महाराष्ट्र (Maharashtra) में सरकार बनाने की जारी कोशिशों के बीच NCP प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) रविवार (17 नवंबर) को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से मुलाकात करेंगे. मुलाकात के दौरान शिवसेना (Shiv Sena) के साथ सरकार बनाने को लेकर उठाए जाने वाले फैसलों को लेकर बातचीत की उम्मीद की जा रही है. न्यूज एजेंसी ANI से वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस अकेले चीजों को तय नहीं कर सकती. NCP प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी 17 नवंबर को मिलेंगे और आगे क्या कदम उठाया जाए इस पर चर्चा करेंगे. वे तय करेंगे कि इस समस्या को कैसे हल किया जाए. इसके बाद आगे की राजनीतिक रणनीति तैयार होगी, जिसका पालन किया जाएगा और उसे लागू किया जाएगा. बता दें कि इसी बाबत गुरुवार को मुंबई में पहली बार तीनों दलों की साथ बैठक हुई. इसमें एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम का प्रारूप तैयार किया गया. इसके बाद तीनों पार्टियों के बड़े नेता आपस में मिलकर विचार करेंगे.
Mallikarjun Kharge, Congress: Once they both sit and discuss, only then will the political strategy be prepared. That will be followed and implemented. #MaharashtraGovtFormation https://t.co/IXgfWxRZTR
— ANI (@ANI) November 15, 2019
इससे पहले NCP प्रमुख शरद पवार ने महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव की संभावना को खारिज करते हुए शुक्रवार को कहा कि राज्य में शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस की सरकार बनेगी और यह पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी. महाराष्ट्र में फिलहाल राष्ट्रपति शासन है. उन्होंने कहा कि तीन दल एक स्थायी सरकार बनाना चाहते हैं जो विकासोन्मुख होगी. पवार ने यहां पत्रकारों से कहा कि मध्यावधि चुनाव की कोई संभावना नहीं है. यह सरकार बनेगी और पूरे पांच साल चलेगी. हम सभी यही आश्वस्त करना चाहेंगे कि यह सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी.
महाराष्ट्र : कैसे टूटा सत्ता का चक्रव्यूह, शरद पवार कैसे बने राजनीति के चाणक्य?
इस बीच सूत्रों के हवाले से ऐसी खबरे भी आ रही हैं कि यह तय हुआ है कि शिवसेना और एनसीपी (NCP) का ढाई -ढाई साल का मुख्यमंत्री होगा. मंत्रियों की संख्या के बारे में लगभग यह तय है कि शिवसेना और एनसीपी के 14-14 मंत्री होंगे, जबकि कांग्रेस के 12 मंत्री और साथ में कांग्रेस को विधानसभा अध्यक्ष का पद भी देने की बात है.
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यह इसलिए भी हो रहा है कि शिवसेना और एनसीपी दोनों दल विधानसभा अध्यक्ष के मामले में अभी भी एक दूसरे पर शक कर रहे हैं. क्योंकि किसी भी पार्टी में टूट होने पर विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका अहम हो जाती है. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच जो साझा न्यूनतम कार्यक्रम बन रहा है, उसमें शिवसेना को सवारकर को भारत रत्न देने जैसे मांगें छोड़नी होगी. मतलब शिवसेना को अपने कट्टर हिंदुत्व की छवि से बाहर निकलना होगा साथ ही अयोध्या जैसे मामले पर भी शिवसेना को थोड़ा संयम बरतने की सलाह कांग्रेस और एनसीपी के तरफ से दी गई है.
VIDEO: शरद पवार ने कहा- महाराष्ट्र में बनेगी शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस की सरकार
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