नई दिल्ली:
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को वीजा नहीं दिए जाने की अपील को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को लिखे पत्र पर कुछ सांसदों के फर्जी हस्ताक्षर मामले में लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने गुरुवार को कहा कि वह इसकी जांच करा रही हैं।
ओबामा को लिखे पत्र पर फर्जी हस्ताक्षर होने संबंधी शिकायत करते हुए झारखंड के लोहारदग्गा से बीजेपी सांसद सुदर्शन भगत ने बुधवार को मीरा कुमार को पत्र लिखा था।
मीरा कुमार ने बताया कि उन्हें इस संबन्ध में एक सदस्य का पत्र मिला है और उन्होंने उसे जांच के लिए भेज दिया है।
सांसदों द्वारा इस प्रकार किसी दूसरे राष्ट्राध्यक्ष को पत्र लिखे जाने के उचित या अनुचित होने के सवाल पर किसी प्रकार की टिप्पणी करने से इनकार करते हुए मीरा कुमार ने कहा कि वह इस मसले पर पत्र की जांच होने के बाद ही कोई टिप्पणी करेंगी।
यह पूछे जाने पर कि क्या यह विशेषाधिकार हनन या अनुशासनात्मक कार्रवाई का मामला बनता है, मीरा कुमार ने केवल यही दोहराया कि मामले की जांच कराई जा रही है और उससे पहले कुछ भी कहना उचित नहीं होगा।
कथित तौर पर संसद के 65 सदस्यों की ओर से अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा को पत्र लिखा गया था कि वह मोदी को वीजा नहीं देने की अपने देश की नीति को जारी रखें। इस पत्र पर माकपा के सीताराम येचुरी, द्रमुक के केपी रामलिंगम और कम्युनिस्ट पार्टी के एमपी अच्युतन के हस्ताक्षर हैं, लेकिन इन तीनों ने ऐसे किसी पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया है।
झारखंड के लोहरदग्गा से लोकसभा सदस्य सुदर्शन भगत ने मीरा कुमार को लिखे पत्र में कहा है कि कुछ सदस्यों ने ओबामा को लिखे पत्र में हस्ताक्षर करने से इनकार किया है, इसलिए पूरे मामले की जांच कराई जाए।
भगत ने बुधवार को कहा था, ‘‘यह गंभीर मामला है और जालसाज़ी के समान है। मैंने लोकसभा अध्यक्ष से मांग की है कि वह मामले की निष्पक्ष जांच के आदेश दें और इस धोखाधड़ी के लिए जो जिम्मेदार हैं, उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाए।’’
येचुरी ने भी कहा था कि ओबामा को भेजे गए पत्र पर उनके हस्ताक्षर ‘‘कट एंड पेस्ट’’ का मामला लगता है।
येचुरी ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा था, ‘‘मैं इस बात से साफ इनकार करता हूं कि मैंने ऐसे किसी पत्र पर हस्ताक्षर किया है। किसी एक देश की संप्रभुता के दायरे में आने वाले मुद्दे पर दूसरे किसी संप्रभु देश से कुछ कहना न तो मेरे चरित्र में है और न ही यह मेरी पार्टी माकपा का सिद्धांत है।’’
द्रमुक के रामलिंगम ने भी पत्र पर हस्ताक्षर करने से इंकार किया और कहा कि वह हमेशा तमिल में हस्ताक्षर करते हैं। लेकिन इस बात का उनके पास कोई जवाब नहीं था जब उन्हें बताया गया कि उनके नाम के आगे जो हस्ताक्षर है वह तमिल में ही है।
केरल से राज्यसभा सदस्य अच्युतन ने भी हस्ताक्षर से इनकार करते हुए कहा, ‘‘सच बताऊं तो ओबामा को पत्र लिखने के बारे में मुझे याद नहीं।’’ निर्दलीय सांसद मुहम्मद अदीब ने ओबामा को पत्र लिखने का अभियान चलाया था।
ओबामा को लिखे इस पत्र में लोकसभा के 40 और राज्यसभा के 25 सदस्यों के हस्ताक्षर हैं।
ओबामा को लिखे पत्र पर फर्जी हस्ताक्षर होने संबंधी शिकायत करते हुए झारखंड के लोहारदग्गा से बीजेपी सांसद सुदर्शन भगत ने बुधवार को मीरा कुमार को पत्र लिखा था।
मीरा कुमार ने बताया कि उन्हें इस संबन्ध में एक सदस्य का पत्र मिला है और उन्होंने उसे जांच के लिए भेज दिया है।
सांसदों द्वारा इस प्रकार किसी दूसरे राष्ट्राध्यक्ष को पत्र लिखे जाने के उचित या अनुचित होने के सवाल पर किसी प्रकार की टिप्पणी करने से इनकार करते हुए मीरा कुमार ने कहा कि वह इस मसले पर पत्र की जांच होने के बाद ही कोई टिप्पणी करेंगी।
यह पूछे जाने पर कि क्या यह विशेषाधिकार हनन या अनुशासनात्मक कार्रवाई का मामला बनता है, मीरा कुमार ने केवल यही दोहराया कि मामले की जांच कराई जा रही है और उससे पहले कुछ भी कहना उचित नहीं होगा।
कथित तौर पर संसद के 65 सदस्यों की ओर से अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा को पत्र लिखा गया था कि वह मोदी को वीजा नहीं देने की अपने देश की नीति को जारी रखें। इस पत्र पर माकपा के सीताराम येचुरी, द्रमुक के केपी रामलिंगम और कम्युनिस्ट पार्टी के एमपी अच्युतन के हस्ताक्षर हैं, लेकिन इन तीनों ने ऐसे किसी पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया है।
झारखंड के लोहरदग्गा से लोकसभा सदस्य सुदर्शन भगत ने मीरा कुमार को लिखे पत्र में कहा है कि कुछ सदस्यों ने ओबामा को लिखे पत्र में हस्ताक्षर करने से इनकार किया है, इसलिए पूरे मामले की जांच कराई जाए।
भगत ने बुधवार को कहा था, ‘‘यह गंभीर मामला है और जालसाज़ी के समान है। मैंने लोकसभा अध्यक्ष से मांग की है कि वह मामले की निष्पक्ष जांच के आदेश दें और इस धोखाधड़ी के लिए जो जिम्मेदार हैं, उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाए।’’
येचुरी ने भी कहा था कि ओबामा को भेजे गए पत्र पर उनके हस्ताक्षर ‘‘कट एंड पेस्ट’’ का मामला लगता है।
येचुरी ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा था, ‘‘मैं इस बात से साफ इनकार करता हूं कि मैंने ऐसे किसी पत्र पर हस्ताक्षर किया है। किसी एक देश की संप्रभुता के दायरे में आने वाले मुद्दे पर दूसरे किसी संप्रभु देश से कुछ कहना न तो मेरे चरित्र में है और न ही यह मेरी पार्टी माकपा का सिद्धांत है।’’
द्रमुक के रामलिंगम ने भी पत्र पर हस्ताक्षर करने से इंकार किया और कहा कि वह हमेशा तमिल में हस्ताक्षर करते हैं। लेकिन इस बात का उनके पास कोई जवाब नहीं था जब उन्हें बताया गया कि उनके नाम के आगे जो हस्ताक्षर है वह तमिल में ही है।
केरल से राज्यसभा सदस्य अच्युतन ने भी हस्ताक्षर से इनकार करते हुए कहा, ‘‘सच बताऊं तो ओबामा को पत्र लिखने के बारे में मुझे याद नहीं।’’ निर्दलीय सांसद मुहम्मद अदीब ने ओबामा को पत्र लिखने का अभियान चलाया था।
ओबामा को लिखे इस पत्र में लोकसभा के 40 और राज्यसभा के 25 सदस्यों के हस्ताक्षर हैं।
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