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दो लाख शिशुओं में से किसी एक को होती है यह बीमारी
विश्व भर में साल 1993 तक कुल 84 बच्चों को यह बीमारी
जेपी अस्पताल के डॉक्टरों ने 5 घंटे किया ऑपरेशन
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जेपी हॉस्पिटल के हृदय रोग विभाग के निदेशक डॉ. राजेश शर्मा के अनुसार, "इस बीमारी का इलाज फोंटेन प्रोसिड्यूर एंड राइट वेंट्रिकल एक्सक्लुसन फ्रॉम सर्कुलेशन पद्धति से किया गया. इसके तहत बच्चे के शरीर के पूरे नीले खून को एक ट्यूब के द्वारा सीधे उसके फेफड़ों में पहुंचाया गया और उसके दाएं तरफ के चैम्बर को हटा दिया गया. इस सर्जरी में करीब 5 घंटे का समय लगा.' डॉ. शर्मा ने बीमारी के होने के कारणों को बताया, "यह खतरनाक बीमारी प्रमुखत: दो कारणों से होती है, पहला कारण यह है कि यदि माता-पिता की शादी नजदीकी रक्त संबंधियों में होती है तो शिशु को यह बीमारी होने की संभावना रहती है और दूसरा कारण इंनवायरमेंटल फैक्टर प्रदूषित वातावरण हो सकता है.' पिछले महीने ही बिलाल की सर्जरी हुई है और हाल ही में उसे ठीक होने के बाद अस्पताल से पिछले हफ्ते छुट्टी मिली है.
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