जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (फाइल फोटो)
श्रीनगर:
जम्मू-कश्मीर में करीब दो महीने तक रही अशांति के बाद राज्य में धीरे-धीरे सामान्य स्थिति लौटने के बीच मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने रविवार को गांधी जयंती के अवसर पर कहा कि घाटी के लोगों की तरफ से महात्मा गांधी को बेहतरीन श्रद्धांजलि यह होगी कि वे शांति एवं भाईचारे के दर्शन का पालन करें.
राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए महबूबा ने कहा कि अहिंसा, सद्भावनापूर्ण सह-अस्तित्व और आपसी सम्मान के दर्शन हमेशा प्रासंगिक रहेंगे और विभिन्न राजनीतिक एवं जातीय टकरावों से जूझ रही आज की दुनिया में तो यह और भी प्रासंगिक है.
महबूबा ने कहा कि पिछले कुछ सालों में संकट की वजह से जम्मू-कश्मीर में जानमाल का बहुत नुकसान हुआ है, आर्थिक तंगी छाई है, सांस्कृतिक विघटन हुआ है और शैक्षणिक अशक्तिकरण हुआ है. मुख्यमंत्री ने कहा कि कश्मीर की असल तस्वीर सांप्रदायिक सद्भाव और धार्मिक सहनशीलता की है.
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार को लोगों की तकलीफें कम करने के लिए वक्त और जगह दी जाए. उन्होंने कहा, ‘हम अहिंसा और आपसी सम्मान के दर्शन को अपनाकर गांधी जी को सबसे अच्छी श्रद्धांजलि दे सकते हैं.’ महबूबा ने कहा, ‘शांति बहाल करने में मेरी मदद करें और मैं मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत का रास्ता तलाश लूंगी.’
उन्होंने कहा कि गरीबी और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से निपटने के लिए अधिकतम संसाधनों का इस्तेमाल करना चाहिए, लेकिन इसके उलट इनके मद की धनराशि रक्षा एवं सुरक्षा जैसे क्षेत्रों पर खर्च की जा रही है. महबूबा ने कहा, ‘लिहाजा, शांति एवं सद्भाव, खासकर दक्षिण एशियाई क्षेत्र में, वक्त की मांग हैं.. जहां लोग अब भी गरीबी और मुफलिसी से जूझ रहे हैं.’
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के वक्त में जिस तरह के हालात हैं, उनमें हमें शांति को एक मौका देने का प्रण करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘हिंसा से कुछ हासिल नहीं होता, बल्कि विकास, अर्थव्यवस्था, कारोबार, व्यापार, पर्यटन एवं शिक्षा के संदर्भ में इसने लोगों को परेशानी में डाला है.’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए महबूबा ने कहा कि अहिंसा, सद्भावनापूर्ण सह-अस्तित्व और आपसी सम्मान के दर्शन हमेशा प्रासंगिक रहेंगे और विभिन्न राजनीतिक एवं जातीय टकरावों से जूझ रही आज की दुनिया में तो यह और भी प्रासंगिक है.
महबूबा ने कहा कि पिछले कुछ सालों में संकट की वजह से जम्मू-कश्मीर में जानमाल का बहुत नुकसान हुआ है, आर्थिक तंगी छाई है, सांस्कृतिक विघटन हुआ है और शैक्षणिक अशक्तिकरण हुआ है. मुख्यमंत्री ने कहा कि कश्मीर की असल तस्वीर सांप्रदायिक सद्भाव और धार्मिक सहनशीलता की है.
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार को लोगों की तकलीफें कम करने के लिए वक्त और जगह दी जाए. उन्होंने कहा, ‘हम अहिंसा और आपसी सम्मान के दर्शन को अपनाकर गांधी जी को सबसे अच्छी श्रद्धांजलि दे सकते हैं.’ महबूबा ने कहा, ‘शांति बहाल करने में मेरी मदद करें और मैं मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत का रास्ता तलाश लूंगी.’
उन्होंने कहा कि गरीबी और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से निपटने के लिए अधिकतम संसाधनों का इस्तेमाल करना चाहिए, लेकिन इसके उलट इनके मद की धनराशि रक्षा एवं सुरक्षा जैसे क्षेत्रों पर खर्च की जा रही है. महबूबा ने कहा, ‘लिहाजा, शांति एवं सद्भाव, खासकर दक्षिण एशियाई क्षेत्र में, वक्त की मांग हैं.. जहां लोग अब भी गरीबी और मुफलिसी से जूझ रहे हैं.’
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के वक्त में जिस तरह के हालात हैं, उनमें हमें शांति को एक मौका देने का प्रण करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘हिंसा से कुछ हासिल नहीं होता, बल्कि विकास, अर्थव्यवस्था, कारोबार, व्यापार, पर्यटन एवं शिक्षा के संदर्भ में इसने लोगों को परेशानी में डाला है.’
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