कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को कर्नाटक हाई कोर्ट ने आड़े हाथों लिया है. कोर्ट ने टीपू जयंती सरकारी खर्चे पर न मनाने के उनके फैसले पर पुनर्विचार करने का आदेश देते हुए हिदायत दी है कि फैसले ऐसे नहीं लिए जाने चाहिए कि वे एकतरफा लगें. कर्नाटक के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका और न्यायाधीश एसआर कृष्ण कुमार की खंडपीठ ने येदियुरप्पा सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह टीपू जयंती सरकारी खर्चे पर मनाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करे और जो लोग निजी तौर पर मनाएं उन पर किसी तरह की रोक न लगाई जाए.
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद येदियुरप्पा ने 30 जुलाई को टीपू जयंती सरकारी तौर पर मनाने पर रोक लगा दी. कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि मंत्रिमंडल के इस पर आपना फैसला नहीं लिया. यानी बगैर किसी सलाह- मशविरा के एक दिन में यह निर्णय लिया गया. फैसला ऐसा नहीं होना चाहिए कि वह एकतरफा लगे.
गौरतलब है कि 29 जुलाई 2019 को सीएम पद की शपथ लेने वाले मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने अगले दिन 30 जुलाई को टीपू जयंती को रद्द कर दिया. ऐसा लगता होता है कि उन्होंने 2015 और 2016 के इस जयंती को मनाने के पुराने आदेश पर गौर किए बिना फैसला लिया.
कोर्ट ने कहा कि आप जनवरी के तीसरे हफ्ते तक बताएं कि दूसरी जयंतियों को मनाने में जब कोई ऐतराज़ नहीं है तो फिर टीपू सुल्तान की जयंती पर क्यों? कोर्ट ने सरकारी वकील के इस पक्ष को भी खारिज कर दिया कि नीतिगत फैसले में कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता. कोर्ट का मत है कि अगर फैसला जनहित से जुड़ा हो तो वह उसमें हस्तक्षेप कर सकता है.
बीजेपी सरकार के इस फैसले को टीपू सुल्तान यूनाइटेड फ्रंट नामक संस्था ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.
सत्ता में आने के 3 दिन के भीतर कर्नाटक सरकार ने रद्द किया ‘टीपू जयंती' समारोह
कर्नाटक हाईकोर्ट ने दो बातें साफ कर दीं कि जो लोग टीपू जयंती मनाएंगे उनकी हिफाजत की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी. और कोर्ट ने येदिुयुरप्पा के सरकारी खर्च पर टीपू जयंती मनाने पर रोक लगाने से भी मना कर दिया. हालांकि पुनर्विचार का निर्देश येदियुरप्पा को जरूर दिया.
VIDEO : कर्नाटक में टीपू सुल्तान को लेकर फिर सियासत
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