New Delhi:
लोकसभा में भ्रष्टाचार पर बहस का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार मिटाने की हरसंभव कोशिश करेगी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अन्ना हजारे पक्ष और सरकार के बीच बने गतिरोध को तोड़ने के लिए संसद की सर्वोच्चता बनाए रखने के साथ समाज के पक्ष की बात को भी समाहित करने का सुझाव रखा। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर गतिरोध को समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि अन्ना हजारे, अरुणा रॉय और सरकार के लोकपाल विधेयक सहित इस संदर्भ के सभी मसौदों के मजबूत और कमजोर पक्षों पर संसद में चर्चा करके उनका निचोड़ संसद की स्थायी समिति को भेजा जाए। उन्होंने कहा कि लोकपाल के मुद्दे पर अन्ना हजारे की टीम के साथ कई बिंदुओं पर मतभेद हैं। उन्होंने कहा कि लोकपाल बिल पर सरकारी मसौदे के अतिरिक्त टीम अन्ना के जन लोकपाल बिल, अरुणा रॉय के ड्राफ्ट तथा इसके अतिरिक्त अन्य सुझावों पर भी संसद में बहस होनी चाहिए। इस बाबत उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से इजाजत देने की अपील की और कहा कि बहस के बाद सभी मसौदों के कमजोर तथा मजबूत पहलुओं को स्टैडिंग कमेटी के आगे रखा जाए।प्रधानमंत्री ने सदन को आश्वासन दिया कि सरकार जन लोकपाल विधेयक सहित लोकपाल को लेकर सभी मतों पर खुले मन से विचार करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि संसद की स्थायी समिति सभी विकल्पों पर विचार कर सकती है। ऐसे रास्ते ढूंढे जा सकते हैं कि अन्ना के विधेयक पर उचित ध्यान दिया जा सके। उन्होंने कहा कि अन्ना के विधेयक के साथ ही कई अन्य मसौदे भी हैं जिन सब पर विचार करके एक मजबूत एवं प्रभावकारी लोकपाल पर आमराय बनाई जा सकती है। सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार राष्ट्र के समक्ष एक बहुआयामी समस्या है और इससे निपटने के लिए प्रभावकारी तरीके खोजने होंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों की जिम्मेदारी है कि वह व्यवस्था को साफ-सुथरा बनाएं। उन्होंने कहा कि 50 प्रतिशत खर्च राज्य सरकारें करती हैं और उन खर्चों का ठीक से लेखाजोखा होना चाहिए। सार्वजनिक कोष के दुरुपयोग को लेकर जनता में भारी आक्रोश है। भ्रष्टाचार के बहुत सारे स्रोत बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसका सबसे बड़ा स्रोत लाइसेंसिग व्यवस्था है। कराधान की दर को उन्होंने भ्रष्टाचार का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत बताते हुए इसे आसान और संतुलित बनाने की जरूरत बताई। सिंह ने स्वीकार किया कि भ्रष्टाचार के अन्य स्रोतों में केंद्र सरकार के कार्यक्रम और जन वितरण प्रणाली में अनियमितता शामिल है। यह कार्यक्रम राज्य सरकारें लागू करती है, इस बारे में उनकी भी बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने खरीद में ठेके की व्यवस्था को भी भ्रष्टाचार का एक बड़ा स्रोत बताया और कहा कि हमें कुछ अन्य देशों द्वारा अपनाए गए उपायों को अपनाना होगा, जिससे की इनमें भ्रष्टाचार की आशंका कम से कम हो। मनमोहन ने कहा, मुझसे गलतियां हुई होंगी, लेकिन मैंने देश की सेवा करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि उन पर व्यक्तिगत रूप से हमले किए जाए रहे हैं। कुछ लोग उन्हें इस तरह से निशाना बना रहे हैं, मानो सभी भ्रष्टाचारों की जड़ में वही हैं। मनमोहन ने कहा, मैंने कभी भी अपने पद का गलत इस्तेमाल नहीं किया। विपक्ष जो कहे आज भारत को दुनिया इज्जत देती है। मजबूत अर्थव्यवस्था के चलते भारत की साख बढ़ी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने अगले दो महीने के काम का खाका तैयार कर रखा है।(इनपुट भाषा से भी)
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