हिंदू देवी-देवताओं पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में गुजरात के हास्य कलाकार मुनव्वर फारुकी की जमानत याचिका पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में शुक्रवार को केस डायरी के अभाव में सुनवाई आगे बढ़ा दी गई. उनकी याचिका पर अब 25 जनवरी को सुनवाई हो सकती है.अधिकारियों ने बताया कि राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा की एक स्थानीय विधायक के बेटे की शिकायत पर गिरफ्तारी के बाद फारुकी पखवाड़े भर से यहां न्यायिक हिरासत के तहत केंद्रीय जेल में कैद हैं. युवा हास्य कलाकार की जमानत याचिका पर उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति रोहित आर्य के सामने दलीलें पेश की जानी थीं. लेकिन केस डायरी के अभाव में सुनवाई आगे बढ़ा दी गई.
एकल पीठ ने पुलिस से केस डायरी तलब की है. फारुकी की जमानत याचिका पर अगली सुनवाई की "संभावित तारीख" 25 जनवरी तय की गई है. इस बीच, फारुकी के वकील अंशुमान श्रीवास्तव ने "पीटीआई-भाषा" को बताया कि हास्य कलाकार को जमानत पर रिहा किए जाने के पक्ष में वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये उच्च न्यायालय में शुक्रवार को दलील पेश करने वाले थे. श्रीवास्तव ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा, "उच्च न्यायालय परिसर से तुकोगंज पुलिस थाना चंद कदमों की दूरी पर है. ऐसे में बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि फारुकी की जमानत याचिका पर सुनवाई के वक्त पुलिस की ओर से केस डायरी तुरंत उपलब्ध नहीं कराई गई." बीते 15 दिनों में जिला अदालत के एक मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और इसके बाद एक सत्र न्यायाधीश फारुकी की जमानत अर्जियां दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद खारिज कर चुके हैं.
इसके बाद, हास्य कलाकार ने जमानत के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक स्थानीय भाजपा विधायक और शहर की पूर्व महापौर मालिनी लक्ष्मणसिंह गौड़ के बेटे एकलव्य सिंह गौड़ ने फारुकी और हास्य कार्यक्रम के आयोजन से जुड़े चार अन्य लोगों के खिलाफ तुकोगंज पुलिस थाने में एक जनवरी की रात मामला दर्ज कराया था. विधायक पुत्र का आरोप है कि शहर के एक कैफे में एक जनवरी की शाम आयोजित इस कार्यक्रम में हिंदू देवी-देवताओं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और गोधरा कांड को लेकर अभद्र टिप्पणी की गई थीं. उधर, फारुकी के वकील अंशुमान श्रीवास्तव ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, "इंदौर में आयोजित हास्य कार्यक्रम के दौरान मेरे मुवक्किल अपनी हास्य प्रस्तुति ठीक से शुरू तक नहीं कर सके थे और शिकायतकर्ता (एकलव्य) ने मंच पर पहुंचकर उनसे बहस शुरू कर दी थी." उन्होंने दावा किया कि इस कार्यक्रम में फारुकी ने ऐसा कोई भी शब्द नहीं बोला था, जिससे किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाएं आहत होती हों. चश्मदीदों के मुताबिक एकलव्य अपने साथियों के साथ बतौर दर्शक इस कार्यक्रम में पहुंचे थे. उन्होंने कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के विरोध में जमकर हंगामा किया और कार्यक्रम रुकवाने के बाद फारुकी समेत पांच लोगों को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया था.
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि विवादास्पद कार्यक्रम को लेकर पांचों लोगों को भारतीय दंड विधान की धारा 295-ए (किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जान-बूझकर किए गए विद्वेषपूर्ण कार्य), धारा 298 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जान-बूझकर कहे गए शब्द) और अन्य सम्बद्ध प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया था. बाद में इस कार्यक्रम के आयोजन में शामिल होने के आरोप में एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था.
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