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This Article is From May 27, 2016

छात्रों को भ्रम से बचाने के लिए NEET अध्यादेश पर सुप्रीम कोर्ट का जल्द सुनवाई से इनकार

छात्रों को भ्रम से बचाने के लिए NEET अध्यादेश पर सुप्रीम कोर्ट का जल्द सुनवाई से इनकार
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने NEETअध्यादेश पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक अर्ज़ी पर सुनवाई के दौरान कहा, इससे भ्रम की स्थिति और बढ़ेगी। कोर्ट ने कहा कि छात्रों के लिए भ्रम की स्थिति न बनने दें। सुप्रीम कोर्ट इस अर्ज़ी पर जुलाई में सुनवाई को तैयार हुआ है। याचिकाकर्ता आनंद राय के वकील ने अध्यादेश को ग़ैरक़ानूनी बताते हुए अध्यादेश को रद्द करने की अर्ज़ी दी थी। NEET अध्यादेश पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि अंतरिम आदेश की कोई ज़रूरत नहीं है। सरकार ने NEETलागू करने से इनकार नहीं किया है। सिर्फ़ कुछ राज्यों को राहत दी गई है। अभी दख़ल देने से भ्रम बढ़ेगा। जुलाई में मुख्य न्यायाधीश की बेंच मामले को देखेगी।

सात राज्यों का NEET के तहत आने का फैसला
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इस बाबत कहा था, 1 मई से NEET लागू हो गया है। राज्यों ने हमें अपनी समस्याएं (अलग पाठ्यक्रम और क्षेत्रीय भाषा) बताई थी, जो वे सुप्रीम कोर्ट के सामने नहीं रख पाए थे। ताजा स्थिति के मुताबिक, जो राज्य चाहें NEET के दायरे में आ सकते हैं।

नड्डा ने यह भी जानकारी दी थी कि सात राज्यों की परीक्षा NEET के तहत हो रही है। बिहार ने भी NEET के तहत आने का फैसला किया है।  दिल्ली ने अभी तक NEET पर फैसला नहीं किया है। वह आना चाहे तो आ सकता है। कुछ राज्यों ने विकल्प चुना यूपी बाहर हो गया और बिहार NEET के दायरे में आ गया। सभी निजी संस्थान NEET के दायरे में होंगे। इस साल दिसबंर में पीजी की परीक्षा NEET के तहत ही होगी।

राज्यों की दिक्कतों को दूर करने के प्रयास जारी

नड्डा ने एनडीटीवी से कहा कि केंद्र सरकार चाहती है कि NEET लागू हो और इसके लिए केंद्र सरकार ही सुप्रीम कोर्ट गई थी। वह तो राज्य सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आपत्ति जताई थी। NEET को लागू करते वक्त राज्यों की परेशानी को ध्यान में रखा जाएगा। राज्य सरकार की तीन चिंताएं हैं - परीक्षा को क्षेत्रीय भाषा में आयोजित करने का प्रावधान, पाठ्यक्रम में अनुरूपता और राज्य सरकार द्वारा आयोजित परीक्षाएं। सरकार इन्हीं तीन मुद्दे के निराकरण पर फिलहाल काम कर रही है।

कांग्रेस के सभी सुझाव माने गए
मंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने सर्वदलीय बैठक में तीन सुझाव दिए और सरकार ने तीनों मान लिए हैं। अब कांग्रेस सिर्फ राजनीति कर रही है जो कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। कांग्रेस का आरोप है कि SC के फ़ैसले को 1 साल टालने का षड्यंत्र रचा जा रहा है और यह गरीब बच्चों के माता-पिता से पैसा लूटने की कोशिश है। कांग्रेस पार्टी ने यह कहते हुए अध्यादेश वापस लेने की मांग की है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेज अभिभावकों से पैसा लूटेंगे।

NEET से जुड़ी पांच बड़ी बातें
इस मामले से जुड़ी पांच अहम बातें ये हैं कि  - राष्ट्रपति ने NEET अध्यादेश को मंज़ूरी दे दी है, इसी साल से NEET लागू हो गया है, राज्यों को NEET से एक साल की छूट, राज्य चाहें तो NEET के तहत आ सकते हैं और इस साल से ही प्राइवेट कॉलेज NEET के दायरे में होंगे।

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