
शनिवार शाम उत्कल एक्सप्रेस के पटरी से उतरने के चलते 21 लोगों की मौत हुई.
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उत्कल एक्सप्रेस के पटरियों से उतरने के कारण 21 लोगों की जानें गईं
स्थानीय लोगों के मुताबिक ट्रैक पर काम चल रहा था
खतौली स्टेशन के मुताबिक उनको इसकी जानकारी नहीं थी
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इसके उलट मुजफ्फरनगर इंजीनियरिंग विभाग का कहना है कि ट्रैक पर निश्चित रूप से काम चल रहा था. स्टेशन को बताया गया था कि ट्रैक असुरक्षित है. Blued जॉइंट की प्लेट क्रैक थी. उसको ठीक करने के लिए 20 मिनट का ब्लॉक मांगा गया था यानी 20 मिनट तक कोई ट्रेन वहां से ना गुज़रे ये मांग की गई थी. मामले की जांच कर रही पुलिस का इस पर कहना है कि शुरुआती जांच में ऐसा लग रहा है कि ट्रैक पर काम चल रहा था. लेकिन पड़ताल के बाद ही सारी बात सामने आएगी और एफआईआर दर्ज की जाएगी. इसके साथ ही नार्थर्न रेलवे के जनरल मैनेजर आर के कुलश्रेष्ठ ने कहा, 'जैसा कि आपको मालूम है यहां काम चल रहा था'
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उल्लेखनीय है कि हरिद्वार से पुरी के बीच चलने वाली कलिंग उत्कल एक्सप्रेस शनिवार शाम दुर्घटनाग्रस्त हो गई. उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के खतौली के पास हुए इस हादसे में ट्रेन की 14 बोगियां पटरी से उतर गई जिसके कारण 21 यात्रियों की मौत हो गई जबकि 97 अन्य घायल हो गए. हादसे के कारण का अभी तक पता नहीं चल सका है.
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कम नहीं हुई ट्रेन की स्पीड
हादसे में जिन लोगों के घर को नुकसान पहुंचा है उनमें से एक जगत राम ने NDTV से बातचीत के दौरान बताया की रेल ट्रैक पर पिछले 2 दिनों से काम चल रहा था. स्थानीय लोगों को इस बात की आशंका भी है कि उत्कल एक्सप्रेस के ड्राइवर को इस बारे में जानकारी नहीं दी गई थी. जगत राम ने बताया कि उत्कल एक्सप्रेस से कुछ ही देर पहले 2 ट्रेनें इस ट्रैक से होकर गुजरी थी. जिसकी स्पीड काफी कम थी. उन्होंने बताया कि जब उत्कल एक्सप्रेस यहां से गुजरी तब ट्रेन की स्पीड कम नहीं हुई.
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