बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
पटना:
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जेएनयू के विवाद पर छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया का खुल कर समर्थन किया है। नीतीश ने सोमवार को अपने संवादाता सम्मलेन में कहा कि कन्हैया पर देशद्रोह का आरोप 'कुछ ज्यादा अति' हो गया। नीतीश ने केंद्र सरकार को चुनौती दी कि अगर कन्हैया के देश विरोधी होने का उनके पास सबूत हैं तो वो देश के सामने लाए।
नीतीश ने जेएनयू की घटना के लिए सीधे बीजेपी को जिम्मेवार मानते हुए कहा कि ये सबकुछ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के इशारे पर हो रहा है। नीतीश ने वामपंथी नेताओं की उस मांग का भी समर्थन किया कि पुलिस और प्रशासन को सारे सबूत देने चाहिए कि आखिर वो कौन छात्र हैं जिन्होंने देश विरोधी नारे लगाये। कन्हैया के बारे में भी नीतीश ने कहा कि पूर्व में वो उनसे मिले थे और उनकी धारणा है कि वो लोकत्रांतिक व्यवस्था में विश्वास करने वाले युवा हैं। नीतीश ने कहा कि सीपीआई-सीपीएम पर देशद्रोह का आरोप लगाने पर कोई विश्वास नहीं करेगा। कुछ लोगों को लगता है कि जो उनकी विचारधारा में विश्वास करता है वही देशभक्त है, तो ये फासीवादी विचारधारा है।
नीतीश कुमार ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर भी कहा कि उन्हें भी अपने बयान के समर्थन में सबूत देने चाहिए। नीतीश ने माना कि जेएनयू को बेवजह बदनाम किया जा रहा हैं। "मैं केंद्र सरकार से जानना चाहता हूं कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अफजल गुरु के पक्ष में प्रस्ताव लाने वाले और अभियान चलाने वाले विधायक इंजीनियर रशीद से बीजेपी नेता राम माधव आखिर क्यों मिले।'' नीतीश ने कहा कि अगर ये खबर सही है तो मैं पूछना चाहता हूं कि बीजेपी राम माधव के खिलाफ क्या करवाई करने वाली है।
नीतीश का तर्क है कि फ़िलहाल आर्थिक मोर्चे पर केंद्र सरकार अपनी नाकामी को छिपाने के लिए लोगों का ध्यान बंटाने के लिए देशभक्ति की अपनी भाषा देश पर थोपना चाहती है।
निश्चित रूप से नीतीश ने खुलेआम कन्हैया का समर्थन कर इस मुद्दे पर पूरे देश में बीजेपी के खिलाफ मोर्चाबंदी का हिस्सा होने पर अपनी सहमति दे दी है। नीतीश का आकलन है कि कोई भी सरकार छात्रों के खिलाफ दमन की नीति अपनाकर नहीं चल सकती।
नीतीश ने जेएनयू की घटना के लिए सीधे बीजेपी को जिम्मेवार मानते हुए कहा कि ये सबकुछ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के इशारे पर हो रहा है। नीतीश ने वामपंथी नेताओं की उस मांग का भी समर्थन किया कि पुलिस और प्रशासन को सारे सबूत देने चाहिए कि आखिर वो कौन छात्र हैं जिन्होंने देश विरोधी नारे लगाये। कन्हैया के बारे में भी नीतीश ने कहा कि पूर्व में वो उनसे मिले थे और उनकी धारणा है कि वो लोकत्रांतिक व्यवस्था में विश्वास करने वाले युवा हैं। नीतीश ने कहा कि सीपीआई-सीपीएम पर देशद्रोह का आरोप लगाने पर कोई विश्वास नहीं करेगा। कुछ लोगों को लगता है कि जो उनकी विचारधारा में विश्वास करता है वही देशभक्त है, तो ये फासीवादी विचारधारा है।
नीतीश कुमार ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर भी कहा कि उन्हें भी अपने बयान के समर्थन में सबूत देने चाहिए। नीतीश ने माना कि जेएनयू को बेवजह बदनाम किया जा रहा हैं। "मैं केंद्र सरकार से जानना चाहता हूं कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अफजल गुरु के पक्ष में प्रस्ताव लाने वाले और अभियान चलाने वाले विधायक इंजीनियर रशीद से बीजेपी नेता राम माधव आखिर क्यों मिले।'' नीतीश ने कहा कि अगर ये खबर सही है तो मैं पूछना चाहता हूं कि बीजेपी राम माधव के खिलाफ क्या करवाई करने वाली है।
नीतीश का तर्क है कि फ़िलहाल आर्थिक मोर्चे पर केंद्र सरकार अपनी नाकामी को छिपाने के लिए लोगों का ध्यान बंटाने के लिए देशभक्ति की अपनी भाषा देश पर थोपना चाहती है।
निश्चित रूप से नीतीश ने खुलेआम कन्हैया का समर्थन कर इस मुद्दे पर पूरे देश में बीजेपी के खिलाफ मोर्चाबंदी का हिस्सा होने पर अपनी सहमति दे दी है। नीतीश का आकलन है कि कोई भी सरकार छात्रों के खिलाफ दमन की नीति अपनाकर नहीं चल सकती।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
नीतीश कुमार, बिहार के मुख्यमंत्री, जेएनयू विवाद, कन्हैया कुमार, देशद्रोह का आरोप, मोदी सरकार, Nitish Kumar, Bihar Chief Minister, JNU Row, Kanhaiya Kumar, Sedition Case