प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
ऋणशोधन एवं दिवाला कानून के तहत घर खरीदारों को अब वित्तीय ऋणदाता माना जाएगा. इसका मलतब ये हुआ कि अगर रियल स्टेट की कोई कंपनी दिवालिया हुई तो नीलामी का हिस्सा घर खरीदार को भी मिलेगा. इसके लिए कानून में संशोधन करने के लिए मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत अध्यादेश को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है.
मोदी सरकार ने 30 PSLV और 10 GSLV एमके III लॉन्च के लिए 10,000 करोड़ की मंजूरी दी
एक आधिकारिक बयान के अनुसार , राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) अध्यादेश 2018 को जारी करने की मंजूरी दे दी है. बयान में कहा गया, ‘अध्यादेश में घर खरीदारों को वित्तीय ऋणदाता का दर्जा देकर महत्वपूर्ण राहत दी गयी है. इससे उन्हें ऋणदाताओं की समिति में प्रतिनिधित्व मिलेगा और वे निर्णय लेने की प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा होंगे.’ इसके अलावा घर खरीदार गलती करने वाले वाले डेवलपरों के खिलाफ दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता की धारा सात लगाने में सक्षम होंगे.
मोदी सरकार पर राहुल के हमले के बाद अरुण जेटली का पलटवार, पूछा - कांग्रेस अध्यक्ष जानते कितना हैं
कानून की धारा सात वित्तीय ऋणदाताओं को ऋणशोधन समाधान प्रक्रिया शुरू कराने का आवेदन करने का अधिकार देती है. यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब रियल एस्टेट कंपनियों की विलंबित व आधी अधूरी परियोजनाओं में बहुत से खरीदारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बयान के अनुसार लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) क्षेत्र की इकाइयों को भी इसका लाभ होगा क्यों कि उनके लिए उसमें विशिष्ट व्यवस्था का प्रावधान है. बयान में कहा गया , ‘इसका तात्कालिक लाभ यह होगा कि इससे कंपनी ऋणशोधन समाधान प्रक्रिया से गुजर रहे उपक्रम के प्रवर्तक उसके लिए बोली लगाने के अयोग्य नहीं होंगे बशर्ते उन्होंने कर्ज चुकाने में जानबूझ कर चूक नहीं की हो और उनमें कर्ज चूक से संबंधित किसी तरह की कोई अन्य अयोग्यता नहीं हो. ’
राहुल पीएम मोदी पर बरसे, मध्यप्रदेश के मंत्री ने कहा 'थ्री ईडियट्स' के चतुर
बयान के अनुसार, ‘यह आम हित में जरूरत होने पर एमएसएमई क्षेत्र के संबंध में केंद्र सरकार को अन्य छूट एवं सुधार का भी अधिकार देता है.’ मंत्रिमंडल ने अध्यादेश को 23 मई को मंजूरी दी थी. यह अध्यादेश संहिता के तहत प्रक्रिया में आ चुके मामले को वापस लेने के संबंध में कड़ी प्रक्रिया का भी प्रावधान करता है. बयान में कहा गया, ‘इस तरह वापस लेना सिर्फ तभी स्वीकार्य होगा जब इसे ऋणदाताओं की समिति में 90 प्रतिशत सदस्यों की सहमति प्राप्त होगी. इसके अलावा वापस लेने को सिर्फ तभी मंजूरी दी जाएगी जब आवेदन रूचिपत्र मंगाने की सूचना के प्रकाशन से पहले इसके लिए आवेदन किया गया होगा.’ बयान के अनुसार , नियमन से ऋणशोधन प्रक्रिया में बाध्यकारी समयसीमा एवं प्रक्रिया से स्पष्टता आएगी. बयान में कहा गया कि इसमें देर से आयी निविदाओं पर विचार नहीं करने , देर से निविदा देने वालों से कोई बातचीत नहीं करने और संपत्ति का अधिक से अधिक मूल्य प्राप्त करने जैसे मुद्दों का भी समाधान किया गया है. संबंधित सम्पत्ति को बेचे जाने के बजाय समाधान को को प्रोत्साहित करने के उद्येश्य से समाधान योजना की मंजूरी जैसे प्रमुख निर्णयों के लिए वोट में समर्थन की सीमा को 75 प्रतिशत से घटाकर 66 प्रतिशत कर दिया गया है. इसके अलावा सामान्य मुद्दों पर निर्णय 51 प्रतिशत वोट के साथ मंजूरी दी जा सकेगी.
2019 चुनाव से पहले मोदी सरकार इस योजना की घोषणा कर मैदान मारने की तैयारी में
इसके अलावा अध्यादेश ऋणदाताओं की समिति की बैठक में प्राधिकृत प्रतिनिधित्व के जरिये एक नियत संख्या से इतर प्रतिभूति धारकों , जमा धारकों एवं वित्तीय ऋणदाताओं के सभी वर्ग की भागीदारी मंजूर करने की रूपरेखा मुहैया कराता है. बयान में कहा गया, ‘संहिता की धारा 29(ए) के आधार पर अयोग्य ठहराने के विस्तृत दायरे को ध्यान में रखते हुए यह प्रावधान किया गया है कि समाशोधन आवेदक अपने दावे को को योग्य प्रमाणित करने के लिए हलफनामा जमा कर सकते हैं. इससे अपनी योग्यता साबित करने की प्राथमिक जिम्मेदारी आवेदक की हो जाती है.’
अध्यादेश के तहत सफल आवेदक को विभिन्न कानूनों के अनुसार विविध विधायी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कम से कम एक साल की अतिरिक्त अवधि मिलेगी. इसके साथ ही कॉरपोरेट ऋणदाताओं के लिए अपनी तरफ से समाशोधन प्रक्रिया शुरू करने हेतू एक ‘विशेष प्रस्ताव’ लाने की व्यवस्था भी शामिल की गयी है. ऋण शोधन एवं दिवाला बोर्ड (आईबीबीआई) के पास इस क्षेत्र में विकास का विशिष्ट कार्य करने की जिम्मेदी तथा विशिष्ट सेवाओं के लिए शुल्क लगाने का अधिकार भी दिया गया है.
मोदी सरकार ने 30 PSLV और 10 GSLV एमके III लॉन्च के लिए 10,000 करोड़ की मंजूरी दी
एक आधिकारिक बयान के अनुसार , राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) अध्यादेश 2018 को जारी करने की मंजूरी दे दी है. बयान में कहा गया, ‘अध्यादेश में घर खरीदारों को वित्तीय ऋणदाता का दर्जा देकर महत्वपूर्ण राहत दी गयी है. इससे उन्हें ऋणदाताओं की समिति में प्रतिनिधित्व मिलेगा और वे निर्णय लेने की प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा होंगे.’ इसके अलावा घर खरीदार गलती करने वाले वाले डेवलपरों के खिलाफ दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता की धारा सात लगाने में सक्षम होंगे.
मोदी सरकार पर राहुल के हमले के बाद अरुण जेटली का पलटवार, पूछा - कांग्रेस अध्यक्ष जानते कितना हैं
कानून की धारा सात वित्तीय ऋणदाताओं को ऋणशोधन समाधान प्रक्रिया शुरू कराने का आवेदन करने का अधिकार देती है. यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब रियल एस्टेट कंपनियों की विलंबित व आधी अधूरी परियोजनाओं में बहुत से खरीदारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बयान के अनुसार लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) क्षेत्र की इकाइयों को भी इसका लाभ होगा क्यों कि उनके लिए उसमें विशिष्ट व्यवस्था का प्रावधान है. बयान में कहा गया , ‘इसका तात्कालिक लाभ यह होगा कि इससे कंपनी ऋणशोधन समाधान प्रक्रिया से गुजर रहे उपक्रम के प्रवर्तक उसके लिए बोली लगाने के अयोग्य नहीं होंगे बशर्ते उन्होंने कर्ज चुकाने में जानबूझ कर चूक नहीं की हो और उनमें कर्ज चूक से संबंधित किसी तरह की कोई अन्य अयोग्यता नहीं हो. ’
राहुल पीएम मोदी पर बरसे, मध्यप्रदेश के मंत्री ने कहा 'थ्री ईडियट्स' के चतुर
बयान के अनुसार, ‘यह आम हित में जरूरत होने पर एमएसएमई क्षेत्र के संबंध में केंद्र सरकार को अन्य छूट एवं सुधार का भी अधिकार देता है.’ मंत्रिमंडल ने अध्यादेश को 23 मई को मंजूरी दी थी. यह अध्यादेश संहिता के तहत प्रक्रिया में आ चुके मामले को वापस लेने के संबंध में कड़ी प्रक्रिया का भी प्रावधान करता है. बयान में कहा गया, ‘इस तरह वापस लेना सिर्फ तभी स्वीकार्य होगा जब इसे ऋणदाताओं की समिति में 90 प्रतिशत सदस्यों की सहमति प्राप्त होगी. इसके अलावा वापस लेने को सिर्फ तभी मंजूरी दी जाएगी जब आवेदन रूचिपत्र मंगाने की सूचना के प्रकाशन से पहले इसके लिए आवेदन किया गया होगा.’ बयान के अनुसार , नियमन से ऋणशोधन प्रक्रिया में बाध्यकारी समयसीमा एवं प्रक्रिया से स्पष्टता आएगी. बयान में कहा गया कि इसमें देर से आयी निविदाओं पर विचार नहीं करने , देर से निविदा देने वालों से कोई बातचीत नहीं करने और संपत्ति का अधिक से अधिक मूल्य प्राप्त करने जैसे मुद्दों का भी समाधान किया गया है. संबंधित सम्पत्ति को बेचे जाने के बजाय समाधान को को प्रोत्साहित करने के उद्येश्य से समाधान योजना की मंजूरी जैसे प्रमुख निर्णयों के लिए वोट में समर्थन की सीमा को 75 प्रतिशत से घटाकर 66 प्रतिशत कर दिया गया है. इसके अलावा सामान्य मुद्दों पर निर्णय 51 प्रतिशत वोट के साथ मंजूरी दी जा सकेगी.
2019 चुनाव से पहले मोदी सरकार इस योजना की घोषणा कर मैदान मारने की तैयारी में
इसके अलावा अध्यादेश ऋणदाताओं की समिति की बैठक में प्राधिकृत प्रतिनिधित्व के जरिये एक नियत संख्या से इतर प्रतिभूति धारकों , जमा धारकों एवं वित्तीय ऋणदाताओं के सभी वर्ग की भागीदारी मंजूर करने की रूपरेखा मुहैया कराता है. बयान में कहा गया, ‘संहिता की धारा 29(ए) के आधार पर अयोग्य ठहराने के विस्तृत दायरे को ध्यान में रखते हुए यह प्रावधान किया गया है कि समाशोधन आवेदक अपने दावे को को योग्य प्रमाणित करने के लिए हलफनामा जमा कर सकते हैं. इससे अपनी योग्यता साबित करने की प्राथमिक जिम्मेदारी आवेदक की हो जाती है.’
अध्यादेश के तहत सफल आवेदक को विभिन्न कानूनों के अनुसार विविध विधायी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कम से कम एक साल की अतिरिक्त अवधि मिलेगी. इसके साथ ही कॉरपोरेट ऋणदाताओं के लिए अपनी तरफ से समाशोधन प्रक्रिया शुरू करने हेतू एक ‘विशेष प्रस्ताव’ लाने की व्यवस्था भी शामिल की गयी है. ऋण शोधन एवं दिवाला बोर्ड (आईबीबीआई) के पास इस क्षेत्र में विकास का विशिष्ट कार्य करने की जिम्मेदी तथा विशिष्ट सेवाओं के लिए शुल्क लगाने का अधिकार भी दिया गया है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं