी20 (पीएसएलवी-सी20) अंतरिक्ष में सात उपग्रह साथ ले गया है। इनमें से एक भारतीय-फ्रांसीसी उपग्रह है, जबकि बाकी छह विदेशी उपग्रह हैं।

यदि उपग्रहों का प्रक्षेपण सफल रहता है, तो इसरो द्वारा विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने का आंकड़ा 35 हो जाएगा। इसरो ने शुल्क लेकर पीएसएलवी-सी2 के जरिए विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने का काम 1999 में शुरू किया था।

उल्लेखनीय है कि भारत ने 1975 में पहली बार अंतरिक्ष अभियान शुरू किया था। तब एक रूसी रॉकेट से आर्यभट्ट उपग्रह का प्रक्षेपण किया गया था। अब तक देश ने 100 अंतरिक्ष अभियान पूरे कर लिए हैं।

पीएसएलवी-सी20 ने भारतीय-फ्रांसीसी एसएआरएएल उपग्रह (407 किलोग्राम) और छह अन्य विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण किया।

एसएआरएएल समुद्र की सतह की ऊंचाइयों का अध्ययन करेगा और उससे प्राप्त आंकड़े भारत और फ्रांस दोनों देश साझा करेंगे।
पीएसएलवी-सी20 द्वारा प्रक्षेपित किए जाने वाले अन्य उपग्रहों में दो उपग्रह कनाडा के, दो आस्ट्रिया, एक ब्रिटेन और एक डेनमार्क के हैं। कनाडा के दो उपग्रहों में हैं एनईओसैट (नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट स्पेस सर्विलांस सैटेलाइट) और सैफायर उपग्रह।

एनईओसैट का विकास कनेडियन स्पेस एजेंसी ने किया है, जबकि सैफायर का विकास मैकडोनल्ड, डेटविलर एंड एसोसिएट्स (एमडीए) ने किया है। ऑस्ट्रिया के उपग्रहों में हैं ब्राइट और यूनीब्राइट। रॉकेट ब्रिटेन के एसटीराएनडी-1 और डेनमार्क के एएयूएसएटी उपग्रह को भी साथ ले गया है।

एसटीराएनडी-1 (सुरे ट्रेनिंग, रिसर्च एंड नैनोसैटेलाइट डेमोंस्ट्रेटर) दुनिया का पहला स्मार्टफोन से संचालित होने वाला सूक्षम उपग्रह है। इस पर एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम वाला गूगल नेक्सस वन फोन लगाया गया है। इस फोन से कई तरह के आंकड़े जुटाए जाएंगे और यह अपने कैमरे से धरती की तस्वीरें भी लेगा।

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कनाडा का एनईओसैट धरती के आसपास मौजूद क्षुद्रग्रहों और धरती की कक्षा में घूमते अन्य उपग्रहों पर नजर रखेगा। साथ ही यह सूर्य के आसपास मौजूद अन्य छोटे उपग्रहों पर भी नजर रखेगा।