एलजी नजीब जंग और अरविंद केजरीवाल के बीच वैचारिक मतभेद देखे गए
नई दिल्ली:
दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने अपना इस्तीफा केंद्र सरकार को सौंप दिया. जंग 9 जुलाई 2013 से दिल्ली के उप राज्यपाल के पद पर आसीन थे और गुरुवार को अप्रत्याशित रूप से उन्होंने इस ओहदे से इस्तीफा दे दिया जिसके बाद उनकी आगे की रणनीति की अटकलें लगाई जा रही हैं. वहीं आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की ओर से भी एलजी के इस फैसले पर प्रतिक्रिया मिल रही है.
आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने एनडीटीवी से बातचीत में नजीब जंग के लिए कहा कि सार्वजनिक मंच पर उन्होंने जिस तरह का रवैया दिखाया, ऐसे वह निजी तौर पर नहीं हैं. लेकिन इसमें भी कोई शक नहीं है कि एलजी के पद के साथ जो न्याय किया जाना चाहिए था, वह उन्होंने नहीं किया. उन्हें जनादेश का सम्मान करना चाहिए था लेकिन ऐसा न करके उन्होंने दिल्ली सरकार के काम में रोड़े अकटाए. विश्वास ने आगे कहा कि पद की महत्ता को कम करके उन्होंने अपनी छवि को खराब किया. आप सरकार भी जितना काम कर सकती थी, उनके हस्तेक्षप की वजह से वह नहीं कर पाई.
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कुमार ने तंज कसते हुए कहा कि नजीब जंग का कार्यकाल स्मरणीय नहीं रहा लेकिन हम शुभकामना देते हैं और उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार उन्हें उनकी सेवा करने के लिए पुरस्कृत करेगी और उन्हें जरूर कोई लोकतांत्रिक जागीर मिल जाएगी.
उधर कांग्रेस नेता और राज्यसभा के सदस्य रह चुके जेपी अग्रवाल ने एनडीटीवी से कहा कि नजीब जंग को दिल्ली वालों के हक़ में काम करना चाहिए था जो उन्होंने नहीं किया. संवैधानिक तौर पर उन्हें जो दर्जा मिला हुआ था, उस लिहाज़ से ऐसे कई विषय थे जिसमें वह कड़े फैसले ले सकते थे लेकिन उन्होंने नहीं लिए. गौरतलब है कि नजीब जंग की नियुक्ति कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान हुई थी लेकिन इसके बावजूद उनका झुकाव बीजेपी की ओर देखा गया. इस पर अग्रवाल ने कहा कि यह तो उस पोस्ट पर बैठे व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह निष्पक्षता से काम करना चाहता है या नहीं. जंग को बीजेपी के मुताबिक काम करना मुनासिब लगा सो उन्होंने किया.
वहीं एलजी नजीब जंग के कार्यकाल को लेकर भी सवाल उठ रहे थे लेकिन गृहमंत्रालय ने साफ किया है कि एलजी के कार्यकाल का समय तय नहीं होता है. दिल्ली में अभी तक बतौर एलजी सबसे लंबा कार्यकाल तेजिंदर खन्ना का रहा है, वहीं ज्यादातर एलजी ने औसतन तीन साल से कम ही काम किया है. जहां तक नजीब जंग का सवाल है तो वह जुलाई 2013 में दिल्ली के एलजी बने थे और उन्होंने इस पद पर बने तीन साल छह महीने हो गए थे. गृहमंत्रालय ने साफ किया है कि नजीब जंग ने अपनी मर्जी से इस्तीफा दिया है.
नजीब जंग के इस्तीफे के बाद दिल्ली के उप-राज्यपाल के लिए 1969 बैच के IAS अनिल बैजल का नाम सबसे आगे चल रहा था, लेकिन इस रेस में एक और नाम जुड़ गया है के जे अल्फ़ॉन्स का. किस नाम पर मुहर लगेगी इसे लेकर बीती रात पीएम और गृह मंत्री के बीच मुलाक़ात भी हुई है. दिल्ली में भले ही चुनी हुई सरकार हो, लेकिन प्रशासनिक कमान एलजी के हाथ में रहती है. ऐसे में यह पद बेहद अहम हो जाता है. अनिल बैजल वाजपेयी सरकार में गृह सचिव रहे हैं. दिल्ली में डीडीए के वाइस चैयरमैन रह चुके हैं. इसके अलावा प्रसार भारती में सीईओ भी रहे हैं.
आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने एनडीटीवी से बातचीत में नजीब जंग के लिए कहा कि सार्वजनिक मंच पर उन्होंने जिस तरह का रवैया दिखाया, ऐसे वह निजी तौर पर नहीं हैं. लेकिन इसमें भी कोई शक नहीं है कि एलजी के पद के साथ जो न्याय किया जाना चाहिए था, वह उन्होंने नहीं किया. उन्हें जनादेश का सम्मान करना चाहिए था लेकिन ऐसा न करके उन्होंने दिल्ली सरकार के काम में रोड़े अकटाए. विश्वास ने आगे कहा कि पद की महत्ता को कम करके उन्होंने अपनी छवि को खराब किया. आप सरकार भी जितना काम कर सकती थी, उनके हस्तेक्षप की वजह से वह नहीं कर पाई.
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कुमार ने तंज कसते हुए कहा कि नजीब जंग का कार्यकाल स्मरणीय नहीं रहा लेकिन हम शुभकामना देते हैं और उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार उन्हें उनकी सेवा करने के लिए पुरस्कृत करेगी और उन्हें जरूर कोई लोकतांत्रिक जागीर मिल जाएगी.
उधर कांग्रेस नेता और राज्यसभा के सदस्य रह चुके जेपी अग्रवाल ने एनडीटीवी से कहा कि नजीब जंग को दिल्ली वालों के हक़ में काम करना चाहिए था जो उन्होंने नहीं किया. संवैधानिक तौर पर उन्हें जो दर्जा मिला हुआ था, उस लिहाज़ से ऐसे कई विषय थे जिसमें वह कड़े फैसले ले सकते थे लेकिन उन्होंने नहीं लिए. गौरतलब है कि नजीब जंग की नियुक्ति कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान हुई थी लेकिन इसके बावजूद उनका झुकाव बीजेपी की ओर देखा गया. इस पर अग्रवाल ने कहा कि यह तो उस पोस्ट पर बैठे व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह निष्पक्षता से काम करना चाहता है या नहीं. जंग को बीजेपी के मुताबिक काम करना मुनासिब लगा सो उन्होंने किया.
वहीं एलजी नजीब जंग के कार्यकाल को लेकर भी सवाल उठ रहे थे लेकिन गृहमंत्रालय ने साफ किया है कि एलजी के कार्यकाल का समय तय नहीं होता है. दिल्ली में अभी तक बतौर एलजी सबसे लंबा कार्यकाल तेजिंदर खन्ना का रहा है, वहीं ज्यादातर एलजी ने औसतन तीन साल से कम ही काम किया है. जहां तक नजीब जंग का सवाल है तो वह जुलाई 2013 में दिल्ली के एलजी बने थे और उन्होंने इस पद पर बने तीन साल छह महीने हो गए थे. गृहमंत्रालय ने साफ किया है कि नजीब जंग ने अपनी मर्जी से इस्तीफा दिया है.
नजीब जंग के इस्तीफे के बाद दिल्ली के उप-राज्यपाल के लिए 1969 बैच के IAS अनिल बैजल का नाम सबसे आगे चल रहा था, लेकिन इस रेस में एक और नाम जुड़ गया है के जे अल्फ़ॉन्स का. किस नाम पर मुहर लगेगी इसे लेकर बीती रात पीएम और गृह मंत्री के बीच मुलाक़ात भी हुई है. दिल्ली में भले ही चुनी हुई सरकार हो, लेकिन प्रशासनिक कमान एलजी के हाथ में रहती है. ऐसे में यह पद बेहद अहम हो जाता है. अनिल बैजल वाजपेयी सरकार में गृह सचिव रहे हैं. दिल्ली में डीडीए के वाइस चैयरमैन रह चुके हैं. इसके अलावा प्रसार भारती में सीईओ भी रहे हैं.
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