
राष्ट्रपति के चुनाव के वोटों की गिनती 20 जुलाई को होगी
नई दिल्ली:
सोमवार 17 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग होगी और जैसा कि उम्मीदवारों की घोषणा के बाद से ही कहा जा रहा है, आंकड़े एनडीए के पक्ष में हैं. इस चुनाव में एनडीए उम्मीदवार राम नाथ कोविंद और विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार आमने-सामने हैं लेकिन आंकड़ों में कोविंद का पलड़ा भारी दिख रहा है. मतों की गिनती 20 जुलाई को दिल्ली में होगी जहां विभिन्न राज्यों की राजधानियों से मत पेटियां लाई जाएंगी. इस चुनाव में दिलचस्प बात ये है कि बिहार में महागठबंधन में साथ जेडीयू और आरजेडी ने अलग-अलग उम्मीदवारों को वोट करने का फ़ैसला किया है. जेडीयू जहां बिहार के राज्यपाल रहे रामनाथ कोविंद का समर्थन कर रही है वहीं आरजेडी ने मीरा कुमार के समर्थन का फ़ैसला किया है. राष्ट्रपति चुनाव में कुल पड़ने वाले वोटों की संख्या दस लाख 98 हज़ार 903 है. एनडीए प्रत्याशी रामनाथ कोविंद को 63 फीसदी वोट मिलने की उम्मीद है. संसद भवन और राज्य विधानसभाओं में सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक वोट डाले जाएंगे.
इन चुनावों में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य तथा राज्य विधानसभाओं के सदस्य मतदाता होते हैं. इस चुनाव में एनडीए का पक्ष भारी लग रहा है लेकिन विपक्ष अपने उम्मीदवार के समर्थन में कुछ क्षेत्रीय दलों का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा है. बिहार के पूर्व राज्यपाल कोविंद और लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार ने देश भर में घूम-घूम कर अपनी उम्मीदवारी के समर्थन में लोगों से मत देने को कहा.
मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल इस साल 24 जुलाई को पूरा हो रहा है. अब तक मुखर्जी समेत 13 लोग इस पद पर रह चुके हैं. इन चुनावों में कुल 4896 मतदाता (4120 विधायक और 776 सांसद) अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिये पात्र हैं. राज्यों की विधान परिषद के सदस्य यानी विधान पार्षद इस चुनाव में हिस्सा नहीं लेते.
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लोकसभा अध्यक्ष जहां इस चुनाव में मत डाल सकता है वहीं एंग्लो-इंडियन समुदाय से लोकसभा में नामित होने वाले दो सदस्यों को मतदान का अधिकार नहीं होता है. राज्यसभा के भी 12 नामित सदस्य इन चुनावों में मतदान के अयोग्य होते हैं. यह चुनाव क्योंकि गोपनीय मतपत्र के जरिये होता है इसलिये पार्टियां अपने सदस्यों को किसी खास उम्मीदवार के पक्ष में मत डालने के लिये व्हिप जारी नहीं कर सकतीं.
भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के पास शिवसेना को मिलाकर कुल 5,37,683 वोट हैं और उसे करीब 12000 और मतों की जरूरत है. हालांकि बीजद, टीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस से समर्थन के वादे और अन्नाद्रमुक के एक धड़े से समर्थन की संभावना राष्ट्रपति चुनावों में वोटों की कमी के अंतर को पूरा कर सकती है.
(इनपुट भाषा से...)
इन चुनावों में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य तथा राज्य विधानसभाओं के सदस्य मतदाता होते हैं. इस चुनाव में एनडीए का पक्ष भारी लग रहा है लेकिन विपक्ष अपने उम्मीदवार के समर्थन में कुछ क्षेत्रीय दलों का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा है. बिहार के पूर्व राज्यपाल कोविंद और लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार ने देश भर में घूम-घूम कर अपनी उम्मीदवारी के समर्थन में लोगों से मत देने को कहा.
मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल इस साल 24 जुलाई को पूरा हो रहा है. अब तक मुखर्जी समेत 13 लोग इस पद पर रह चुके हैं. इन चुनावों में कुल 4896 मतदाता (4120 विधायक और 776 सांसद) अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिये पात्र हैं. राज्यों की विधान परिषद के सदस्य यानी विधान पार्षद इस चुनाव में हिस्सा नहीं लेते.
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लोकसभा अध्यक्ष जहां इस चुनाव में मत डाल सकता है वहीं एंग्लो-इंडियन समुदाय से लोकसभा में नामित होने वाले दो सदस्यों को मतदान का अधिकार नहीं होता है. राज्यसभा के भी 12 नामित सदस्य इन चुनावों में मतदान के अयोग्य होते हैं. यह चुनाव क्योंकि गोपनीय मतपत्र के जरिये होता है इसलिये पार्टियां अपने सदस्यों को किसी खास उम्मीदवार के पक्ष में मत डालने के लिये व्हिप जारी नहीं कर सकतीं.
भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के पास शिवसेना को मिलाकर कुल 5,37,683 वोट हैं और उसे करीब 12000 और मतों की जरूरत है. हालांकि बीजद, टीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस से समर्थन के वादे और अन्नाद्रमुक के एक धड़े से समर्थन की संभावना राष्ट्रपति चुनावों में वोटों की कमी के अंतर को पूरा कर सकती है.
(इनपुट भाषा से...)
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