तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि सरकार संसद के प्रति गंभीर नहीं है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
संसद का मॉनसून सत्र 18 जुलाई से 10 अगस्त तक चलेगा. इस बार फिर सरकार और विपक्षी दलों के बीच जमकर हंगामा होने का अंदेशा है. सबसे बड़ा टकराव राज्यसभा के नए उप-सभापति के चुनाव को लेकर होगा. सोमवार को कैबिनेट की संसदीय मामलों की समिति ने संसद का मॉनसून सत्र 18 जुलाई से 10 अगस्त तक बुलाने का ऐलान कर दिया. इसके साथ ही इस चुनावी साल में सत्ता पक्ष और विपक्ष की तरफ से तलवारें खिंच गई हैं.
मॉनसून सत्र के ऐलान के बाद विपक्ष ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं. तृणमूल कांग्रेस ने शिकायत की है कि सरकार ने मॉनसून सत्र की अवधि काफी छोटी रखी है. तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट कर कहा, 'एनडीए सरकार के कार्यकाल के दौरान मॉनसून सत्र की अवधि में काफी कमी आई है. 2010 और 2011 में मॉनसून सत्र 26 दिन चला था, जबकि इस बार इसे घटाकर सिर्फ 18 दिन कर दिया गया है. ये सरकार संसद को लेकर गंभीर नहीं है.'
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उधर, संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा कि महिलाओं को बराबरी का हक दिलाने वाला त्रिपल तलाक बिल समेत कई अहम विधेयक सरकार के एजेंडे में शामिल है और विपक्षी दलों से सत्र के दौरान इन्हें पारित कराने में सहयोग करने की अपील की. अनंत कुमार ने यह भी कहा कि सरकार हर मुद्दे पर विपक्ष के सवालों का जवाब देने के लिए तैयार है.
छोटा या ख़त्म होगा संसद का शीत सत्र? इतिहास रच जाएगा
कांग्रेस ने जवाब देने में देरी नहीं की. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, हमें उम्मीद है कि मोदी सरकार मॉनसून सत्र का बायकॉट नहीं करेगी. मॉनसून सत्र के दौरान कायर की तरह पीठ दिखाकर मोदी सरकार नहीं भागेगी ये उम्मीद है. सत्र के दौरान मोदी सरकार संविधान की परिपाटियों की धज्जियां नहीं उड़ाएगी ये भी अपेक्षा है. मॉनसून सत्र के दौरान सबसे अहम राज्य सभा के उप-सभापति का चुनाव होगा. राज्यसभा के मौजूदा उप-सभापति पीजे कुरियन इस महीने के अंत में रिटायर हो रहे हैं. मॉनसून सत्र के दौरान ही नए उप-सभापति का चुनाव होना है. ज़ाहिर है उप-सभापति का चुनाव विपक्ष की एकता को परखने का एक बड़ा मौका होगा.
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माना जा रहा है कि उप-सभापति के चुनाव में 4 राजनीतिक दलों बीजेडी, टीआरएस, वाईएसआर और एआईएडीएमके का रुख महत्वपूर्ण होगा. अगर ये पार्टियों सरकार के उम्मीदवार के पक्ष में खड़ी होती हैं तो उसका पलड़ा भारी होगा. विपक्षी दलों की तरफ से बीजेडी के नेता को उम्मीदवार बनाने की चर्चा गर्म है. संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने सरकार की रणनीति पर सीधे जवाब नहीं दिया. उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि इस सेशन के दौरान राज्यसभा के उपसभापति का भी चुनाव होगा, क्योंकि पीजे कुरियन का कार्यकाल इसी महीने के अंत में खत्म हो रहा है. फिलहाल सरकार और कांग्रेस दोनों ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. सोमवार को दोनों पक्षों ने सीधे इस पर अपनी रणनीति के बारे में बोलने से मना कर दिया.
#Parliament dates announced. Under NDA government a drastic reduction in the number of working days. Monsoon Session ran for 26 days in 2010 & 2011, now reduced to a mere 18 days. Number of days for government business reduced by a week.This Govt never serious about Parliament
— Derek O'Brien (@derekobrienmp) June 25, 2018
मॉनसून सत्र के ऐलान के बाद विपक्ष ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं. तृणमूल कांग्रेस ने शिकायत की है कि सरकार ने मॉनसून सत्र की अवधि काफी छोटी रखी है. तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट कर कहा, 'एनडीए सरकार के कार्यकाल के दौरान मॉनसून सत्र की अवधि में काफी कमी आई है. 2010 और 2011 में मॉनसून सत्र 26 दिन चला था, जबकि इस बार इसे घटाकर सिर्फ 18 दिन कर दिया गया है. ये सरकार संसद को लेकर गंभीर नहीं है.'
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उधर, संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा कि महिलाओं को बराबरी का हक दिलाने वाला त्रिपल तलाक बिल समेत कई अहम विधेयक सरकार के एजेंडे में शामिल है और विपक्षी दलों से सत्र के दौरान इन्हें पारित कराने में सहयोग करने की अपील की. अनंत कुमार ने यह भी कहा कि सरकार हर मुद्दे पर विपक्ष के सवालों का जवाब देने के लिए तैयार है.
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कांग्रेस ने जवाब देने में देरी नहीं की. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, हमें उम्मीद है कि मोदी सरकार मॉनसून सत्र का बायकॉट नहीं करेगी. मॉनसून सत्र के दौरान कायर की तरह पीठ दिखाकर मोदी सरकार नहीं भागेगी ये उम्मीद है. सत्र के दौरान मोदी सरकार संविधान की परिपाटियों की धज्जियां नहीं उड़ाएगी ये भी अपेक्षा है. मॉनसून सत्र के दौरान सबसे अहम राज्य सभा के उप-सभापति का चुनाव होगा. राज्यसभा के मौजूदा उप-सभापति पीजे कुरियन इस महीने के अंत में रिटायर हो रहे हैं. मॉनसून सत्र के दौरान ही नए उप-सभापति का चुनाव होना है. ज़ाहिर है उप-सभापति का चुनाव विपक्ष की एकता को परखने का एक बड़ा मौका होगा.
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माना जा रहा है कि उप-सभापति के चुनाव में 4 राजनीतिक दलों बीजेडी, टीआरएस, वाईएसआर और एआईएडीएमके का रुख महत्वपूर्ण होगा. अगर ये पार्टियों सरकार के उम्मीदवार के पक्ष में खड़ी होती हैं तो उसका पलड़ा भारी होगा. विपक्षी दलों की तरफ से बीजेडी के नेता को उम्मीदवार बनाने की चर्चा गर्म है. संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने सरकार की रणनीति पर सीधे जवाब नहीं दिया. उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि इस सेशन के दौरान राज्यसभा के उपसभापति का भी चुनाव होगा, क्योंकि पीजे कुरियन का कार्यकाल इसी महीने के अंत में खत्म हो रहा है. फिलहाल सरकार और कांग्रेस दोनों ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. सोमवार को दोनों पक्षों ने सीधे इस पर अपनी रणनीति के बारे में बोलने से मना कर दिया.
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