
कैबिनेट से दंगा विरोधी बिल पास होने के खिलाफ एक शख्स ने मंगलवार को संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया। हालांकि इस शख्स को तत्काल वहां से हटाकर बाहर निकाल दिया गया।
सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए सरकार जो कानून बनाना चाहती है, उसके लिए बिल संसद में पेश हो सकता है। लंबी खींचतान के बाद आखिर विवादित सांप्रदायिक हिंसा निरोधी बिल पर कैबिनेट ने सोमवार को अपनी मुहर लगा दी। हालांकि इससे पहले बिल के कई प्रावधानों में फेरबदल भी किए गए।
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हरी झंडी दिए जाने के बाद गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि इसे मंगलवार को संसद में पेश किया जा सकता है। सरकार का इरादा इस विधेयक को संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में ही पेश करने का था। यह सत्र निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 20 दिसंबर को संपन्न होना है, लेकिन सरकार इसकी अवधि बढ़ा सकती है, क्योंकि वह लोकपाल विधेयक इसी सत्र में पारित कराना चाहती है।
विपक्ष के कड़े विरोध के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने विवादास्पद सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक के कई प्रावधान हटाने का फैसला किया था। सरकार ने सुनिश्चित किया कि यह विधेयक समूहों या समुदायों के बीच तटस्थ हो। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कह चुके हैं कि सरकार इस मुद्दे पर व्यापक सहमति कायम करने की कोशिश करेगी। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने विधेयक को 'तबाही का नुस्खा' बताया था।
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