नई दिल्ली:
अब समुद्र में होने वाले हादसों में किसी नेवी का अफसर को अपनी जान नहीं गंवानी पड़ेगी. क्योंकि भारत ने स्कॉटलैंड से दुनिया की सबसे अत्याधुनिक सबमरिन खरीद रहा है और अब इस सबमरिन को चलाने की ट्रेनिंग स्कॉटलैंड भारतीय नौसेना के 24 अधिकारियों और नाविकों को दे रहा है. इस तकनीक का इस्तेमाल पानी के अंदर फंसे नाविकों को बचाने के लिए किया जाता है.
पिछले साल केन्द्र सरकार ने ब्रिटिश कंपनी के साथ 1900 करोड़ रुपये का समझौता किया था. इस समझौते के तहत कंपनी ने भारत को दो सबमरिन रेसक्यू सिस्टम सप्लाई करने थे और नेवी अधिकारियों को ट्रेनिंग भी देनी थी. इसी समझौते के तहत ब्रिटिश कंपनी ने नेवी अधिकारियों को ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया है. वहीं स्कॉटलैंड अगले साल भारत को ये तकनीक सप्लाई करेगा. इस सबमरिन रेस्क्यू किट के साथ मिलने वाली दो डीप सर्च और रेस्क्यू व्हीकल (डीएसआरवी) या मिनी सबमरीन भारत नेवी के मुंबई और विशाखापटनम बेस पर मौजूद हैं.
अभी तक अगर समुद्र के भीतर किसी सबमरिन के साथ कोई दुर्घटना होती थी तो भारत की मदद अमेरिका करता था. क्योंकि भारत और अमेरिका ने 1997 में एक करार किया था जिसके तहत ऐसे हादसों से निपटने के लिए अमेरिका ने मदद का भरोसा दिया था. पर यूएस नेवी के अपने साजो सामान के साथ यहां पहुंचने तक काफी समय लगता था और इससे जिंदगी भी दाव पर लगी रही थी. लेकिन इस समझौते के बाद भारतीय नेवी खुद समुद्र के अंदर होने वाले किसी भी दुर्घटना से निपटने में खुद सक्षम होगी.
यह भी पढ़ें : नौसेना ने भारतीय पोत पर समुद्री लुटेरों के हमले को किया नाकाम
भारत जिस यूके सबमरीन को खरीद रहा है उसे बनाने वाली कंपनी के जेम्स फिशर ने कहा है कि ये एक आधुनिक तकनीक है जिसकी मदद से जल्द से जल्द बचाव कार्य शुरू किया जा सकता है और होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है. ये दोनों रेस्क्यू सबमरिन पानी के भीतर 650 मीटर तक जा सकती हैं.
VIDEO: शक्तिशाली हुई भारतीय नौसेना
आपको बता दें कि अगस्त 2013 में आईएनएस सिंधुरक्षक में हुए विस्फोट से 18 सैनिकों की मौत हुई थी. वहीं फरवरी 2014 दो लेफ्टिनेंट की मौत हुई थी. इसके बाद नेवी के चीफ एडमिरल डीके जोशी ने हादसे की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
पिछले साल केन्द्र सरकार ने ब्रिटिश कंपनी के साथ 1900 करोड़ रुपये का समझौता किया था. इस समझौते के तहत कंपनी ने भारत को दो सबमरिन रेसक्यू सिस्टम सप्लाई करने थे और नेवी अधिकारियों को ट्रेनिंग भी देनी थी. इसी समझौते के तहत ब्रिटिश कंपनी ने नेवी अधिकारियों को ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया है. वहीं स्कॉटलैंड अगले साल भारत को ये तकनीक सप्लाई करेगा. इस सबमरिन रेस्क्यू किट के साथ मिलने वाली दो डीप सर्च और रेस्क्यू व्हीकल (डीएसआरवी) या मिनी सबमरीन भारत नेवी के मुंबई और विशाखापटनम बेस पर मौजूद हैं.
अभी तक अगर समुद्र के भीतर किसी सबमरिन के साथ कोई दुर्घटना होती थी तो भारत की मदद अमेरिका करता था. क्योंकि भारत और अमेरिका ने 1997 में एक करार किया था जिसके तहत ऐसे हादसों से निपटने के लिए अमेरिका ने मदद का भरोसा दिया था. पर यूएस नेवी के अपने साजो सामान के साथ यहां पहुंचने तक काफी समय लगता था और इससे जिंदगी भी दाव पर लगी रही थी. लेकिन इस समझौते के बाद भारतीय नेवी खुद समुद्र के अंदर होने वाले किसी भी दुर्घटना से निपटने में खुद सक्षम होगी.
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भारत जिस यूके सबमरीन को खरीद रहा है उसे बनाने वाली कंपनी के जेम्स फिशर ने कहा है कि ये एक आधुनिक तकनीक है जिसकी मदद से जल्द से जल्द बचाव कार्य शुरू किया जा सकता है और होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है. ये दोनों रेस्क्यू सबमरिन पानी के भीतर 650 मीटर तक जा सकती हैं.
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आपको बता दें कि अगस्त 2013 में आईएनएस सिंधुरक्षक में हुए विस्फोट से 18 सैनिकों की मौत हुई थी. वहीं फरवरी 2014 दो लेफ्टिनेंट की मौत हुई थी. इसके बाद नेवी के चीफ एडमिरल डीके जोशी ने हादसे की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
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