चिदंबरम ने कहा, नरसिंह राव ही आर्थिक सुधारों के पीछे की राजनीतिक शक्ति थे
नई दिल्ली: वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा है कि 90 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव द्वारा किए गए आर्थिक सुधारों के श्रेय से उन्हें वंचित नहीं रखा जा सकता, लेकिन अयोध्या मुद्दा उनके रिकॉर्ड पर दाग लगाता है।
चिदंबरम ने एनडीटीवी से कहा, 'मुझे नहीं लगता कि कोई भी इस बात से इनकार करेगा कि नरसिम्हा राव ही आर्थिक सुधारों के पीछे की राजनीतिक शक्ति थे, उन्होंने आर्थिक सुधारों की राजनीति को संभाला था।' उन्होंने कहा, 'डॉ. मनमोहन सिंह और मैंने, दोनों ने ही कई मौकों पर इस बात को स्वीकार किया कि उनके बिना हम इन सुधारों को नहीं लागू कर पाते। आर्थिक सुधारों के श्रेय से उन्हें वंचित नहीं रखा जा सकता। उनकी सरकार से जुड़े कुछ अन्य पहलू हैं, जिन्हें लेकर मुझे डर है कि वे उनके रिकॉर्ड को दागदार बनाते हैं।' दिवंगत राव के शासनकाल में वाणिज्य मंत्री रहे चिदंबरम से पूछा गया था कि क्या वह अयोध्या के बारे में बात कर रहे हैं, तो उन्होंने जवाब दिया, 'जाहिर है।'
मुझे नहीं लगता कि किसी को याद करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका ट्वीट करना है
जब पूछा गया कि क्या यही वजह है कि कांग्रेस ने इतने सालों से उनकी जयंती नहीं मनाई और बीजेपी ने एक नेता के तौर पर उन्हें अपनाया, तो पूर्व मंत्री ने कहा, 'बीजेपी तो किसी को भी अपना लेगी, चाहे उसका सबसे बड़ा आलोचक क्यों नहीं हो। बात यह है कि हमने उन्हें हैदराबाद में सच्ची अंतिम विदाई दी जहां प्रधानमंत्री, श्रीमती गांधी और मेरे समेत कई अन्य नेता शामिल हुए।'
चिदंबरम ने कहा कि राव की याद में हैदराबाद में एक स्मारक बनाया गया है। स्मारक देश के अन्य हिस्सों में खोले जा सकते हैं, लेकिन वह खुद को तेलुगु राज्य का बेटा कहलाना पसंद करते थे और इसलिए हैदराबाद में उनके लिए स्मारक बनाया गया। जब पूछा गया कि क्या कांग्रेस को राव की जयंती पर उन्हें याद नहीं करना चाहिए और कांग्रेस मुख्यालय पर कुछ भी नहीं हुआ, जबकि प्रधानमंत्री मोदी तक ने इस बारे में ट्वीट किया, तो चिदंबरम ने कहा, 'ये सब धारणाएं हैं। मेरा मानना है कि पार्टी ने कभी आर्थिक सुधारों के श्रेय से उन्हें वंचित नहीं रखा। मुझे नहीं लगता कि किसी को याद करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका ट्वीट करना है। फिर भी, मुझे इस पर कोई टिप्पणी नहीं करनी।'
रघुराम राजन मामले में भारत हारा है
रिजर्व बैंक के गवर्नर पद से रघुराम राजन का जाना तय होने पर उठे विवाद पर पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘दो परिपक्व लोग असहमत हो सकते हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं हुआ कि एक-दूसरे के लिए अपशब्द बोलें, दूसरे की देशभक्ति पर सवाल करें, दूसरे की बौद्धिक क्षमता पर सवाल करें। मुझे लगता है कि इस पर वह बहुत आहत हुए और पद छोड़ने का फैसला किया। भारत हारा है।' राजन की आलोचनाओं के बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने कहा, 'उन्होंने (राजन ने) कहा कि केवल सहिष्णु समाज आगे बढ़ सकते हैं। आप अत्यधिक असहिष्णुता नहीं रख सकते। जनता का एक वर्ग जहां डर में रह रहा हो और फिर भी समावेशी विकास की उम्मीद करता हो। क्यों नहीं? इन शब्दों में क्या गलत है। क्या उन्होंने अपशब्द बोले?'
(इनपुट भाषा से...)