नई दिल्ली:
जब रिश्वत दिए जाने की वजह से भारत ने हेलीकॉप्टर निर्माता कंपनी अगस्तावेस्टलैंड (AgustaWestland) से अपना सौदा रद्द कर दिया था, तब दिल्ली में हो रही मामले की जांच को प्रभावित करवाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह से बात नहीं की गई थी। यह बात एक शीर्ष इटालियन राजनयिक ने कही है।
इस महीने की शुरुआत में इटली की एक अदालत ने अगस्तावेस्टलैंड की पेरेंट इटालियन कंपनी फिनमैकानिका (Finmeccanica) के शीर्ष अधिकारियों को भारतीय सौदे में भ्रष्टाचार का दोषी करार दिया था। जज ने अपना फैसला उन दस्तावेज़ों के आधार पर दिया, जो दोनों कंपनियों के अधिकारियों तथा बिचौलियों से बरामद हुए थे। इनमें से एक कागज़ 2013 में गिरफ्तार किए गए फिनमैकानिका के सीईओ ग्यूसेप ओरसी (Giuseppe Orsi) का लिखा नोट था। जेल से लिखे गए इस नोट में ओरसी ने अपने सहायकों से तत्कालीन इटालियन प्रधानमंत्री मारियो मोन्टी (Mario Monti) या राजदूत पास्केल टेराशियानो (Pasquale Terraciano) पर इस बात के लिए दबाव डालने को कहा था, कि वे भारतीय प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को फोन कर बीचबचाव करने के लिए कहें।
NDTV से बात करते हुए पास्केल टेराशियानो ने कहा कि उन्हें या प्रधानमंत्री को फिनमैकानिका की ओर से मदद का कोई अनुरोध प्राप्त नहीं हुआ।
"मनमोहन सिंह को कभी फोन नहीं किया..."
उनके कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया, "राजदूत (पास्केल) टेराशियानो ने कभी प्रधानमंत्री (मनमोहन) सिंह को फोन नहीं किया... उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री (मारियो) मोन्टी द्वारा इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री (मनमोहन) सिंह को फोन किए जाने की जानकारी भी नहीं है, और न ही फिनमैकानिका की ओर से किसी के द्वारा भी भारतीय अधिकारियों से मुलाकात की किसी कोशिश की जानकारी है... इसके अलावा राजदूत (पास्केल) टेराशियानो ने कभी किसी ऐसे भारतीय अधिकारी से मुलाकात नहीं की, जिसने इस केस का ज़िक्र किया हो... उन्होंने कभी सुश्री गांधी या उनके सलाहकारों से भी मुलाकात नहीं की..."
वर्ष 2014 की शुरुआत में भारत ने प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह तथा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जैसे वीवीआईपी लोगों के इस्तेमाल के लिए खरीदे जाने वाले एक दर्जन हेलीकॉप्टरों के लिए अगस्ता को दिया 3,600 करोड़ रुपये का ऑर्डर रद्द कर दिया था। एक बिचौलिये के लिखे नोट में सोनिया गांधी का ज़िक्र नए हेलीकॉप्टर खरीदने के फैसले के 'पीछे की वजह' के रूप में किया गया है।
इटालियन दस्तावेज़ों में कांग्रेस के कई नेताओं के नाम...
फिनमैकानिका के खिलाफ इटालियन जांच की वजह से ही भारत में कार्रवाई की शुरुआत हुई, और सीबीआई को इस बात की जांच के आदेश दिए गए कि किसे लगभग 30,000 यूरो की रिश्वत दी गई। इटालियन जज के फैसले में जिन दस्तावेज़ों का ज़िक्र किया गया है, उनमें कांग्रेस के कई नेताओं के नाम हैं, जिससे बीजेपी को यह दावा करने का मौका मिल गया कि अब इस बात के अविवादित सबूत मौजूद हैं कि अगस्ता घोटाला कांग्रेस के शीर्ष से ही पैदा हुआ।
वैसे, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह मामले में कोई गड़बड़ होने की बात का खंडन कर चुके हैं, और उन्होंने सरकार से मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए कहा है।
इस महीने की शुरुआत में इटली की एक अदालत ने अगस्तावेस्टलैंड की पेरेंट इटालियन कंपनी फिनमैकानिका (Finmeccanica) के शीर्ष अधिकारियों को भारतीय सौदे में भ्रष्टाचार का दोषी करार दिया था। जज ने अपना फैसला उन दस्तावेज़ों के आधार पर दिया, जो दोनों कंपनियों के अधिकारियों तथा बिचौलियों से बरामद हुए थे। इनमें से एक कागज़ 2013 में गिरफ्तार किए गए फिनमैकानिका के सीईओ ग्यूसेप ओरसी (Giuseppe Orsi) का लिखा नोट था। जेल से लिखे गए इस नोट में ओरसी ने अपने सहायकों से तत्कालीन इटालियन प्रधानमंत्री मारियो मोन्टी (Mario Monti) या राजदूत पास्केल टेराशियानो (Pasquale Terraciano) पर इस बात के लिए दबाव डालने को कहा था, कि वे भारतीय प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को फोन कर बीचबचाव करने के लिए कहें।
NDTV से बात करते हुए पास्केल टेराशियानो ने कहा कि उन्हें या प्रधानमंत्री को फिनमैकानिका की ओर से मदद का कोई अनुरोध प्राप्त नहीं हुआ।
"मनमोहन सिंह को कभी फोन नहीं किया..."
उनके कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया, "राजदूत (पास्केल) टेराशियानो ने कभी प्रधानमंत्री (मनमोहन) सिंह को फोन नहीं किया... उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री (मारियो) मोन्टी द्वारा इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री (मनमोहन) सिंह को फोन किए जाने की जानकारी भी नहीं है, और न ही फिनमैकानिका की ओर से किसी के द्वारा भी भारतीय अधिकारियों से मुलाकात की किसी कोशिश की जानकारी है... इसके अलावा राजदूत (पास्केल) टेराशियानो ने कभी किसी ऐसे भारतीय अधिकारी से मुलाकात नहीं की, जिसने इस केस का ज़िक्र किया हो... उन्होंने कभी सुश्री गांधी या उनके सलाहकारों से भी मुलाकात नहीं की..."
वर्ष 2014 की शुरुआत में भारत ने प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह तथा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जैसे वीवीआईपी लोगों के इस्तेमाल के लिए खरीदे जाने वाले एक दर्जन हेलीकॉप्टरों के लिए अगस्ता को दिया 3,600 करोड़ रुपये का ऑर्डर रद्द कर दिया था। एक बिचौलिये के लिखे नोट में सोनिया गांधी का ज़िक्र नए हेलीकॉप्टर खरीदने के फैसले के 'पीछे की वजह' के रूप में किया गया है।
इटालियन दस्तावेज़ों में कांग्रेस के कई नेताओं के नाम...
फिनमैकानिका के खिलाफ इटालियन जांच की वजह से ही भारत में कार्रवाई की शुरुआत हुई, और सीबीआई को इस बात की जांच के आदेश दिए गए कि किसे लगभग 30,000 यूरो की रिश्वत दी गई। इटालियन जज के फैसले में जिन दस्तावेज़ों का ज़िक्र किया गया है, उनमें कांग्रेस के कई नेताओं के नाम हैं, जिससे बीजेपी को यह दावा करने का मौका मिल गया कि अब इस बात के अविवादित सबूत मौजूद हैं कि अगस्ता घोटाला कांग्रेस के शीर्ष से ही पैदा हुआ।
वैसे, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह मामले में कोई गड़बड़ होने की बात का खंडन कर चुके हैं, और उन्होंने सरकार से मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए कहा है।
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