पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार दशहरे पर लखनऊ की प्रसिद्ध ऐशबाग रामलीला में हिस्सा ले सकते हैं. बीजेपी नेताओं के अनुसार, प्रधानमंत्री से इसके लिए अनुरोध किया गया है और अब उनकी औपचारिक 'हां' का इंतजार है. राज्य बीजेपी नेताओं ने प्रधानमंत्री के संभावित दौरे के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं.
लखनऊ के ऐशबाग की रामलीला देश की सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक रामलीलाओं में से एक है. माना जाता है कि तुलसीदास द्वारा रामचरितमानस का सृजन करने के बाद उनके शिष्यों ने इस रामलीला की शुरुआत करीब तीन सौ वर्ष पूर्व की थी. यह गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक भी है. नवाबों के शासन के दौर में यह रामलीला चलती रही. 19 वीं शताब्दी में श्रीरामलीला समिति ऐशबाग का पंजीकरण कराया गया था.
लखनऊ के मेयर और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा श्रीरामलीला समिति ऐशबाग के संरक्षक हैं. शर्मा ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया है कि वे इस रामलीला में आएं. अमूमन सारे प्रधानमंत्री दिल्ली में रामलीला मैदान पर रामलीला समितियों के कार्यक्रमों में हिस्सा लेते आए हैं हालांकि 2014 में प्रधानमंत्री मोदी को वहां रावण दहन कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया था क्योंकि समिति के मुख्य संरक्षक और पूर्व कांग्रेस सांसद जयप्रकाश अग्रवाल ने पीएम मोदी की मौजूदगी का विरोध किया था. इसके बाद पीएम मोदी ने सुभाष मैदान में रावण दहन कार्यक्रम में हिस्सा लिया था.
ऐशबाग की ऐतिहासिक रामलीला कभी पूरे मैदान में हाथी-घोड़ों और रथों के जरिए होती थी. बाद में इसे मंच पर कर दिया गया. वहां राम भवन और तुलसी भवन का निर्माण भी किया गया है. पिछले साल ऐशबाग रामलीला की थीम गोहत्या प्रतिबंध थी और मंच का निर्माण अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर की तरह किया गया था. इस साल रामलीला में थाईलैंड के कलाकारों को भी बुलाया गया है.
गौरतलब है कि बीजेपी ने तय किया है कि राज्य में आने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर प्रधानमंत्री महीने में कम से कम एक बार उत्तर प्रदेश जरूर आएं. बीजेपी का कहना है कि दशहरे पर पीएम के लखनऊ आने से कार्यकर्ताओं का जोश दोगना हो जाएगा.
लखनऊ के ऐशबाग की रामलीला देश की सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक रामलीलाओं में से एक है. माना जाता है कि तुलसीदास द्वारा रामचरितमानस का सृजन करने के बाद उनके शिष्यों ने इस रामलीला की शुरुआत करीब तीन सौ वर्ष पूर्व की थी. यह गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक भी है. नवाबों के शासन के दौर में यह रामलीला चलती रही. 19 वीं शताब्दी में श्रीरामलीला समिति ऐशबाग का पंजीकरण कराया गया था.
लखनऊ के मेयर और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा श्रीरामलीला समिति ऐशबाग के संरक्षक हैं. शर्मा ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया है कि वे इस रामलीला में आएं. अमूमन सारे प्रधानमंत्री दिल्ली में रामलीला मैदान पर रामलीला समितियों के कार्यक्रमों में हिस्सा लेते आए हैं हालांकि 2014 में प्रधानमंत्री मोदी को वहां रावण दहन कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया था क्योंकि समिति के मुख्य संरक्षक और पूर्व कांग्रेस सांसद जयप्रकाश अग्रवाल ने पीएम मोदी की मौजूदगी का विरोध किया था. इसके बाद पीएम मोदी ने सुभाष मैदान में रावण दहन कार्यक्रम में हिस्सा लिया था.
ऐशबाग की ऐतिहासिक रामलीला कभी पूरे मैदान में हाथी-घोड़ों और रथों के जरिए होती थी. बाद में इसे मंच पर कर दिया गया. वहां राम भवन और तुलसी भवन का निर्माण भी किया गया है. पिछले साल ऐशबाग रामलीला की थीम गोहत्या प्रतिबंध थी और मंच का निर्माण अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर की तरह किया गया था. इस साल रामलीला में थाईलैंड के कलाकारों को भी बुलाया गया है.
गौरतलब है कि बीजेपी ने तय किया है कि राज्य में आने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर प्रधानमंत्री महीने में कम से कम एक बार उत्तर प्रदेश जरूर आएं. बीजेपी का कहना है कि दशहरे पर पीएम के लखनऊ आने से कार्यकर्ताओं का जोश दोगना हो जाएगा.
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