
महाराष्ट्र (Maharashtra) में सरकार गठन को लेकर जारी सियासी उथल पुथल के बीच राज्यपाल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) की सिफारिश को केंद्रीय कैबिनेट ने भी मंजूरी दे दी. राज्यपाल की सिफारिश के बाद शिवसेना (Shiv Sena) सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. शिवसेना का कहना है कि राज्यपाल भारतीय जनता पार्टी (BJP) के इशारे पर काम कर रहे हैं. शिवसेना की दलील है कि राज्यपाल ने पार्टी को सिर्फ 24 घंटे का समय दिया. शिवसेना का कहना है कि राज्यपाल ने बीजेपी को यह बताने के लिए 48 घंटे का समय दिया कि क्या वह सरकार बना सकती है, लेकिन समर्थन पत्र हासिल करने के लिए शिवसेना को सिर्फ 24 घंटे का समय दिया. शिवसेना ने आरोप लगाया कि राज्यपाल ने सरकार बनाने के अवसर से इनकार करने के लिए बीजेपी के इशारे पर जल्दबाजी में काम किया.
Raj Bhavan Press Release 12.11.2019 3.16 PM pic.twitter.com/qmlQA6ghBR
— Governor of Maharashtra (@maha_governor) November 12, 2019
इससे पहले महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के कार्यालय द्वारा ट्वीट किए गए एक बयान के अनुसार, 'वह संतुष्ट हैं कि सरकार को संविधान के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है, (और इसलिए) संविधान के अनुच्छेद 356 के प्रावधान के अनुसार आज एक रिपोर्ट सौंपी गई है.' अनुच्छेद 356 को जिसे आमतौर पर राष्ट्रपति शासन के रूप में जाना जाता है और यह 'राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता' से संबंधित है.
बीजेपी को 48 घंटे दिए, शिवसेना को सिर्फ 24 घंटे; राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गुहार
बता दें कि राज्य में पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव के बाद कोई भी राजनीतिक पार्टी सरकार नहीं बना सकी है. सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में दिल्ली में बुलाई गई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में महाराष्ट्र के राजनीतिक गतिरोध पर चर्चा हुई और प्रदेश में केंद्रीय शासन लगाने का राष्ट्रपति से अनुरोध करने का निर्णय किया गया.
VIDEO: महाराष्ट्र में राज्यपाल ने की राष्ट्रपति शासन की सिफारिश
(इनपुट: भाषा से भी)
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