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This Article is From Mar 17, 2017

मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूं, कहने वाली मोंटू उर्फ कल्पना चावला को वीरू ने यूं किया याद

मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूं, कहने वाली मोंटू उर्फ कल्पना चावला को वीरू ने यूं किया याद
उड़नपरी कल्पना चावला की फिर आई याद...
नई दिल्ली: अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला देश की करोड़ों बेटियों को प्रेरणा देती हैं. आइए 17 मार्च उनके जन्मदिन के दिन उनके बारे में कुछ रोचक बातें जानें. अक्सर कल्पना कहा करती थीं मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनीं हूं, हर पल अंतरिक्ष के लिए बिताया और इसी के लिए मरूंगी. यह बात उनके लिए सच भी साबित हुई. उन्होंने 41 साल की उम्र में अपनी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा की, जिससे लौटते समय वह एक हादसे का शिकार हो गईं. 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया था. उनकी पहली अंतरिक्ष उड़ान STS 87 कोलंबिया शटल से पूरी हुई थी. इसकी अवधि 19 नवंबर 1997 से 5 दिसंबर 1997 थी.

वह दिन भुलाए नहीं भूलता जब मिशन पूरा करने के बाद 'कोलंबिया' कामयाबी के आगाज के साथ धरती पर लौट रहा था. तभी अचानक सफलता का यह जश्न पलभर में ही मातम में बदल गया और हर मुस्कुराते चेहरे पर उदासी छा गई. सभी चैनल बेसब्री से कल्पना चावला के लौटने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन खबर कुछ और ही आई. वैज्ञानिकों के मुताबिक- जैसे ही कोलंबिया ने पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया, वैसे ही उसकी उष्मारोधी परतें फट गईं और यान का तापमान बढ़ने से यह हादसा हुआ.

कल्पना के जन्मदिन पर वीरेंद्र सहवाग और मोहम्मद कैफ ने उन्हें याद किया. वीरेंद्र सहवाग ने ट्वीट करके उन्हें श्रद्धांजलि दी. मोहम्मद कैफ ने कल्पना चावला को याद करते हुए लिखा है कि वह हमेशा युवाओं को हमेशा प्रेरित करती रहेंगी कि सपनों को कैसे पूरा किया जाता है. कांग्रेस के नेता रणदीप सुरजेवाला ने भी कल्पना चावला को ट्विटर के माध्यम से श्रद्धांजलि दी है. कल्पना हरियाणा के करनाल में बनारसी लाल चावला के घर 17 मार्च 1962 को जन्मी थीं. अपने चार भाई-बहनों में वह सबसे छोटी थीं. प्यार से घर में उन्हें मोंटू पुकारा जाता था. कल्पना में 8वीं क्लास के दौरान ही अपने पिता से इंजीनियर बनने की इच्छा जाहिर कर दी थी, लेकिन उनके पिता की इच्छा थी कि वह डॉक्टर या टीचर बनें. उनकी शुरुआती पढ़ाई करनाल के टैगोर बाल निकेतन में हुई. स्कूली पढ़ाई के बाद कल्पना ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज 1982 में ग्रेजुएशन पूरा किया. इसके बाद वह अमेरिका चली गईं और 1984 टेक्सस यूनिवर्सिटी से आगे की पढ़ाई की. 1995 में कल्पना नासा में अंतरिक्ष यात्री के तौर पर शामिल हुईं और 1998 में उन्हें अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया. कल्पना के बारे में कहा जाता है कि वह आलसी और असफलता से घबराने वाली नहीं थीं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक- कल्पना तस्वीरें भी चांद-सितारों की बनाया करती थीं. वह अक्सर अपने पिता से पूछा करती थीं कि अंतरिक्षयान कैसे उड़ते हैं, क्या मैं भी उड़ सकती हूं? पिता इस बात को हंसकर टाल दिया करते थे स्कूल में हिन्दी, अंग्रेजी और ज्योग्राफी में उनको खूब मजा आता था, लेकिन फेवरेट विषय विज्ञान ही था. वह अक्सर आकाश, सितारे और विमान ड्रॉ किया करती थीं. इसके अलावा उन्हें कविताएं, डांस, साइक्लिंग और रनिंग का भी शौक था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक- कॉलेज के दिनों में उन्होंने कराटे भी सीखे थे.

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