पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के निधन पर दुख जताते हुए शनिवार को कहा कि देश ने एक जननेता खो दिया है और उन्हें दिल्ली के विकास के लिए हमेशा याद किया जाएगा. सिंह ने अपने शोक संदेश में कहा, "मैं शीला दीक्षित जी के निधन के बारे में सुनकर स्तब्ध हूं. उनके निधन से देश ने एक समर्पित कांग्रेसी जननेता खो दिया है.' उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोग उनके मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान विकास में उनके योगदान को हमेशा याद करेंगे.' दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष शीला दीक्षित का शनिवार को एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. वह 81 साल की थीं. वह 1998 से 2013 के बीच 15 वर्षो तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं.
अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित के निधन पर जताया दुख, कहा- दिल्ली के लिए बड़ी क्षति
Former PM Manmohan Singh: I'm shocked to hear the sudden passing away of Smt #ShielaDixit. In her death the country has lost a dedicated Congress leader of the masses. People of Delhi will always remember her contribution to Delhi's development during her tenure as CM for 3 terms pic.twitter.com/O7b2Byg8sl
— ANI (@ANI) July 20, 2019
शीला दीक्षित का अंतिम संस्कार रविवार को 2:30 बजे दिल्ली के निगम बोध घाट में होगा. आज शाम 6 बजे से उनके पार्थिव शरीर को निजामुद्दीन स्थिति घर पर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा. अंतिम संस्कार से पहले शीला दीक्षित के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए कल सुबह कांग्रेस मुख्यालय में भी रखा जाएगा.
बता दें इसी साल जनवरी में उन्हें दिल्ली में कांग्रेस की कमान सौंपकर अध्यक्ष बनाया गया था. इस बार उन्होंने उत्तर पूर्वी दिल्ली से चुनाव भी लड़ा था लेकिन वे चुनाव हार गईं थी. 1998 से 2013 तक मुख्यमंत्री के रूप में 15 साल तक दिल्ली की सत्ता पर काबिज रहने वालीं शीला दीक्षित इससे पहले 1984 से 89 तक वे कन्नौज (उप्र) से सांसद रह चुकी हैं. इस दौरान वे लोकसभा की समितियों में रहने के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं के आयोग में भारत की प्रतिनिधि रहीं. वह राजीव गांधी सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी रह चुकी हैं. शीला दीक्षित 1998 से 2013 तक लगातार 15 साल दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं. हालांकि, 2013 में आम आदमी पार्टी के उफान में शीला दीक्षित की सरकार बह गई. हालांकि, माना जाता है कि शीला दीक्षित की हार में एंटी इनकंबेंसी भी हावी रहा. इसके बाद वह 2014 में केरल की राज्यपाल भी रहीं.
15 साल की उम्र में जवाहर लाल नेहरू से मिलने पैदल ही निकल पड़ी थीं शीला दीक्षित
शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च, 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ. शीला दीक्षित ने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से इतिहास में मास्टर डिग्री हासिल की. उनका विवाह उन्नाव (यूपी) के आईएएस अधिकारी स्वर्गीय विनोद दीक्षित से हुआ था. विनोद कांग्रेस के बड़े नेता और बंगाल के पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय उमाशंकर दीक्षित के बेटे थे. शीलाजी एक बेटे और एक बेटी की मां हैं. उनके बेटे संदीप दीक्षित भी दिल्ली के सांसद रह चुके हैं.
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