कैंसर रोगियों के इलाज में दवाइयों की किल्लत, स्टॉक में नहीं हैं एंटी कैंसर जीवनरक्षक ड्रग्स

लॉकडाउन और कोरोना के चलते कैंसर मरीजों की जीवनरक्षक दवाइयों के डिमांड-सप्लाई की चेन टूटी थी, जिसका असर अब दिख रहा है. मुंबई और दिल्ली के अधिकतर अस्पतालों में एंटी कैंसर और कीमोथेरेपी ड्रग्स का स्टॉक खत्म है.

कैंसर रोगियों के इलाज में दवाइयों की किल्लत, स्टॉक में नहीं हैं एंटी कैंसर जीवनरक्षक ड्रग्स

कैंसर रोगियों के इलाज के लिए जीवनरक्षक दवाइयों का स्टॉक खत्म चल रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

खास बातें

  • कैंसर रोगियों के इलाज की दवाइयों की किल्लत
  • स्टॉक से बाहर चल रहीं जीवनरक्षक दवाइयां
  • नजदीकी एक्सपायरी डेट वाली दवाइयों से काम चला रहे लोग
मुंबई:

लॉकडाउन के दौरान कुछ समय की पाबंदियों ने ज़रूरी जीवनरक्षक दवाओं की सप्लाई चेन भी तोड़ी है. मुंबई शहर के बड़े से बड़े अस्पतालों में कैंसर की कीमोथेरेपी में दी जाने वाली दवा का स्टॉक ख़त्म है. 36 साल के अरबाज़ पोटे, ‘टी सेल लिम्फ़ोमा' वाइट ब्लड सेल यानी टी सेल में हुए एक तरह के रेयर कैंसर से जूझ रहे हैं, इलाज में एक दिन की भी देरी घातक है. लेकिन वो कैंसर के दौरान दी जाने वाली कीमोथेरेपी के दौरान की अहम दवा ‘आइफ़ोस्फ़ामाइड' पांच दिन से ढूंढ रहे थे. अस्पतालों और बाज़ारों में इस जीवनरक्षक दवा की बड़ी क़िल्लत है.

अरबाज़ के भाई अल्ताफ़ पोटे ने बताया कि 'इनके इलाज के सायकल में देरी हो रही थी, इसलिए मुंबई में जितने भी बड़े हॉस्पिटल हैं, टाटा, सैफी, बॉम्बे, प्रिंस अली, हर जगह ढूंढने गए लेकिन दवा नहीं मिली. दिल्ली से ऑर्डर किया तो वहां भी स्टॉक ख़त्म था. मेरे भाई को टी सेल लिम्फ़ोमा है तो एक दिन भी ट्रीटमेंट में देरी नहीं कर सकते, फिर सुहास सर ने मदद की.'

एशियन कैंसर इंस्टिट्यूट के कन्सल्टेंट मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ सुहास आग्रे बताते हैं कि दवा की इतनी क़िल्लत है कि अपने मरीज़ों को नज़दीकी एक्सपायरी डेट वाली दवा से मदद कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि 'आइफ़ोस्फ़ामाइड कैंसर मरीज़ों के लिए बेहद अहम दवा है, लेकिन क़रीब एक महीने से इसकी किल्लत चल रही है. अभी की तारीख़ में यह दवा मार्केट में है ही नहीं. मेरे कई मरीज़ों को इंतज़ार करना पड़ रहा है, मार्केट, हॉस्पिटल, फ़ार्मेसी, डिस्ट्रिब्यूटर से भी दवा नहीं मिल पाई, आख़िरकार एक जगह से फ़रवरी एंड का शॉर्ट एक्सपायरी था जो मुझे इस्तेमाल करना पड़ा क्योंकि ऑनगोइंग मरीज़ को ज़्यादा इंतज़ार बहुत तकलीफ़देह हो सकता है.'

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भाटिया और फ़ोर्टिस जैसे मुंबई के बड़े अस्पतालों की भी यही शिकायत है. भाटिया हॉस्पिटल की मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. प्रीतम जैन ने बताया, 'ये बहुत ही महत्वपूर्ण एंटी कीमोथेरेपी ड्रग है, जिसकी कमी हमें 3-4 महीने से हो रही है पूरे देश और मुंबई में भी. जो हमने दवा स्टोर की थी वो मरीज़ों के इस्तेमाल में आ गई हैं लेकिन कोविड से पैदा हुए हालात और लॉकडाउन के कारण लॉजिस्टिक की दिक़्क़तों की वजह से हमें ये दवा मिलने में परेशानी हुई.'

ऑल फूड एंड ड्रग लाइसेंस होल्डर फाउंडेशन, पैन इंडिया एसोसिएशन का कहना है कि दवा का रॉ मैटेरियल चीन से भी आता है और लॉकडाउन के दौरान कीमो के लिए घटे कैंसर मरीज़ के कारण डिमांड-सप्लाई की चेन टूटी और अब अचानक डिमांड बढ़ी है.

AFDLHF के अध्यक्ष अभय पांडे ने कहा कि 'लॉकडाउन की पाबंदियों के दौरान अचानक से दूसरी बीमारियों के इलाज पर ब्रेक लगने के बाद अब अस्पतालों में हर तरह के इलाज और मरीज़ की तादाद बढ़ने लगी है...लेकिन इन पाबंदियों के दौरान रुकी, ज़रूरी सप्लाई चेन का असर अब धीरे-धीरे मालूम पड़ रहा है.'

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