कोरोनावायरस के शिकंजे से निकल आए शख्स ने सुनाई दाखिले से डिस्चार्ज होने तक की पूरी दास्तान...

कोरोनावायरस (Coronavirus) की वजह से अभी तक देश में कुल 649 लोग संक्रमण के शिकार हुए, जबकि 13 लोगों की मौत हो चुकी है. पूरा देश लॉकडाउन है और COVID-19 के संक्रमण से बचने के लिए लोगों को घर में ही रहने के लिए लगातार सलाह दी जा रही है.

कोरोनावायरस के शिकंजे से निकल आए शख्स ने सुनाई दाखिले से डिस्चार्ज होने तक की पूरी दास्तान...

कोरोनावायरस: शख्स ने सुनाई दाखिले से डिस्चार्ज होने तक की पूरी दास्तान- प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:

कोरोनावायरस (Coronavirus) की वजह से अभी तक देश में कुल 649 लोग संक्रमण के शिकार हुए, जबकि 13 लोगों की मौत हो चुकी है. पूरा देश लॉकडाउन है और COVID-19 के संक्रमण से बचने के लिए लोगों को घर में ही रहने के लिए लगातार सलाह दी जा रही है.  ऐसे में राहत भरी खबर सुनने की तब मिली, जब कोरोना पॉजिटिव आने के बाद अस्पताल से ठीक होकर डिस्चार्ज हुए शख्स ने अपनी पूरी आपबीती सुनाई. कोरोना पॉजिटिव पाए गए शख्स की पिछले ही महीने फरवरी में शादी हुई थी, जिसके बाद वह हनीमून के लिए ग्रीस, स्विटजरलैंड और फ्रांस गए हुए थे. वापस आने के बाद न सिर्फ उन्हें कोरोना पॉजिटिव हुआ, बल्कि उनकी पत्नी भी इसका शिकार हो गईं.

फोन पर एनडीटीवी से बात करते हुए उन्होंने कहा, ''मैं डिस्चार्ज हो चुका हूं, फिलहाल 28 दिनों के लिए होम क्वारंटाइन में हूं. मेरी शादी फरवरी में हुई और हनीमून के लिये ग्रीस, स्विटजरलैंड और फ्रांस गया था. इसके बाद 6 मार्च को वापस लौटा. वापसी जब हुई तो स्क्रीनिंग में कुछ नहीं आया. मुंबई में अपने पेरेंट्स के पास गए और वहां दो दिन रुके. फिर वर्क प्लेस बैंगलोर आ गया. 9 मार्च को सिरदर्द आया और फिर हल्का बुखार. अगले दिन 10 मार्च को तेज फीवर और गले में खरास हुआ.

कोरोना पॉजिटिव पाए शख्स ने आगे बताया, ''10 मार्च को टेस्ट के लिए गया. 11 मार्च को डॉक्टर का कॉल आया और बताया गया कि कोरोना का सस्पेक्टेड हूं. मुझे घबराहट हुई, लेकिन फोन पर ही डॉक्टर ने बताया कि पैनिक मत होइए. आपको हॉस्पिटल आना है. हम एम्बुलेंस भेज रहे हैं. मुझे लगा कि आइसोलेशन वार्ड छोटा होगा पर काफी बड़ा और साफ था. मैं बंगलोर के जाया नगर जनरल हॉस्पिटल में था. काफी अच्छी व्यवस्था थी. वेंटिलटेड रूम था. कोई घुटन नहीं हो रही थी.''

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उन्होंने आगे बताया, ''फोन पास में था और बात कर सकते थे और करता भी था. मेरी सोच में था कि अस्पताल का खाना अच्छा नहीं होता पर सब बढ़िया था. लोगों को यही कहना कि एहतियात लें, पैनिक न करें. डॉक्टर की बात मानिए. मेडिकेशन शुरू हुआ और फायदा दिखने लगा. नार्मल फील करने लगा. जो सरकार के रही है उसको फॉलो करें और आपके लिए और सोसाइटी के लिए ज़रूरी है. जिन्होंने इलाज किया उनको मेरा सैल्यूट है. वाइफ भी पॉजिटिव हैं पर अभी डिस्चार्ज नहीं. रिकवर हो रही हैं. जब मैं ठीक हुआ तो वो भी रिलीफ थीं. साइकोलॉजिकली थोड़ा डाउन हर कोई होता है वो भी हैं पर उम्मीद हमसे मिल रही है. डरने की नहीं केयरफुल रहने की ज़रूरत है.''