New Delhi:
प्रस्तावित लोकपाल विधेयक के लगभग सभी 40 मुख्य बिंदुओं पर सोमवार को सरकार और गांधीवादी अन्ना हज़ारे के पक्ष के बीच एक दौर की बातचीत पूरी हो गई। लेकिन प्रधानमंत्री और न्यायपालिका को इस विधेयक के दायरे में लाने के बारे में अभी कोई सहमति नहीं बन पाई। सरकार हालांकि, करीब आधे बिंदुओं पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हो चुकी है।प्रभावशाली लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए गठित संयुक्त समिति की वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता और पूर्व विधि मंत्री शांति भूषण की सह-अध्यक्षता में आज चौथी बैठक हुई। बैठक करीब तीन घंटे चली, लेकिन प्रस्तावित लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री और न्यायपालिका को लाने के मुद्दे पर कोई सहमति नहीं बन पाई। समिति की अगली बैठक 30 मई को होगी। समिति के सदस्य और मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने बैठक के बाद कहा, प्रस्तावित लोकपाल विधेयक के मूल सिद्धांतों में से लगभग आधे बिंदुओं पर दोनों पक्षों के बीच सहमति बन चुकी हैं। कुछ मुद्दों पर अभी सहमति नहीं बन पाई है। ऐसे लंबित मुद्दों पर 30 मई को होने वाली बैठक में चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा, जिस रफ्तार से समिति का कामकाज आगे बढ़ रहा है, उसे देखते हुए हमें उम्मीद है कि हम 30 जून से पहले लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार कर लेंगे और उसे बाद में संसद के मानसून सत्र में पेश कर दिया जायेगा। हम जून में सप्ताह में कम से कम एक बार और जरूरी हुआ तो सप्ताह में कम से कम दो बार बैठक करने पर भी सहमत हुए हैं। सिब्बल ने कहा कि जिन बिंदुओं पर सहमति बनी है, उनमें प्रस्तावित लोकपाल को उसके नियम खुद तय करने का अधिकार देने और उसमें अंदरूनी पारदर्शिता लाने के विषय शामिल हैं। क्या प्रधानमंत्री और न्यायपालिका को प्रस्तावित लोकपाल के दायरे में लाने पर कोई सहमति बनी है, इस पर सिब्बल ने कहा, इस बारे में अभी सहमति नहीं बनी है। इन मुद्दों पर आगे चर्चा की जाएगी। सिब्बल ने कहा कि हम समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले अन्य वर्गों को भी इस कवायद में शामिल करने पर राजी हुए हैं ताकि वे भी अपने महत्वपूर्ण सुझाव दे सकें।बैठक के बाद समिति में समाज की ओर से शामिल सदस्यों अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण ने कहा, हमने सरकार को प्रस्तावित लोकपाल विधेयक के जो 40 मूल सिद्धांत बताए थे, उन पर एक दौर की बातचीत पूरी हो चुकी है। कुछ बिंदुओं पर पिछली बैठक में चर्चा हुई और शेष पर आज चर्चा की गई। कुछ बिंदुओं पर सरकार सैद्धांतिक रूप से सहमत हो चुकी है। शेष मुद्दों पर समिति की अगली बैठकों में विस्तार से चर्चा हो सकती है। हमने सरकार को नए सुझावों का एक और दस्तावेज सौंपा है। भूषण ने दावा किया कि सरकार ने किसी मुद्दे को सिरे से खारिज नहीं किया है। प्रस्तावित लोकपाल संस्था में अंदरूनी तौर पर पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के मुद्दे पर सरकार सहमत है। भ्रष्टाचारियों को दंडित करने और उनसे नुकसान की धनराशि वसूलने के मुद्दे पर भी सरकार सैद्धांतिक रूप से सहमत हो चुकी है, लेकिन सरकार ने इस विषय पर विस्तार से चर्चा करने की जरूरत बताई है। भूषण ने कहा कि सरकार इस बात पर राजी हो चुकी है जिन मुद्दों पर सहमति बनी है, उन्हें विधेयक के मसौदे में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाए। प्रधानमंत्री और न्यायपालिका को प्रस्तावित लोकपाल के दायरे में लाने की हज़ारे पक्ष की मांग पर भूषण ने कहा कि इस बारे में आज की बैठक में चर्चा नहीं हुई और इस पर अब 30 मई को होने वाली बैठक में चर्चा की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रस्तावित लोकपाल के तहत सभी नौकरशाहों से अपनी संपत्ति घोषित करने को कहने के मुद्दे पर भी सरकार सैद्धांतिक रूप से सहमत हो चुकी। हालांकि, सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि कई संवैधानिक संस्थाओं के सदस्य स्वत: संज्ञान के आधार पर अपनी संपत्ति की घोषणा कर रहे हैं, लिहाजा सामाजिक कार्यकर्ताओं की इस मांग पर तकनीकी रूप से गौर करने की जरूरत है। केजरीवाल ने कहा कि हज़ारे पक्ष लोकपाल विधेयक के मसौदे के लिए सुझाव मांगने के मकसद से नियमित तौर पर जनसुनवाई कर रहा है। सामाजिक कार्यकर्ताओं से मिले नए सुझावों के संबंध में हमने एक और दस्तावेज सरकार को सौंपा है।