देहरादून:
उत्तराखंड की केदारघाटी में आज तेज बारिश हो रही है। इससे यहां पर चल राहतकार्य में काफी दिक्कतें आ रही हैं। इससे पहले मौसम विभाग ने चेतावनी दी थी कि उत्तराखंड के कई इलाकों में तेज बारिश हो सकती है। चेतावनी को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है।
इस चेतावनी के बाद एनडीआरएफ के जवानों को आम लोगों की मदद के लिए तैनात किया है। एनडीआरएफ की छह टीमें देहारादून, पिथौड़ागढ़, चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में मौजूद है।
भारी बारिश की वजह से 16 और 17 जून को हुई तबाही की यादें अभी भी लोगों के जहन में ताजा हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने लापता लोगों के बारे में कहा है कि अगर ये लोग 15 जुलाई तक नहीं मिलते हैं तो इन्हें मृत घोषित कर दिया जाएगा और इनके परिवारवालों को मुआवजा दिया जाएगा।
उत्तराखंड में आई बाढ़ के बाद चलाया गया राहत और बचाव अभियान लगभग पूरा हो गया हो लेकिन अभी भी सैकड़ों लोग अपने लापता परिजनों की तलाश में भटक रहे हैं।
ये हालात तब हैं जब उनके परिजनों का नाम सरकार की उस लिस्ट में है, जिसके मुताबिक उनके परिजनों को बचा लिया गया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अगर प्रशासन ने ऐसे लोगों का नाम रेस्क्यू लिस्ट में डाला है, जो न तो घर पहुंचे हैं और न ही परिजनों को मिले हैं तो आखिर वे लोग गए कहां।
इसके साथ ही अपनों की तलाश कर रहे लोग डीएनए टेस्ट को लेकर खासे परेशान हैं। उन्हें यह समझ नहीं आ रहा कि डीएनए सैंपल लेने की प्रक्रिया किस तरह चल रही है।
उत्तराखंड सरकार ने कहा है कि बाढ़ से तबाह हो चुके इलाकों में करीब 10 हजार घरों का निमंत्रण किया जाएगा। ये सभी घर राजीव आवास योजना के तहत बनाए जाएंगे।
साथ ही ये मंत्रालय घरों को बनाने और टूटे घरों की मरम्मत के लिए 3000 करोड़ के सॉफ्ट लोन का भी इंतज़ाम करेगी। सरकार के मुताबिक, जल्द ही वह अपने अधिकारियों की टीम भी बाढ़ प्रभावित इलाकों में भेजेगी, जिससे तबाही का सही अंदाजा लगाया जा सके।
इस चेतावनी के बाद एनडीआरएफ के जवानों को आम लोगों की मदद के लिए तैनात किया है। एनडीआरएफ की छह टीमें देहारादून, पिथौड़ागढ़, चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में मौजूद है।
भारी बारिश की वजह से 16 और 17 जून को हुई तबाही की यादें अभी भी लोगों के जहन में ताजा हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने लापता लोगों के बारे में कहा है कि अगर ये लोग 15 जुलाई तक नहीं मिलते हैं तो इन्हें मृत घोषित कर दिया जाएगा और इनके परिवारवालों को मुआवजा दिया जाएगा।
उत्तराखंड में आई बाढ़ के बाद चलाया गया राहत और बचाव अभियान लगभग पूरा हो गया हो लेकिन अभी भी सैकड़ों लोग अपने लापता परिजनों की तलाश में भटक रहे हैं।
ये हालात तब हैं जब उनके परिजनों का नाम सरकार की उस लिस्ट में है, जिसके मुताबिक उनके परिजनों को बचा लिया गया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अगर प्रशासन ने ऐसे लोगों का नाम रेस्क्यू लिस्ट में डाला है, जो न तो घर पहुंचे हैं और न ही परिजनों को मिले हैं तो आखिर वे लोग गए कहां।
इसके साथ ही अपनों की तलाश कर रहे लोग डीएनए टेस्ट को लेकर खासे परेशान हैं। उन्हें यह समझ नहीं आ रहा कि डीएनए सैंपल लेने की प्रक्रिया किस तरह चल रही है।
उत्तराखंड सरकार ने कहा है कि बाढ़ से तबाह हो चुके इलाकों में करीब 10 हजार घरों का निमंत्रण किया जाएगा। ये सभी घर राजीव आवास योजना के तहत बनाए जाएंगे।
साथ ही ये मंत्रालय घरों को बनाने और टूटे घरों की मरम्मत के लिए 3000 करोड़ के सॉफ्ट लोन का भी इंतज़ाम करेगी। सरकार के मुताबिक, जल्द ही वह अपने अधिकारियों की टीम भी बाढ़ प्रभावित इलाकों में भेजेगी, जिससे तबाही का सही अंदाजा लगाया जा सके।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
उत्तराखंड त्रासदी, मुसीबतों का मुकाबला, एनडीआरएफ, उत्तराखंड बाढ़, उत्तराखंड बारिश, उत्तराखंड आपदा, बचाव अभियान, केदारनाथ धाम, केदारनाथ मंदिर, Uttarakhand Flood, Uttarakhand Rain, Kedarnath Temple, NDRF